खिर्वा कांड: आई नेक्स्ट लाइव

-सरधना के गांव खिर्वा जलालपुर में पसरा मातमी सन्नाटा, चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात

-पुलिस द्वारा आपराधिक गतिविधियों को नजरअंदाज करना बना हत्याकांड की वजह

-आरोपियों का गांव से पलायन, प्रभावित रही आम-ओ-खास की दिनचर्या, बंद रहा बाजार

मेरठ: सरधना के गांव खिर्वा जलालपुर में गुरुवार को हुए हत्याकांड के बाद शिया-सुन्नी फसाद की जड़ में लेनदेन है। आरोपी मृतक के भतीजे से रंगदारी वसूलने को लेकर दबाव बना रहे थे। हत्याकांड से पूर्व भी आरोपियों ने सपा नेता मृतक के भतीजे से रंगदारी मांगते हुए फायरिंग शुरू कर दी थी। मामले को आरोपी ग्राम प्रधान ने न सिर्फ सियासी रंग दिया बल्कि सिया-सुन्नी विवाद की शक्ल भी दे दी। शुक्रवार को आई नेक्स्ट टीम ने खिर्वा जलालपुर का दौरा किया। बदले हालात पर एक खास खबर

गांव में पसरा मातमी सन्नाटा

सरधना गंगा नहर के पुल से दाई ओर खिर्वा गांव के ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर सन्नाटा परसा था। करीब चार किमी की दूरी पर दो स्कूल की बस, एक पुलिस की जीप, दो पुलिस की बाइक और कुछ ग्रामीणों की बाइक ही दिखीं। गांव में प्रवेश करते ही बने मदरसे का गेट बंद था तो तिकोने पर बना मंदिर भी खाली था। मस्जिद के आसपास भी लोग नहीं थे तो बाजार और दुकानें पूरी तरह बंद थीं। हां, लोग अपने घर के दरवाजे और चबूतरे से हर आने-जाने वाले में नजर रखे थे, हर गतिविधि को देख रहे थे।

गांव के बीचोबीच है हुसैनी चौक

मुस्लिम बहुल मिश्रित आबादी के गांव खिर्वा में हुसैनी चौक वारदात का गवाह है। चौक के चबूतरे के नीचे गिराकर आरोपियों ने गुरुवार प्रात: दस बजे रहीस अब्बास उर्फ मुन्नू को गोलियों से भून दिया था। 24 घंटे बाद भी सुर्ख खून घटनास्थल पर झलक रहा था। मृतक के परिजन घटनास्थल को देख-देखकर दहाड़ मार रहे थे तो युवा मारे गुस्से के मुठ्ठियां भींच रहे थे। पुलिस की एक हिदायत के बाद कुछ बुजुर्ग लड़कों को खदेड़कर घर जाने के कह रहे थे तो लड़के कुछ दूर जाकर फिर वापस आ रहे थे।

सरधना का बड़ा गांव है खिर्वा

गांव की आबादी करीब 11 हजार है, 42 सौ वोटर हैं। बात करें बहुल की तो लगभग 23 सौ वोट कुरैशियों के हैं तो 11 सौ वोट सियाओं के। हिन्दुओं की विभिन्न जातियों के करीब 14 सौ वोट हैं। बड़ी ग्राम पंचायत में हत्याकांड का आरोपी प्रधान रजी मोहम्मद सुन्नी है। मृतक का भतीजा शाह अब्बास जैदी मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड का प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य है और इस बार पंचायत चुनाव में प्रधान पद का संभावित प्रत्याशी है।

शिया-सुन्नी में बंट गया गांव

घटनास्थल पर शिया जुटे थे तो आरोपी सुन्नी घरों को छोड़कर पलायन कर चुके थे। ज्यादातर सुन्नी अपने घर के ड्योढ़ी पर थे तो कुछ मातमपोशी में भी पहुंचे। मेहराब अंसारी, ताहिर अंसारी, मुजीबुल रहमान अंसारी, आबिद अंसारी, शाहिद अंसारी, जमील अंसारी आदि सुन्नी समाज के लोगों ने आरोपियों की मुखालफत की और कहा कि वे मृतक के परिजनों के साथ हैं तो वहीं हिंदु भी मातमपोशी को पहुंचे।

पहले लेनदेन का विवाद

बकौल शाह अब्बास विवाद की जड़ में भैंसों की लूट का मामला है। डेढ़ साल पहले जानीखुर्द थाना क्षेत्र में भैंसों से लदा एक ट्रक चोरी हो गया था। पुलिस ने पड़ताल की तो हत्यारोपियों के पास भैंसें होने की जानकारी मिली, सपा नेता शाह अब्बास ने मामले की पैरवी कर भैंसे वापस करा दी थी और आरोपियों को दो लाख दिलवा दिए थे। करीब डेढ़ माह से हत्यारोपी और भैंस लूटकांड में शामिल रिजवान, शहजाद, गुलफाम, गुलाब का फोन आया और भैंसें वापस कराने या पांच लाख रुपये देने की मांग की गई।

