-कम उम्र में ही छह सौ महिलाओं को सिखा चुकी ड्राइविंग

-बचपन से मन में था कुछ अलग करने का जज्बा

GORAKHPUR: जब शबाना ने पहली बार गाड़ी की स्टेयरिंग संभाली थी तो उसे भी नहीं मालूम था कि इसी से एक जिंदगी की दिशा तय हो जाएगी। उस वक्त तो बस अपनी जरूरतें पूरी करने और ड्राइविंग करने पर फब्तियां कस रहे लोगों को गलत साबित करने का जुनून था। लेकिन समय की उड़ान के साथ शबाना ने वो मुकाम हासिल कर लिया कि समाज में एक मिसाल बन गई। एक लेडी कार इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम करते हुए शबाना अब तक करीब छह सौ लोगों को ड्राइविंग सिखा चुकी है। वह लोगों को तो ड्राइविंग सिखा रही है, साथ ही 'जिंदगी की गाड़ी' चलाने की सीख भी दे रही है।

मुश्किलों के बीच

शाहपुर घोसीपुरवा निवासी शबाना खातून के पिता अब्दुल जब्बार मूल रूप से जगदीशपुर निवासी हैं। पांच बेटियों और एक बेटे के परवरिश की जिम्मेदारी संभाल रहे अब्दुल की कमाई से घर-गृहस्थी की गाड़ी नहीं चल पा रही थी। इसी बीच बच्चों की पढ़ाई के सिलसिले में शहर आना पड़ा। इससे मुश्किलें और बढ़ीं। इसी दौरान शबाना ने 2009-10 में दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। परिवार की हालत देखते हुए शबाना का भाई मोटर मैकेनिक का काम सीखा और मोहद्दीपुर स्थित आरकेबीके एजेंसी में काम करने लगा।

यूं आया जिंदगी में टर्न

शबाना अक्सर अपने भाई से मिलने जाया करती थी। तब एजेंसी में मारुति ड्राइविंग स्कूल की शुरुआत हो चुकी थी। कार चलाना सीखने वाली महिलाओं के लिए इंस्ट्रक्टर की जरूरत महसूस हुई। मौका देखकर शबाना ने नौकरी की हामी भर दी। लेकिन उनको कार चलाना नहीं आता था। तब सीनियर इंस्ट्रक्टर बलवंत ने इंचार्ज सलोमन से बात की। इंचार्ज ने इंस्ट्रक्टर वीरेंद्र कुमार को कार ड्राइविंग की ट्रेनिंग देने को कहा। शबाना ने कार चलाना सीखा तो जॉब के लिए एग्जाम देने दिल्ली जाना पड़ा। परीक्षा में पास होने पर शबाना को इंस्ट्रक्टर की नौकरी मिल गई।

मुश्किलों को किया दूर

छह साल पहले कार लेकर शबाना सड़कों पर निकलीं तो लोगों ने तमाम बातें कहीं। उसे भी शुरू में काम बड़ा रिस्की लगा। कुछ परिचितों ने जमकर मजाक भी उड़ाया। कार सीखने वाली महिलाओं की गलती से होने वाली टक्कर पर खूब खरी-खोटी सुननी पड़ती थी। रोजाना कुछ न कुछ ऐसा वाकया हो जाता था जिससे शबाना काम छोड़ने का फैसला कर लेती। लेकिन अगले दिन सुबह फैसला बदल जाता था। डरकर भागने से कहीं मुकाम नहीं मिल पाएगा। इसलिए वह जज्बा लेकर फिर सड़कों पर निकल जाती। शबाना का मानना है कि मुश्किल कुछ नहीं होता। इरादों को मजबूत तो करिए।

नाम: शबाना खातून पुत्री अब्दुल जब्बार

निवास: घोषीपुरवा, शाहपुर

मूल निवासी: जगदीशपुर

एजुकेशन: ग्रेजुएट, डीडीयू यूनिवर्सिटी गोरखपुर

जॉब: मारुति ड्राइविंग स्कूल में इंस्ट्रक्टर