- शरद पूर्णिमा आज, विधि-विधान से करेंगे पूजन लक्ष्मी जी होंगी प्रसन्न

BAREILLY:

अमृत की बरसात करने वाली शरद पूर्णिमा थर्सडे को है। यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती हैं। इसी दिन कोजागरी व्रत किया जाता है, जिसे कौमुदी व्रत भी कहते हैं। पुराणों की मानें तो शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की बरसात करता है। इस रात में खीर को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है और सुबह उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है।

शरद पूर्णिमा की व्रत विधि

ज्योतिषाचार्य की मानें प्रात: 6:16 से रात्रि 12:10 बजे तक सिद्ध योग, रात्रि 8:50 से अगले दिन प्रात: 6:17 बजे तक सर्वार्थ सिद्ध योग एवं प्रात: 7:09 से अगले दिन प्रात: 4:37 बजे तक धु्रव योग रहेगा। शरद पूर्णिमा के दिन सुबह ईष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही इन्द्र भगवान और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा देना चाहिए। इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के बाद ही भोजन करना अच्छा होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।

रात्रिकाल में घी के 108 दीपक जला के घर के विभिन्न स्थानों पर रखना चाहिए। शरद पूर्णिमा के दिन से ही व्रत एवं कार्तिक स्नान आरम्भ हो जाएगा।

पंडित राजीव शर्मा, ज्योतिषाचार्य