Scene-1
प्लेस- दशाश्वमेध मार्केट
आई नेक्स्ट टीम ने अपने इस स्टिंग ऑपरेशन की शुरुआत दशाश्वमेध मार्केट से की। कुंभ से लौटने वाली भीड़ में शामिल लोगों की सबसे अधिक संख्या दशाश्वमेध एरिया में ही है। इस वजह से आई नेक्स्ट टीम ने इस मार्केट में एक बाइक पर टिफिन रखे बैग को टांगा और बाइक को पार्क कर वहां से हट गई। उस वक्त सड़क पर हजारों की भीड़ थी। मार्केट में दुकानदार और रोड साइड दुकानदारों से लेकर पब्लिक व पुलिस सब मौजूद थी। लेकिन इनमें से किसी का भी बाइक पर टंगे बैग पर ध्यान नहीं गया और बैग बाइक पर उसी हाल में आधे घंटे से ज्यादा टंगा रहा।
Scene-2
प्लेस- डेढ़सी पुल दशाश्वमेध
यहां के बाद आई नेक्स्ट टीम उस प्लेस पर पहुंची जहां 2005 में दशाश्वमेध में ब्लास्ट के बाद एक कुकर बम मिला था। वो प्लेस है डेढ़सी पुल। यहां रोज की तरह शुक्रवार को भी जबरदस्त भीड़ रही। वजह थी कि यही रास्ता बाबा विश्वनाथ मंदिर को जाता है। इस वजह से यहां सिक्योरिटी जबरदस्त थी। यहां जब हमने बैग टंगे अपनी बाइक को पार्क किया तब भी किसी ने हमको ऐसा करने से रोका नहीं। फिर पुलिस की एलर्टनेस जांचने के लिए हम श्री काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले गेट के ठीक सामने अपनी बाइक को छोड़ दूर जा खड़े हुए। इसके बाद भी किसी ने इस बैग को चेक करने की जहमत नहीं उठाई।
Scene-3
प्लेस- कैंट रोडवेज परिसर
हैदराबाद में जिस प्लेस पर ब्लास्ट हुआ वो भी बस स्टैंड ही था। इसलिए हमने अपने शहर के रोडवेज बस स्टेशन पर भी सिक्योरिटी को परखा। यहां टिफिन रखे बैग को बाइक पर टांग कर वहां से हट लिए। यहां रोज की अपेक्षा भीड़ ज्यादा थी। वजह, दो दिनों की हड़ताल के बाद हर कोई अपनी मंजिल तक पहुंचने को परेशान था। इस दौरान यहां किसी का भी इस ओर ध्यान नहीं गया कि रोडवेज कैंपस में लावारिस हाल में खड़ी इस बाइक पर टंगे बैग में क्या है? हर कोई बस जल्द भागने के चक्कर में परेशान था।
Scene-4
प्लेस- कचहरी ब्लास्ट प्लेस
इसके बाद हमने पुलिस के दावों की हकीकत को चेक करने के लिए कचहरी के उस प्लेस को चुना जहां पहले एक बार आंतकी धमाका हो चुका है और कई बेगुनाहों की जान भी गई है। हमने इस प्लेस पर बैग टंगे अपनी बाइक को पार्क कर घंटों इधर उधर बिताये। हां, बाइक पर टंगे बैग को कचहरी में चौकियां लगाकर बैठे वकील जरूर देख रहे थे लेकिन इस बैग के अंदर क्या है? किसी ने ये जानना मुनासिब नहीं समझा। यहां तक की एक-दो साहब लोग तो इसी बाइक की हैंडिल पकड़े बातचीत में मशगूल दिखे।
Scene-5
प्लेस- विकास भवन के बाहर पार्किंग
विकास भवन वो प्लेस जहां हर रोज हजारों लोग अपनी परेशानियों को लेकर पहुंचते हैं। इस वजह से हमने यहां बाहर रोड साइड अवैध पार्किंग में खड़ी गाडिय़ों के बीच में बैग टंगे अपनी बाइक को पार्क किया और वहां से हट गए। इसके बाद इसी बाइक पर कई लोग आकर बैठे और बातचीत करते रहे लेकिन किसी ने भी बाइक में टंगे बैग की ओर ध्यान नहीं दिया. हालात ये थे कि यहां पर बैग और बाइक दोनों एक घंटे से ज्यादा वक्त तक पड़े रहे।
Scene-6
प्लेस-कैंट स्टेशन पार्किंग
आई नेक्स्ट टीम ने सिटी के कई प्लेसेज पर रियलिटी चेक करने के बाद बाइक और बैग दोनों को कैंट रेलवे स्टेशन की पार्किंग के पास छोड़ दिया और टीम ने खिसक लिया। यहां पर बाइक की हैंडिल में बैग एक घंटे से ज्यादा वक्त तक पड़ा रहा। इस दौरान जीआरपी के जवान और पब्लिक दोनों वहां से कई बार गुजरे। इसके बावजूद किसी ने इस बैग के अंदर की सच्चाई को जानने की कोशिश नहीं की। ये हाल तब था जब हाई अलर्ट के बाद स्टेशन परिसर में पीएसी और सीआईएसएफ के जवानों को भी तैनात कर दिया गया है। इसके बाद भी लावारिस बाइक पर लावारिस टंगे बैग की सुध किसी ने नहीं ली।
