-केजीएमसी के डॉ। सूर्यकांत त्रिपाठी ने दी एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी की जानकारी

-आईएमए हॉल में हुई संगोष्ठी में डॉक्टर्स ने साझा की जानकारी

<-केजीएमसी के डॉ। सूर्यकांत त्रिपाठी ने दी एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी की जानकारी

-आईएमए हॉल में हुई संगोष्ठी में डॉक्टर्स ने साझा की जानकारी

BAREILLY BAREILLY :

आईएमए भवन में संडे शाम को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम कामुख्य विषय 'एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस' रहा। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ। सूर्यकान्त त्रिपाठी ( हैड ऑफ पल्मोनरी मेडिसन केजीएमसी लखनऊ) थे। उन्होंने एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस के इलाज की आधुनिक तकनीक के बारे में बताया। इसके साथ ही आधुनिक जांच के बारे में बताया कि कैसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस की जांच कम समय में पता की जा सकती है।

अधिकतर टीबी फेफेड़ों में होती है

उन्होंने बताया कि टीबी एक प्रकार का संक्रमण होता है। जो धीमी गति से बढ़ते बैक्टीरिया के कारण होता है। जो शरीर के उन भागों में बढ़ता है जिनमें खून और ऑक्सीजन होता है इसीलिए टीबी ज्यादातर फेफेड़ों में होती है। इसे पल्मोनरी टीबी कहते हैं। टीबी शरीर के अन्य भागों में भी हो सकता है, जिसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता हैं। टीबी के उपचार में म्-9 माह लग सकते है और कुछ स्थितियों में दो वर्ष तक लग जाते हैं।

हड्डी और नाक, कान की भी होती है टीबी

संगोष्ठी में डॉ। प्रमेन्द्र महेश्वरी ने बोन एवं ज्वाइंट टीबी के बारे बताया कि किस तरह से बोन में टीबी होती है। यदि समय से इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसे ठीक भी किया जा सकता है। डॉ। अभिनव ने नाक और कान, डॉ। पवन अग्रवाल ने प्लूरल टीबी, डॉ। निशान्त गुप्ता ने हार्ट की टीबी, डॉ। एसएम शर्मा ने पेट की टीबी, डॉ। सुधांशु ने स्किन की टीबी, डॉ। ऋषि अग्रवाल ने रेनल टीबी, डॉ। रजत अग्रवाल ने लिम्फनोड टीबी और डॉ। सुधीर ने आरएनटीसीपी प्रोग्राम के बताया। आईएमए सचिव डा। विमल भारद्वाज ने कहा कि टीबी के प्रति बिल्कुल लापरवाही न करें। इसका समय से इलाज कराना चाहिए।

ये रहे मौजूद

इस मौके पर प्रोफेसर व हैड ऑफ पल्मोनरी डिपार्टमेंट आरएमसीएच बरेली डॉ। राजेश अग्रवाल, डॉ। आईएस तोमर, डॉ। सत्येन्द्र सिंह, डॉ। रवि मेहरा, डॉ। मनोज कुमार हिरानी, डॉ। अजय भारती, डॉ। रवीश अग्रवाल, डॉ। अतुल अग्रवाल , डॉ। पवन अग्रवाल, डॉ। रवि खन्ना, डॉ। राघवेन्द्र शर्मा और डॉ। विवेक मिश्रा आदि मौजूद रहे।