सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
आज से करीब 116 साल पहले यानि साल 1900 में अमेरिकी जनगणना के मुताबिक यहां के 6 में से एक बच्चा चाइल्ड लेबर की तरह काम करने को मजबूर था। उनके मां बाप की गरीबी के कारण ये बच्चे एजूकेशन से दूर रहकर अपने परिवार का पेट पालने में रात दिन मेहनत कर रहे थे। भारत में चाइल्ड लेबर बनकर काम कर रहे बच्चों का हाल भी इनसे अच्छा नहीं है।
Image source: www.all-that-is-interesting.com

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
अमेरिका की कपड़ा मिलों में ये छोटे मजदूर यहां काम करने वाले कुल मजदूरों के करीब 20 परसेंट के बराबर काम करते थे, लेकिन उन्हें इतना कम पैसा मिलता था, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
फूलों की माला बनाने के काम में लगे ये नन्हें मुन्ने सुबह से रात 8 बजे तक काम करते थे, तब जाकर उनके परिवार हफ्ते का 20 डॉली कमा पाते थे।

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
कताई मिल की मैनुअल मशीनों के बीच खड़ी यह छोटी सी छोटी अपने रात के खाने के इंतजाम में ही पूरा दिन काम करके काट देती है। अपने भविष्य के सुनहरे सपने बुनने का उसे समय कहां?

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
औद्योगिक क्रांति के कारण अमेरिका के गांव-गांव से कमाने के लिए लोग शहरों की ओर चल दिए। जहां 12-12 घंटों के काम के बाद इतनी कम मजूदरी मिलती थी, कि परिवार को अपने खाने के लिए बच्चों की मजदूरी पर भी निर्भर रहना पड़ता था।

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
सीफूड उद्योग में इन बच्चों को कटर्स कहा जाता था, जो बड़े चाकू से जिंदा मछलियों की हेड और टेल काटते थे। चिकनी और उछलकूद मचाती मछलियों को काटने में इन बच्चों के हाथ जब तब कटते ही रहते थे।

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
अमेरिका के साउथ कैरोलाइना में स्थित फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में मजदूर दिन के 14 घंटे काम करते थे। यहां तमाम परिवारों के बच्चों को स्कूल के पहले और बाद में करीब 7 घंटे काम करना पड़ता था। तब जाकर ही उन्हें स्कूल का मुंह देखने को मिलता था।

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
साल 1900 के आसपास अमेरिका में छपने वाले अखबारों को बांटने का ज्यायातर काम बच्चे ही करते थे, जिसके लिए उन्हें बहुत ही कम पैसा मिलता था। इसके विरोध में यहां बच्चों के समूहों ने कई बार हड़तालें कर अच्दे मेहनताने की मांग भी की।

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
खेलने-कूदने और पढ़ने की उम्र में तमाम बच्चे अमेरिका के कारखानों में काम करते और बचे हुए थोड़े से समय में वहीं ताश के पत्ते खेलकर ही अपना मनोरंजन कर पाते थे। भारत में चाइल्ड लेबर्स का हाल भी कुछ ऐसा ही है।

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
इन नन्हें मुन्ने कोयला मजदूरों की हालत देखकर किसी की भी आंखों में आंसू आ जाएंगे। अमेरिका के पेन्िसलवेनिया में मौजूद कोयला खदानों में ये बच्चे 10-10 घंटे काम करते थे। इसके अलावा क्रशिंग मशीनों या कन्वेयर बेल्ट में फंसकर तमाम बच्चे अपनी जान या हाथ पैर तक गंवा देते थे।

सुपर पावर अमेरिका के ये चाइल्‍ड लेबर बयां करते हैं भारतीय बाल मजदूरों की दिल पिघलाने वाली कहानी
ये नन्हीं सी मजदूर की हालत बयां करती है कि शायद आज से 100 साल पहले भारत से भी ज्यादा खराब स्थितियों में काम करने को मजबूर थे अमेरिका के चाइल्ड लेबर।

Image source: www.all-that-is-interesting.com

Interesting News inextlive from Interesting News Desk

Interesting News inextlive from Interesting News Desk