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हैदराबाद में ब्लास्ट के बाद सिटी में पुलिस पूरी तरह एलर्ट है। हर प्लेस पर चेकिंग की जा रही है और पब्लिक से भी कहा जा रहा है कि वो अपनी तरफ से एलर्ट रहे ताकि पुलिस को मदद मिल सके।
संतोष सिह, एसपी सिटी
मेटल डिटेक्टर हैं बने हैं शो पीस
एक दो बार नहीं चार चार बम त्रासदी झेल चुका वाराणसी के सुरक्षा इंतजामात पर आज भी कोई असर नहीं पड़ा है। पिछले बम हादसों की बात करें तो दशाश्वमेध घाट, संकट मोचन, कैंट स्टेशन, कचहरी, और शीतला घाट पर आतंकियों ने बम धमाका का लोगों को दहशत में डाल दिया. हर बम धमाके सुरक्षा इंतजामात में थोड़ी बहुत कड़ाई दिखाई देती है लेकिन समय बीतने के साथ ही लापरवाही की धूल की मोटी परत आतताइयों को अपने कारनामों को अंजाम देने के लिए खुला निमंत्रण देती दिखाई देती है। घटना होने के बाद हर जगह सीसी कैमरे, मेटल डिटेक्टर आदि सुरक्षा उपकरणों को लगाया गया लेकिन आज उनकी सबकी स्थित लगभग कंडम की हो चुकी है।
मेटल डिटेक्टर जो बन चुके है शोपीस
चाहे दशाश्वमेध घाट हो शीतला घाट या फिर कचहरी मेटल डिटेक्टर तो हर जगह लगाये गये लेकिन उनकी स्थिति बदहाल है। घटना के बाद शीतला घाट और दशाश्वमेध पर पांच डोर मेटर डिटेक्टर लगाये गये। यहां पर पुलिस की तैनाती भी गई। लेकिन आज की स्थिति में इनकी स्थिति शो पीस की है। डोर मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरने वालों से बड़ी संख्या इसे बायपास कर गुजरने वालों की है। लेकिन पुलिस इन पर जरा भी ध्यान नहीं देती। सूत्रों का कहना है कि कुछ तो पावर बैकअप के अभाव में खड़े लोगों को अपने होने का एहसास कराते हैं। कुछ ऐसे ही हालात कचहरी के भी है। कहचरी बम हादसे के बाद यहां हर एंट्री पॉइंट पर डोर मेटल डिटेक्टर लगाये गये लेकिन आज उनमें से कुछ ही चालू हालत में है। लेकिन उनके भी चालू होने से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि कभी वहां पुलिस वाले तैनात रहते हैं कभी वे गायब हो जाते हैं। फिर कोई वहां कुछ भी रख दे। कोई फर्क नहीं पड़ता है। तकरीबन यही हाल कैंट रेलवे स्टेशन का भी है।
सीसी टीवी भी है बेकार
सुरक्षा कवायद के तहत घाटों पर कचहरी में सीसी टीवी कैमरे लगाने की बात हुई। घाटों पर सीसी कैमरे लगाये भी गये लेकिन उनमें से कितने चल रहे हैं बात खुद उन्हें लगाने वालों को नहीं पता है। कैमरे लगाये गये थे लेकिन उनके मेंटेंनेंस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। कचहरी में तो आज तक कैमरे नहीं लगाये जा सके। लगता है प्रशासन को कचहरी में किसी बड़े हादसे का इंतजार है। जिसके बाद ही वहां सीसी टीवी कैमरे या दूसरे सुरक्षा उपकरण लगाये जा सकेंगे।
साइकिल पर भी नहीं लगी रोक
कचहरी में हुए बम धमाके में साइकिल का इस्तेमाल किया गया था। धमाके बाद कचहरी परिसर में साइकिल या दूसरा कोई वाहन ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन आज के जो हालात हैं उसमें कचहरी का तकरीबन हर हिस्से में हजारों की संख्या में साइकिल और दूसरे वाहन की कतार लगी दिखाई देती है।
हादसे क्रमवार
-23 फरवरी 2005 - दशाश्वमेध
-7 मार्च 2006- संकटमोचन और कैंट
-23 नवंबर 2007- कचहरी
-7 दिसंबर 2010-शीतला घाट