BHU में सांइस और स्पिरिचुएलिटी पर दो दिवसीय कान्फ्रेंस का उद्घाटन

VARANASI: सांइस से भौतिकता के क्षेत्र में विकास के आयाम तो स्थापित किये जा सकते हैं लेकिन यह आभासी होगा। वास्तविक विकास तो स्पिरिचुएलिटी और साइंस के तादाम्य से स्थापित होगा। दूसरे शब्दों में कहा जाय कि स्पिरिचुएलिटी और साइंस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिसमें एक का वजूद दूसरे से गहराई से जुड़ा है। यह बातें शनिवार को बीएचयू के स्वंतत्रता भवन में विज्ञानियों और धर्म गुरुओं के कॉन्फ्रेंस में सामने आयी। आईआईटी बीएचयू और भक्ति वेदांत संस्थान की ओर से सांइस एण्ड स्पिरिचुएलिटी पर दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था।

साइंस है मीडियम

बतौर चीफ गेस्ट कर्नाटक से आये संत स्वामी निर्मलानंद जी ने कहा कि सांइस मीडियम तो बन सकता है लेकिन कभी साध्य नहीं बन सकता। अध्यक्षता करते हुए आईआईटी गुवाहाटी के प्रो। आरपी सिंह ने कहा कि साइंस को पूर्ण रूप से जानने के लिए स्पिरिचुएलिटी जरिया हो सकती है। उन्होंने गीता के कई श्लोकों का उदाहरण भी दिया। आइआइटी बीएचयू के निदेशक प्रो। राजीव संगल ने कहा कि स्पिरिचुएलिटी से जीवन प्रकाशित होता है। इसके सहयोग से ही हमारा सर्वागीण विकास हो सकता है। कॉन्फ्रेंस में भक्तिवेदांत संस्थान के वेंकटेश राव, बीडी मूंदड़ा, के वासुदेव राव, डा। सुदीप्तो घोष आदि ने भी अपने विचार रखे। गेस्ट्स का स्वागत ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो प्रभात कुमार सिंह ने व धन्यवाद ज्ञापन डॉ राजेश कुमार ने दिया।

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