पिछले चार दिनों से जूनियर डॉक्टरों के स्ट्राइक पर जाने की वजह से पीएमसीएच की स्थिति बद से बदतर हो गई थी। पर, जूनियर डॉक्टरों की शर्त पर बिना झुके ही हेल्थ डिपार्टमेंट ने पीएमसीएच में सीनियर डॉक्टरों की लाइन लगा दी, ताकि पीएमसीएच में एडमिट पेशेंट्स का आसानी से ट्रीटमेंट हो पाए और नए पेशेंट भी एडमिट हो जाएं। अब तक 45 सीनियर डॉक्टर्स पीएमसीएच ज्वाइन कर चुके हैं। बावजूद इमजरेंसी से लेकर बच्चा वार्ड तक में सन्नाटा पसरा हुआ है। मजबूरी में रहने वाले पेशेंट को भी नर्सों की गालियां सुननी पड़ रही हैं।

सीनियर-जूनियर के बीच टसल
जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि अगर सीनियर ट्रीटमेंट कर रहे हैं, तो पेशेंट्स की संख्या में इजाफा क्यों नहीं हो रहा है। हर दिन जहां दौ सौ से अधिक पेशेंट्स एडमिट होते थे, वहां कई डिपार्टमेंट में एडमिशन तक नहीं हो रहा है। वैसे अगर मंडे को भी स्ट्राइक रही और पेशेंट को एडमिट किया गया, तो कहीं न कहीं जूनियर डॉक्टर्स को बैकफुट पर आना होगा। उधर, लगातार मीटिंग के बाद भी कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है। इस मसले पर डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ। आरके सिंह ने बताया कि सीनियर डॉक्टर के आने से स्थिति में सुधार हुया है। पेशेंट आते हैं, तो उन्हें एडमिट भी किया जा रहा है.

दिनभर चल रही मीटिंग
सबसे बड़ी बात है कि जूनियर डॉक्टर्स और एडमिनिस्ट्रेशन के बीच हर दिन दो से चार वार्ता होती है, पर नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है। वहीं, इलाज के अभाव में पीएमसीएच में मरने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

हर वार्ड में एसओडी व पीओडी
जूनियर डॉक्टरों के स्ट्राइक पर जाने के बाद पहली बार पीएमसीएच में इलाज के लिए डॉक्टरों की तैनाती की गई है। चार दिनों में पहली बार हर वार्ड के लिए एसओडी और पीओडी की संख्या में इजाफा किया गया है। हर वार्ड में पीओडी दो और एसओडी की संख्या तीन बढ़ा दी गयी है.

इमरजेंसी में एमबीबीएस स्टूडेंट्स
इमरजेंसी में इन दिनों एमबीबीएस स्टूडेंट्स को बिठा दिया गया है। ये स्टूडेंट्स इलाज से अधिक चेंबर में अपने कोर्स की बात करते हैं। जैसे ही कोई पेशेंट आता है, ये फौरन सीनियर्स को खोजने में जुट जाते हैं.

पीएमसीएच खाली, नर्सिंग होम हाउसफुल
इंटरेस्टिंग बात यह है कि जूनियर डॉक्टर्स स्ट्राइक पर हैं और सीनियर्स मानने को तैयार नहीं, ऐसे में दलालों की चांदी हो गई है। हर हॉस्पीटल के लोग 24 आवर कैंपस में घूम रहे हैं, जैसे ही कोई पेशेंट आता है, उसे फौरन प्राइवेट नर्सिंग होम में भेज दिया जाता है.