- फैमिली कोर्ट में बढ़ रहे जस्ट मैरिड के तलाक के केस

- लव अफेयर व जॉब कल्चर मुख्य वजह

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रुष्टयहृह्रङ्ख : सात जन्मों के रिश्तों पर लव अफेयर की गांठ भारी पड़ रही है। ऐसे में शादी के पवित्र रिश्ते में बंधने के दौरान सात जन्म तक साथ निभाने की कसम को साल भर भी नहीं निभा पा रहे हैं। दरअसल, फैमिली कोर्ट में मौजूदा समय में आने वाले तलाक के केसों में सबसे ज्यादा जस्ट मैरिड केस आ रहे हैं। नव दंपति के तलाक के 80 प्रतिशत मामले फैमिली कोर्ट में आ रहे हैं, जिनमें से कई ऐसे मामले हैं जिनकी शादी को साल भर भी नहीं हुआ। पिछले कुछ सालों में जस्ट मैरिड के तलाक के मामलों में इजाफा हुआ है। वकील के अनुसार जितने भी जस्ट मैरिड तलाक के मामले आते हैं उनमें ज्यादातर की वजह लव अफेयर होते हैं या फिर जॉब कल्चर।

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के ज्यादा केस

जस्ट मैरिड तलाक के केसों में ज्यादातर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के केस होते हैं। इन केसों में काउंसिलिंग के बाद पता चलता है कि ज्यादातर लड़के लड़कियां फैमिली के दवाब में आकर अपने पुराने रिलेशन को छोड़कर शादी के लिए राजी हो जाते हैं, लेकिन शादी के बाद वह आपस में तालमेल नहीं बैठा पाते हैं। ऐसे में उनके बीच दूरियां बढ़ जाती हैं और बात तलाक तक पहुंच जाती है। इसके अलावा लव मैरिज करने वाले लड़के लड़कियां एक दूसरे के बारे में पूरी पड़ताल करे बिना ही शादी के लिए राजी हो जाते हैं। इस दौरान वह बड़े बुजुर्गो की बात को भी अनसुना कर देते हैं और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है।

पहले होती है काउंसिलिंग

तलाक के आने वाले केसों में फैमिली कोर्ट में सबसे पहले काउंसिलिंग की जाती है। टीम द्वारा पति पत्‍‌नी को बैठाकर कई चरणों में काउंसिलिंग की जाती है। उसके बाद भी यदि दोनों में आपसी सहमति नहीं बनती है तो उसके बाद तलाक की अर्जी दी जाती है।

पहले सेक्शन 10 में करते हैं केस फाइल

संवैधानिक रूप से जस्ट मैरिड कपल तलाक की मांग नहीं कर सकते हैं। शादी के दो साल बाद ही नव दंपति तलाक की अर्जी दे सकते हैं इसलिए जस्ट मैरिड कपल सबसे पहले सेक्शन 10 में केस फाइल करते हैं। सेक्शन 10 यानि शादी के बाद भी एक दूसरे से अलग रहना, शारीरिक संबंध स्थापित न होना के आधार पर केस फाइल होता है। जो सुनवाई के बाद सेक्शन 13 में बदल जाता है जो तलाक के लिए होता है। इसके अलावा कई दंपति केस को सेक्शन 12 में भी फाइल करते हैं। सेक्शन 12 यानि शादी को शून्य घोषित कराना।

कोट

विश्वास व समर्पण की कमी

आज के समय में रिश्तों में इमोशंस की कमी है। वहीं एक दूसरे के प्रति समर्पण और विश्वास की कमी रिश्तों के टूटने की मुख्य वजह है। आज के भौतिक युग में सबको सबकुछ जल्दी चाहिए। वहीं कुछ लोगों के लिए शादी एक सामाजिक दृष्टिकोण से ही सही है। वहीं शादी के बाद भी वो अपने रिश्ते में भरोसा नहीं ला पाते हैं, जिससे एक दूसरे में शक पैदा होता है और उससे रिश्ते टूट जाते हैं। शादी करने में परिवार वालों की राय लें। खुद जिससे शादी कर रहे हैं उसके बारे में और फैमिली के बारे में जानें। इसके बाद ही बात को शादी तक ले जाएं।

डॉ। देवाशीष, मनोचिकित्सक

केस

गोमती नगर निवासी विपिन और ज्योति की शादी 2016 के आखिरी में हुई थी। मगर शादी के एक ही महीने बाद फैमिली कोर्ट में दोनों ने तलाक की अर्जी दे दी। कई बार उनकी काउंसिलिंग की गई मगर बात नहीं बनी, कोर्ट में मामला विचाराधीन है।

2. अलीगंज के विक्रम और सपना की शादी 2017 में हुई थी मगर शादी के चंद महीनों बाद ही दोनों के बीच छोटी छोटी बातों पर झगड़ा होने लगा और एक दूसरे पर शक के चलते दोनों ने अलग रहने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने फैमिली कोर्ट में अर्जी दी है। फिलहाल मामले की सुनवाई चल रही है।