- कर्मचारियों की लापरवाही से बेवजह बर्बाद होती है बिजली

- कर्मचारी ऑन छोड़ जाते हैं लाइट, पंखे और एसी

- उरेडा के माध्यम से लगवाया जा रहा सेंसर सिस्टम

DEHRADUN : आम लोगों के काम में लापरवाही बरतने वाले कलेक्ट्रेट के कर्मचारी घर जाते समय ऑफिस की लाइट, पंखे और एसी जैसे उपकरणों को ऑफ करने के मामले में भी कम लापरवाह नहीं हैं। बार-बार कहने के बाद भी आदत से लाचार कर्मचारी जब इसके लिए तैयार नहीं हुए तो थक-हार कर अधिकारियों ने सेंसर लगाने की योजना बनाई है।

बिजली बचाने की कवायद बेमानी

केन्द्र और राज्य सरकारें बिजली बचाने पर खासतौर पर फोकस करती रही हैं। लोगों को बिजली बचाने के लिए कई तरह से प्रोत्साहित किया जाता है और इस काम पर बड़ी धनराशि भी खर्च की जाती है, लेकिन कलेक्ट्रेट में आकर यह कवायद पूरी तरह से बेमानी हो जाती है। बिजली बचाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने वाले महकमों के कर्मचारी खुद इस पर ध्यान देने में जरूरत नहीं समझते।

क्या करता है सेंसर

इस प्रणाली के तहत एक सेंसर मशीन से बिजली उपकरणों को जोड़ दिया जाएगा। जब किसी ऑफिस में कोई कर्मचारी नहीं होगा तो सेंसर के जरिये लाइट और बिजली उपकरण खुद ब खुद बंद हो जाएंगे।

बंद नहीं करते लाइट

बताया जाता है कि कलेक्ट्रेट परिसर में अधिकांश कार्यालयों में बिजली का स्विच कभी ऑफ नहीं होता। ऐसे में शाम का दफ्तर बंद होने से लेकर सुबह दफ्तर खुलने तक बिजली बिना जरूरत जलती है। छुट्टी के दिन भी यही स्थिति रहती है। इसके अलावा कई कर्मचारी घर जाते समय पंखे भी बंद करने की जहमत नहीं उठाते। कुछ दफ्तरों में तो एसी भी लगातार चलते हुए देखे जा सकते हैं।

हर महीने बचेंगे हजारों रुपये

कलेक्ट्रेट परिसर में रख-रखाव का काम देखने वाले नजारत विभाग का मानना है कि परिसर में जितनी बिजली जरूरत के लिए इस्तेमाल की जाती है, उससे ज्यादा बिना जरूरत फूंकी जाती है। माना जा रहा है कि सेंसर सिस्टम शुरू हो जाने से कलेक्ट्रेट का बिजली का बिल काफी कम हो जाएगा। हालांकि, अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि अभी तक कितना बिल आ रहा है। लेकिन, उम्मीद जताई कि सेंसर सिस्टम से बिल में कई हजार रुपये की कमी आ जाएगी।

उरेडा की ली जा रही मदद

कलेक्ट्रेट परिसर में बिजली के इस्तेमाल पर सेंसर प्रणाली लागू करने के लिए उरेडा की मदद ली जा रही है। सबसे पहले यह व्यवस्था नजारत पटल से शुरू की जा रही है। कलेक्ट्रेट परिसर के सभी दफ्तरों में सेंसर प्रणाली लागू करने के बाद अन्य सरकारी दफ्तरों में भी यह व्यवस्था शुरू की जा सकती है।

आपदा केन्द्रों में सौर प्रणाली

जिला प्रशासन द्वारा जिला और तहसील स्तर में चलाये जा रहे सभी आपदा प्रबंधन केन्द्रों को सौर ऊर्जा प्रणाली से जोड़े जाने पर भी विचार किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि आपदा की स्थिति में आमतौर पर बिजली व्यवस्था ठप हो जाती है। हालांकि सभी आपदा प्रबंधन केन्द्रों में जेनरेटर की व्यवस्था की गई है, लेकिन इसके साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सौर ऊर्जा प्रणाली शुरू करने पर भी विचार किया जा रहा है। सौर ऊर्जा प्रणाली शुरू होने से आपदा के समय ईधन की कमी जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा।