-नगर निगम के शेल्टर होम में कहीं बिस्तर नहीं तो कहीं महिलाओं के शेल्टर होम में मिले पुरुष

<-नगर निगम के शेल्टर होम में कहीं बिस्तर नहीं तो कहीं महिलाओं के शेल्टर होम में मिले पुरुष

BAREILLY

BAREILLY :

एक तरफ डीएम साहब का आदेश है कि कड़ाके की ठंड में शहर की सड़कों पर जो भी सोता दिखे उसे तुरंत शेल्टर होम में लाया जाए, लेकिन सवाल तो यह है कि क्या शहर के शेल्टर होम आश्रय देने लायक हैं भी या नहीं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जब पड़ताल की तो जवाब नकारात्मक ही मिला। तीन में से दो शेल्टर होम्स में तो बिस्तर ही नहीं। जिस शेल्टर होम में बिस्तर हैं भी वहां भी आधे लोगों को रजाई या बिछौना नहीं मिलता है। महिलाओं के शेल्टर होम में पुरुष सोते मिले। वहीं डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के एक शेल्टर होम में शराब की बोतले मिली। ऐसे में ठंड से बेघरों को बचाने की पूरी कवायद पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।

शेल्टर होम में बिस्तर कम

नगर निगम बिल्डिंग में बने शेल्टर होम का भी हाल बदहाल है। निगम की बिल्डिंग में बने शेल्टर होम (रैन बसेरा) में भी किसी और सुविधा की बात तो छोड़ दीजिए, यहां तो पूरी तरह से बिस्तर भी उपलब्ध नहीं हैं। अचानक बढ़ी कड़ाके की ठंड से बचने को बेघर रैन बसेरा पहुंच तो रहे हैं, लेकिन वहां पर भी ठंड से बचने के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं हैं। शेल्टर होम में बिस्तर करीब क्भ् है। नगर निगम शेल्टर होम में रहने वाले इंचार्ज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अब से करीब दस दिन पहले क्0 या क्ख् लोग ही शेल्टर होम में रुकने के लिए आते थे। उनकी आईडी प्रूफ और रजिस्टर में दर्ज करने के बाद रुकने के लिए तख्त और बिस्तर दे दिया जाता था। लेकिन एक हफ्ते से ठंड बढ़ी है तब से शेल्टर होम में रुकने वालों की संख्या फ्0 करीब हो जाती है। जिससे शेल्टर होम में तख्त और बिस्तर कम पड़ जाते हैं। शेल्टर होम इंचार्ज ने बताया कि ऐसे में तख्त को हटाने के बाद जमीन पर बिस्तर लगवाने पड़ रहा है।

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खटमल नहीं सोने देते

मैं बदायूं का रहने वाला हूं। मेरा नाम शहनवाज है, पैर से दिव्यांग हूं। मैं कई वर्षो से शहर में रिक्शा चलाता हूं। ठंड अधिक होने के चलते एक दिन मैं नगर निगम के शेल्टर होम में सोने के लिए आया था रिक्शा को लॉक करने के बाद बाहर खड़ा कर दिया। सुबह को उठा तो चोर रिक्शा चोरी कर ले गए। तब से दिन में कुछ थोड़ा काम मिल जाता है कर लेता हूं रात बिताने के लिए शेल्टर होम में आता हूं। लेकिन यहां पर बिस्तर तो कुछ समय से मिलने में दिक्कत हो रही है इससे भी बड़ी दिक्कत है कि बिस्तर पर लेटने के बाद रात को खटमल बहुत काटते हैं।

शेल्टर होम में शराब की बोतलें

ख्-महाराणा प्रताप हॉस्पिटल के ऑर्थो वार्ड में भी एक शेल्टर होम को हॉस्पिटल की तरफ से बनवाया गया है। जिससे मरीजों के तीमारदारों को रुकने में कोई समस्या न हो। लेकिन जो शेल्टर होम तीमारदारों के लिए बनाया गया था वहां पर तीमारदारों के लिए जगह तो नहीं मिलती लेकिन उसमें शराबियों के लिए एकांत में जगह जरूर मिल गई। ऑर्थो वार्ड में बने इस शेल्टर होम में एक भी बिस्तर नहीं है जिससे किसी मरीज का तीमारदार इसमें रुक सकें। यहां पर रात को शराबी शराब पीने के बाद शराब की बोतले फेंक गंदगी कर निकल जाते हैं।

महिला शेल्टर होम में पुरुष

फ्-महाराणा प्रताप हॉस्पिटल में ओपीडी के ठीक पीछे बीडीए ने शेल्टर होम बनाने के बाद उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल प्रबंधन को सौंप दिया। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में तीन शेल्टर होम बने हुए है। जिनका प्रबंधन सीएमएस केएस गुप्ता देख रहे हैं। ओपीडी के पीछे बने शेल्टर होम में एक भी बिस्तर नहीं हैं। इसके साथ महिला हॉस्पिटल में भी शेल्टर होम बना हुआ है, लेकिन वहां पर असामाजिक तत्व खुराफात करते हैं और महिला शेल्टर होम में पुरुष सोते मिले। जिससे महिला शेल्टर होम में महिलाओं को एंट्री मिलना ही मुश्किल हो जाती है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के शेल्टर होम तीनों शेल्टर होम बगैर बिस्तर के ही चल रहे हैं।

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शेल्टर होम तो तीन बने हुए हैं, लेकिन इन सभी में मरीजों के तीमारदारों के लिए रुकने की व्यवस्था हॉस्पिटल प्रबंधन को नहीं बल्कि खुद करनी होती है। हॉस्पिटल प्रबंधन तो सिर्फ इतना करता है कि जो कोई खुले में सो रहा है तो उसे छत के नीचे रुकने की व्यवस्था हो जाए। किसी मरीज का तीमारदार बिस्तर की डिमांड करता है तो उसके लिए बिस्तर भी उपलब्ध करा देता हूं।

केएस गुप्ता, सीएम

शेल्टर होम पहुंचाने वाले भी गायब

कड़ाके की ठंड में खुले में सोने वाले सभी असहायों को ठंड से बचाने के लिए डीएम ने आदेश दिया था कि कोई भी खुले में सोता मिले तो उसे शेल्टर होम में पहुंचाया जाए, लेकिन डीएम की यह कवायद मात्र घोषणा बनकर रह गई। शहर में खुले में सोने वालों को शेल्टर होम तक पहुंचाने वाली टीम ही दिखाई नहीं देती है।

दूसरे दिन भी नहीं पहुंची अलाव की लकड़ी

नगर निगम शहर में मेन स्थानों पर अलाव के लिए लकड़ी का इंतजाम कराता है, जिसके लिए नगर निगम की ट्रॉली से कर्मचारी लकड़ी पहुंचाते हैं। मंडे को नगर निगम के कर्मचारियों की लकड़ी भरी ट्रॉली लूट ली थी, जिससे कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। इसके चलते कड़ाके की सर्दी में नगर निगम के कर्मचारियों ने ट्यूजडे को भी लकड़ी नहीं पहुंचाई। जिससे लोगों की समस्या और भी कम होने की बजाय बढ़ गई।