डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट आ रही है.

सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान एक डॉलर की कीमत 62.45 रुपये तक जा पहुंची. ये रुपये का सबसे निचला स्तर है.

कहा जा सकता है कि रुपये की गिरावट को थामने के लिए सरकार के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.

रुपये में गिरावट का नकारात्मक असर शेयर बाज़ार पर भी दिखा. बाजार खुलते ही बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स में 200 अंकों से ज़्यादा और

एनएसई के निफ्टी में 70 अंकों से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई.

मामूली सुधार

हालांकि इसके तुरंत बाद सेंसेक्स और निफ्टी में थोड़ा सुधार आया.

फिसलता सेंसेक्स,रुपये की दुर्गति जारी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मानना है कि भारत के सामने 1991 के संकट जैसे हालात नहीं हैं.

अमरीकी डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट से चालू खाते का घाटा भी बढ़ रहा है.

स्थिति इसलिए भी चिंताजनक बताई जा रही है क्योंकि 1991 के मुकाबले  भारत का चालू खाता घाटा काफी अधिक है और रुपया अधिक कमजोर.

हालांकि  प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को यह स्पष्ट किया था कि देश के सामने 1991 जैसे आर्थिक संकट के हालात नहीं हैं.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीटीआई से कहा था कि 1991 की ओर लौटने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि उस समय भारत में विदेशी मुद्रा

विनिमय स्थिर दर पर आधारित था जबकि अब यह बाज़ार से जुड़ा हुआ है.

बॉम्बे शेयर एक्सचेंज के सेंसेक्स में शुक्रवार को 750 अंकों से ज़्यादा की गिरावट और रुपये के रिकार्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद आज एक बार

फिर शेयर बाजार और रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है.

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