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BAREILLY:

21 सितंबर गुरुवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को शारदीय नवरात्र सूर्य स्वामित्व हस्त नक्षत्र में आंरभ होगा। मां दुर्गा का आगमन नौका पर और विदा मुर्गे पर सवार होकर होंगी। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक नौका पर आगमन से किसानों प्रभावित होंगे और मुर्गे पर विदा होना अराजक माहौल का प्रतीक बनेगा। हालांकि, नौ नवरात्र में 7 दिन के शुभ संयोग अशुभ योगों का प्रभाव मध्यम बनाएंगे। थर्सडे को हस्त नक्षत्र सूर्योदय से रात 11.34 बजे तक रहेगा। सूर्य स्वामित्व वाला शुभ नक्षत्र होने से सभी धार्मिक अनुष्ठान व व्यापारिक कार्यो का शुभारंभ फलदायी रहेगा।


7 दिन तक शुभ संयोग

ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा के मुताबिक मां दुर्गा की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र इस वर्ष पूरे नौ दिन का रहेगा। नौ दिन देवी के भक्त आराधना व अनुष्ठान करेंगे। खास बात यह है कि नौ में से सात दिन शुभ संयोग भी रहेंगे। 29 सितम्बर को नवमी व 30 को दशहरा मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक नवरात्र में कोई घटत-बढ़त नहीं होना शुभ संयोग है। यह विशेष संयोग भी विशेष फलदायी साबित होगा। वहीं, बन रहे शुभ संयोग नए कार्यो की शुरुआत के लिए बेहतर रहेंगे। योगों में किए गए कायरें की सिद्धि होती है। विजयादशमी दशहरा 30 को सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग में मनाया जाएगा।

 

कलश स्थापना विधि

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसके समक्ष कलश स्थापना के लिए मिट्टी की वेदी बनाएं। जिसमें भीगे हुए जौ के दाने बिखेर दें। वेदी के बीच में कलश स्थापना से पूर्व एक अष्टदल कमल बनाएं। कलश के अन्दर तीर्थ जल भर दें। उसके ऊपर पंच पल्लव लगाकर उस पर किसी मिट्टी के पात्र में चावल भरकर रख दें। कलश के कंठ में कलावा बांधे इसके बाद सूखे नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर कलश के ऊपर रख कटोरे में रख दें। नारियल को सीधा खड़ा करके रखना अनिवार्य है। पूजा की थाल में परंपरानुसार सामग्री का प्रयोग कर मां का सामूहिक पूजन करें।

 

महायोग

महासप्तमी - मूल नक्षत्र में सिद्ध योग सुबह 6.12 बजे से शाम 7.09 बजे तक सरस्वती देवी का आह्वान महासप्तमी व अन्नपूर्णा परिक्रमा शाम 7.09 बजे से आरम्भ होगी। महानिशा पूजा रात 11.23 से 12.11 बजे होगी। सूर्य सुबह 6 बजे हस्त नक्षत्र में प्रवेश करेगा।

 

महाष्टमी - दोपहर 12.57 बजे के बाद पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में सरस्वती पूजन और अन्नपूर्णा परिक्रमा रात 9.37 बजे तक समाप्त होगी। इस दिन सुबह 6.13 बजे से रात 9.36 बजे तक अमृत योग में सरस्वती पूजन होगा।

 

महानवमी - अमृत योग सुबह 6.13 बजे से रात 11.50 बजे तक है। दोपहर 3.48 बजे के बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में महानवमी व्रत, हवन, आयुध पूजा संपन्न होगा। नवमी रात 11.50 बजे तक है।

 

घट स्थापना

मुहूर्त -सुबह 6.15 से 7.50 बजे तक

दोपहर 12.15 से 1.30 बजे तक

चौघडि़या विचार

शुभ - सूर्योदय से सुबह 7.38 बजे तक

लाभ - दोपहर 12.15 से 1.30 बजे तक

अमृत - दोपहर 1.30 से 3.32 बजे तक

सिद्ध - शाम 4.15 से 6 बजे तक

कन्या लग्न - सूर्योदय से सुबह 8.08 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11.40 से दोपहर 12.29 बजे तक

नोट - हस्त नक्षत्र में घट स्थापना मुहूर्त का होना शुभ फलदायक और लक्ष्मी प्रदायक माना गया है।

 

कब कौन सा योग

दिन योग समय

22 सितम्बर राज योग सुबह 6.19 से रात 12.38 बजे तक

23 सितम्बर सर्वार्थसिद्धि, रवि योग सुबह 6.19 से रात 2.15 बजे तक

25 सितम्बर रवि व सर्वार्थ सिद्धी सुबह 4.26 बजे से पूरे दिन-रात

26 सितम्बर रवि योग सूर्योदय से सुबह 7.03 बजे तक

27 सितम्बर रवि सुबह 6 से सुबह 9.57 बजे तक

29 सितम्बर रवि सूर्योदय से दोपहर 3.48 बजे तक