- 22 जून की रात आइजीआइएमएस के ओल्ड बॉयज हॉस्टल में सेकेंड ईयर के छात्र को नंगा घुमाया गया

- रविवार डायरेक्टर ने एंटी रैगिंग कमेटी के साथ की बैठक

- आज दोनों पक्षों को सुनेगा आइजीआईएमएस प्रशासन

PATNA : आईजीआईएमएस में जूनियर स्टूडेंट के साथ हुई रैगिंग को लेकर आई नेक्स्ट आज आपको ऐसी सच्चाई से रू-ब-रू कराने जा रहा है, जिसे पढ़कर आप न केवल चौंक जाएंगे बल्कि सिहर भी जाएंगे। पेश है आई नेक्स्ट की ग्राउंड रिपोर्ट

'ओल्ड ब्वायज हॉस्टल में मुझे बुलाकर मेरा पैंट उतरवाकर नंगा घुमाया गया। मुर्गा भी बनाया गया। यहां कुछ सीनियर्स ऐसे हैं, जिनका काम कैंपस में यही सब कराना है। ऐसी घटना उनके साथ ही होती है, जो उनके ऑडर को फॉलो नहीं करते है। दूसरी बार मेरे साथ यह घटना हुई है और इस बार मैने एफआईआर भी कर दिया.' यह कहना है दिनकर कुमार का, जो पटना स्थित आईजीआईएमएस में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष का छात्र है। मालूम हो कि दिनकर ने रैगिंग में शामिल छात्र पर एफआईआर दर्ज करा दिया है, जबकि इंस्टीट्यूट को लिखित शिकायत नहीं मिली है.दूसरी तरफ इस संबंध में रविवार को इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास ने आपात बैठक की। इसमें एंटी रैगिंग कमेटी के मेंबर्स उपस्थित थे।

तीन दिनों में रिपोर्ट सौंपी जाएगी

इस घटना ने कॉलेज प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। यही वजह है कि रविवार को छुट्टी का दिन होने के बावजूद डॉ विश्वास ने एंटी रैगिंग कमेटी के मेंबर्स के साथ बैठक की। कहा कि मामला गंभीर है। एंटी रैगिंग कमेटी को निर्देशित किया गया है कि वे तीन दिनों में इस संबंध में रिपोर्ट पेश करें। इसके अलावा सोमवार को इंस्टीट्यूट प्रशासन के सामने छात्रों के दोनों पक्षों को सुना जाएगा। बैठक में कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अशोक शरण समेत अन्य मेंबर्स उपस्थित थे।

क्या है पूरा मामला

यह घटना आईजीआईएमएस कैंपस में ख्ख् जून की रात साढे नौ से साढ़े दस बजे की है,जब दिनकर कुमार मेस में खाना कर अपने कमरे की ओर जा रहा था, तभी सीनियर छात्र आकर उसे ओल्ड ब्वायज हॉस्टल की ओर लेकर गए। वहां उससे जबरन पैंट उतरवाकर फील्ड में घुमाया गया। मुर्गा भी बनाया। इसमें सीनियर छात्र तेज प्रकाश और अमरनाथ सहित अन्य शामिल थे। इसके बाद उसने एमसीआई की हेल्पलाइन पर कम्पलेन दर्ज की। हेल्पलाइन से कॉलेज प्रशासन को इस बारे में संज्ञान लेने को कहा गया। इंस्टीट्यट में रविवार को डायरेक्टर के निर्देश पर एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक की गई। दिनकर कालेज कैंपस से बाहर रहकर पढ़ाई करता है। उसे हॉस्टल नहीं मिला है।

'कहा नहीं मानने वालों की पिटाई करते हैं'

दिनकर ने आई नेक्स्ट से बातचीत में कहा कि यह झूठ है कि रैगिंग केवल फ्रेशर्स या फ‌र्स्ट ईयर में ही होता है। इसमें सीनियर उन छात्रों को भी निशाना बनाते है जो उनके ऑडर को फॉलो नहीं करते हैं। यही मेरे साथ भी हुआ। नहीं मानने पर पिटाई भी करते हैं। मेरी पिटाई पहले भी इन सीनियर्स ने की थी, लेकिन मैंने तब शिकायत नहीं की। ये बेहद दबंग हैं। ये कुछ ऐसे छात्र हैं, जिनका काम है इंस्टीट्यूट में यही सब करना। दरअसल, अधिकांश छात्र यही सोचते हैं कि कौन कम्पलेन के चक्कर में पड़े और उनके ऑडर को फॉलो करते रहते है, चाहे वह कुछ कहें।

हर पल लगता है डर

रैगिंग का मामला बेहद संवेदनशील होता है, जो पीडि़त को अंदर से तोड़कर रख देता है। उन्हें हमेशा डर लगता रहता है। इसे फीयर साइकोसिस कहते हैं। ऐसे गंभीर मामलों में वे आत्महत्या भी कर लेते हैं। यदि इसका समुचित उपचार नहीं किया जाए, तो डर का वातावरण हमेशा सताता रह सकता है। यदि काउंसलिंग की जाए, तो पीडि़त की काफी हद तक मदद हो सकती है।

- डॉ बिंदा सिंह, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ बिंदा सिंह