'अपने' कठोर और बाहरी 'मुलायम'

- बर्खास्तगी के बाद कई दलों के नेताओं ने अखिलेश को किया फोन

- सौ से ज्यादा विधायकों ने भी अखिलेश से की मुलाकात

- करीबी मंत्रियों का भी लगा जमावड़ा, तय होती रही रणनीति

LUCKNOW:

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर पिता मुलायम कठोर बने तो बाहरी लोगों ने उनके प्रति मुलायम रुख अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सूत्रों की मानें तो मुलायम द्वारा अखिलेश को बर्खास्त किए जाने के फैसले से सियासी गलियारों में भी हड़कंप मच गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई राष्ट्रीय दलों के नेताओं ने अखिलेश से फोन पर बात की और उन्हें पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया।

फिर इस्तीफा देने का दौर शुरू

अखिलेश की बर्खास्तगी के फैसले के बाद सपा में एक बार फिर इस्तीफा देने का दौर शुरू हो गया। जूही सिंह और नावेद सिद्दीकी ने भी पार्टी प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही कई नेताओं द्वारा पार्टी से इस्तीफा देने का सिलसिला शुरू हो गया। मालूम हो कि इससे पहले धनंजय उपाध्याय ने पार्टी कार्यकारिणी के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं करीब सौ से ज्यादा विधायक मुख्यमंत्री आवास पर जुट चुके थे। इनमें कई मंत्री अभिषेक मिश्र, शारदा प्रताप शुक्ला, पवन पांडेय, पंडित सिंह, दुर्गा प्रसाद यादव, अहमद हसन, कमाल अख्तर के अलावा एमएलसी सुनील सिंह साजन समेत तमाम नेता मुख्यमंत्री के समर्थन में आ गये। साथ ही कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंच गये। अखिलेश उनके साथ आगामी रणनीति तय करते रहे। सूत्रों के मुताबिक तमाम नेताओं ने मुख्यमंत्री से गुजारिश की कि वे इस मामले का हल निकालने की पहल करें। वहीं अखिलेश के करीबी नेता समझौते की कवायद को नकारते हुए चुनाव मैदान में उतरने की वकालत करते रहे।

कार्यकर्ताओं ने किया हंगामा

सपा में इस बड़े उलटफेर से उत्तेजित कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास, मुलायम का आवास और पार्टी प्रदेश मुख्यालय घेर लिया। कार्यकर्ताओं का हुजूम चारों तरफ दौड़ते हुए नारेबाजी कर रहा था। इस दौरान कई कार्यकर्ताओं ने शिवपाल सिंह यादव और अमर सिंह के पोस्टर भी जलाए जिन्हें पुलिस ने खदेड़ने का प्रयास भी किया। इसे देख तीनों जगहों पर सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिये गये। खुद डीजीपी जावीद अहमद, डीआईजी प्रवीण कुमार व एसएसपी मंजिल सैनी को आकर मोर्चा संभालना पड़ा। वही एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी ने सभी जिलों के कप्तानों को अलर्ट पर रहने को कहा है ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने न पाए।

गवर्नर बोले, कोई संवैधानिक संकट नहीं

सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से फोन पर बात करके पूरे हालात की जानकारी ली। बाद में राज्यपाल ने सूबे में किसी तरह का संवैधानिक संकट होने की संभावना से इंकार करते हुए कहा कि वे पूरे हालात पर अपनी नजरें बनाए हुए हैं। वहीं जानकारों की माने तो अब सारा दारोमदार विधायकों पर है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यदि विधायकों का समर्थन जुटा लेते हैं तो उन्हें पद से हटा पाना आसान नहीं होगा।