-पिछले कुछ सालों में महिलाओं में बढ़ी है इम्प्लायबिलिटी

-जॉब के एक साल के भीतर 70 परसेंट महिलाएं छोड़ देती हैं जॉब

-शादी के कारण 40 परसेंट तो 30 परसेंट ट्रांसफर होने के कारण नहीं करतीं जॉब

-अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में महिलाओं को नहीं मिलती मैटर्निटी लीव

-कई जगह जॉब से पहले महिलाओं से शादी न करने का भी लिया जाता है

द्भड्डद्वह्यद्धद्गस्त्रश्चह्वह्म@द्बठ्ठद्ग3ह्ल : एक साल के भीतर ही 70 परसेंट महिलाएं किसी न किसी कारण से जॉब छोड़ देती हैं। यह खुलासा हुआ है इंडस्ट्री ऑल द्वारा किए गए सर्वे में। पिछले दिनों बैंकाक में हुई मीटिंग में महिलाओं की स्थिति में आ रहे इस चेंजेज पर भी चर्चा की गई और इसमें सुधार लाने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

सीरियसली चर्चा की गई

इंडस्ट्री ऑल की एशिया पैसिफिक रीजन की चेयर पर्सन देविका सिंह ने बताया कि मीटिंग में महिलाओं की इस स्थिति पर सीरियसली चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में महिलाओं की जॉब में भागीदारी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि यह पॉजिटीव साइन है, लेकिन इसका दुखद पहलू यह है कि एक साल के भीतर ही इनमें से 70 परसेंट महिलाएं अपना जॉब छोड़ देती हैं, या छोड़ने को मजबूर हो जाती हैं।

शादी होती है जॉब छोड़ने का कारण

इंडस्ट्री ऑल के सर्वे के मुताबिक जॉब छोड़ने वाली 70 परसेंट महिलाओं में से 40 परसेंट के जॉब छोड़ने का कारण शादी है। शादी के बाद वे इसलिए जॉब छोड़ने को मजबूर हो जाती है, क्योंकि उनके हसबेंड की पोस्टिंग कहीं और होती है। इसके अलावा 30 परसेंट महिलाओं के जॉब छोड़ने का कारण ट्रांसफर होता है। ट्रांसफर होने के बाद ज्यादातर महिलाएं इसलिए दूसरी जगह नहीं जाना चाहतीं, क्योंकि उनके पैरेंट्स परमीशन नहीं देते तो कई बार दूसरी जगह उन्हें सूट नहीं करता।

जॉब से हटा दिया जाता है

ज्यादा प्रॉब्लम अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की महिलाओं को होती है। देविका सिंह ने कहा कि स्थिति यह है कि ज्यादातर महिलाओं को मैटरनिटी बेनिफिट नहीं मिलता है। कांट्रेक्चुअल जॉब पर होने के कारण प्रेग्नेंट होने के बाद इम्प्लायर उन्हें बैठाकर पैसे नहीं देना चाहता, इस कारण उन्हें जॉब से हटा दिया जाता है।

अनमैरेड रहने का किया जाता है कांट्रेक्ट

कई बार तो अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में मैरेड वीमन को जॉब तक नहीं दिया जाता। इस कारण वे शादी होने की बात छुपाकर काम करती है, लेकिन प्रेग्नेंसी के बाद मामला फंस जाता है। कई बार तो परेशानी से बचने के लिए अबॉर्शन तक करवा लेती हैं। देविका सिंह कहती हैं कि कई जगह तो महिलाओं से इस बात का कांट्रेक्ट साइन करवा लिया जाता है कि जॉब के दौरान वे शादी नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि पूरे एशिया पैसिफिक में यह स्थिति है।

देविका सिंह चुनी गयीं वाइस चेयरपर्सन

मजदूरों की स्थिति पर नजर रखने व उनमें सुधार के उपाय तलाशने को लेकर ग्लोबल लेवल पर एक संस्था इंडस्ट्री ऑल कांस्टिट्यूट किया गया है। 14 मई को बैंकाक में एक मीटिंग ऑर्गनाइज की गई थी। इसके बाद इंडस्ट्री ऑल के एशिया पैसिफिक रीजन की वीमेन विंग के ऑफिशियल्स का अनाउंसमेंट हुआ। वीमेन कमिटी में सिटी की देविका सिंह को एशिया पैसिफिक वीमेन कमिटी का वाइस चेयरपर्सन बनाया गया है। वे इस रीजन में वर्कर्स खासकर महिला मजदूरों की स्थिति की जानकारी लेकर उनके सुधार का प्रयास करेंगी।

होगी 40 परसेंट महिलाओं की भागीदारी

देविका सिंह ने बताया कि इंडस्ट्री ऑल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर भी चर्चा की गई। यह तय हुआ कि इसमें 40 परसेंट महिलाओं की भागीदारी रहेगी। बैंकाक में हुई मीटिंग में 250 डेलीगेट्स शामिल हुए थे, जिनमें 85 महिलाएं थीं। महिलाओं की बेहतर संख्या को देखकर ही यह डिसीजन लिया गया है।

जहां तक ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की बात है, तो यहां महिलाओं की भागीदारी काफी कम है। इस सेक्टर में केवल तीन परसेंट महिलाएं ही हैं, जहां उन्हें हर तरह की फैसिलिटी अवेलेबल है। हमारा प्रयास है कि जॉब करने वाली हर महिला को उनका अधिकार मिले। इसके लिए काम किया जा रहा है। 22 जून को जेनेवा में होने वाली मीटिंग में जिम्मेवारी तय होगी कि क्या-क्या और कैसे करना है।

-देविका सिंह, वाइस चेयरपर्सन, इंडस्ट्री ऑल, एशिया पैसिफिक