एक और है बड़ी खबर

इसके साथ ही एक और बड़ी खबर ये है कि वेतन आयोग केंद्रीय कर्मियों का अधिकतम कार्यकाल अब 33 साल का तय कर सकता है। हां, यह जरूर कार्मिकों के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है। उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी पर गौर करें तो वेतन आयोग ने विभिन्न पक्षों से विचार-विमर्श की प्रक्रिया को पूरी कर लिया है। इतन ही नहीं अब वह अपनी सिफारिशों को भी अंतिम रूप देने में जुट गया है।

दो महीनों में सरकार तक पहुंच जाएगी रिपोर्ट

बताया जा रहा है कि आने वाले दो महीनों में आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। इसके अलावा वेतन आयोग का ये पूरा प्रयास भी रहेगा कि औसत वेतन वृद्धि को 15 से 20 फीसदी के बीच में ही सीमित रखा जाए। छठे वेतन आयोग पर गौर करें तो औसत वेतन वृद्धि 60 से 70 फीसदी तक हुई थी। वहीं सातवें वेतन आयोग का ये मानना है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से मिली बढ़ोत्तरी के बाद अब इसमें उसी प्रकार की बढ़ोत्तरी किए जाने की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है।

सेवाकाल में होने जा रहा परिवर्तन

उधर दूसरी ओर वेतन अयोग एक महत्वपूर्ण सिफारिश के अंतर्गत सरकारी कार्मिकों के सेवाकाल में भी परिवर्तन करने जा रहा है। अब इनका सेवाकाल 33 साल का निर्धारित किया जाएगा। इसका मतलब ये है कि अगर कोई कार्मिक 20 साल की उम्र में सरकारी नौकरी करनी शुरू कर देता है तो वह 53 साल में सेवानिवृत्त हो जाएगा। इनके अलावा अन्य लोगों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 60 साल की रखी जाएगी। इसके अलावा तीसरा मुद्दा न्यूनतम मूल वेतन को 15 हजार रुपये तक किए जाने की संभावना का है। बताते चलें कि बीते वेतन आयोग ने इसे 3050 से बढ़ाकर 7730 किया था। अब इसे 15 हजार रुपये किए जाने की संभावना है।

देखें मूल वेतन का सफर

गौर करें तो 1946 में पहले वेतन आयोग ने मूल वेतन को 35 रुपये तय किया था। उसके बाद 1959 में दूसरे वेतन आयोग ने 80 रुपये किए। 1973 में तीसरे वेतन आयोग ने 260, 1986 में चौथे वेतन आयोग में 950 कर दिए गए। 1996 में पांचवे वेतन आयोग में 3050 रुपये और 2006 के छठे वेतन आयोग में 7730 रुपये किए गए।

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