पुलिस चाहती तो टल जाता हादसा

शाह अब्बास को आरोपियों द्वारा फोन पर लगातार धमकी मिल रही थी अब्बास ने ग्रामीणों के साथ 20 जुलाई को थानाध्यक्ष सुमेर सिंह यादव से शिकायत की, बाद इसके पुलिस हरकत में नहीं आई और आरोपियों की धमकी बढ़ती गई। इसी बीच प्रधान रजी मोहम्मद ने बीचबचाव कर सिम भी ले ली, जिसकी बाद में कई बार अदला-बदली हुई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

'मेरी हत्या करने आए थे'

मृतक के भतीजे शाह ने आई नेक्स्ट को बताया कि 'वे मुझे मारने आए थे, चचा तो मुझे बचाने में मारे गए.' गुरुवार करीब साढ़े नौ बजे बाजार से खरीदारी के लिए निकले थे। मिठाई के दुकान पर प्रधान रजी मोहम्मद, मुजम्मिल, इरफान, असलम, मुन्ना, जहीर, असद खड़े थे। शाह के साथ चाचा मृतक मुन्नू, तंजीम, मंजर थे। आरोपियों ने शाह को दबोच लिया, किसी तरह से शाह तो आरोपियों के चंगुल से छूट गया किंतु रहीस नहीं भाग पाया। हथियारों से लैस आरोपियों ने रहीस को दौड़ाकर चौक के चबूतरे के पास गिरा दिया और गोलियों से भून दिया।

पुलिस के सामने चले बम

घटनाक्रम के एक घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची, इसी बीच कुछ लोग मृतक रहीश का शव उठाने पहुंचे तो दूसरी ओर से गोलीबारी और बमबारी शुरू हो गई। शिया और सुन्नियों के पुलिस के सामने तकरार होती रही। करीब एक घंटे डीआईजी रमित शर्मा के पहुंचने के बाद हालात काबू में आए।

कत्ल हो गई इंसानियत

कत्ले हुसैन अस्ल में मर्गे यजीद है, इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद। हुसैनी चौक के बोर्ड पर लिखी यह आयत नहीं कहती कि हम एकदूसरे के खून के प्यासे हों। इस्लाम के पैरोकार इस्लाम की बात नहीं मानते। 2005 में हसन रजा की हत्या भी इसी चौक पर हुई थी, इस हत्याकांड में शामिल जहीर रहीश के खून का आरोपी भी है। इबादत के चबूतरे के सामने खून-खराबा हो रहा है।

अब नहीं लडूंगा प्रधानी

मृतक के भतीजे शाह अब्बास ने आई नेक्स्ट के सवाल पर कहा कि वो अब प्रधानी नहीं लड़ेगा। चुनाव से पहले चचा की जान चली गई, चुनाव लड़ा तो और भी मारे जाएंगे। बता दें कि आरोपी रजी पिछली दस सालों से गांव का प्रधान है।

बच्चे नहीं गए स्कूल

गांव में शिया और सुन्नी पक्ष के बीच हुए बवाल के दौरान फाय¨रग की गूंज शुक्रवार को भी ग्रामीणों के कानों में गूंजती रही। घटनास्थल के आसपास तो पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा। दुकानें बंद रहीं। दहशतजदा परिजनों ने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भी नहीं भेजा। स्कूलों का स्टाफ भी अनहोनी की आशंका में सहमा रहा।

शाह अब्बास को दिया गनर

शुक्रवार को करीब 12 बजे एसएसपी डीसी दुबे गांव में पहुंचे। एसएसपी ने घटनास्थल का मुआयना किया और अधीनस्थों से घटनाक्रम की जानकारी ली और निर्देश दिए। एसएसपी ने बवाल में मारे गए मुन्नू के घर भी पहुंचे और पीडि़त परिवार को सांत्वना दी। मृतक के भतीजे शाह अब्बास को गनर देने के आदेश भी उन्होंने दिए।

शव को किया सुपुर्द-ए-खाक

पोस्टमार्टम के बाद देर रात करीब एक बजे मुन्नू का शव गांव पहुंचा। जिसे गमगीन माहौल के बीच रात्रि करीब डेढ़ बजे सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

दस दबोचे, नौ को भेजा जेल

मामले में शिया पक्ष की ओर से तीन मुकदमे दर्ज कराए गए, जिसमें 57 लोगों को नामजद दिया गया। पुलिस ने इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया। जिनमें से हत्या के मामले में आरोपी मुजम्मिल पुत्र अमीर अहमद तथा अन्य दो मामलों में आरोपी इकबाल, शहजाद, नसीर पुत्रगण कदीर, अमजद पुत्र मकसूद, मूसा पुत्र इरशाद, अरशद पुत्र कबीरूद्दीन, शाहिद पुत्र लतीफ, जहीर पुत्र जीजू तथा अलाउद्दीन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मुजम्मिल की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त तमंचा व दो कारतूस भी बरामद दिखाए हैं। अलाउद्दीन को छोड़कर पुलिस ने सभी आरोपियों को जेल भेज दिया।

खिर्वा में हुए हत्याकांड की जड़ में भैंसों की लूट को लेकर हुआ लेनदेन है। शिया-सुन्नी का विवाद गढ़ने की कोशिश हो रही है। पंचायत चुनाव पर इस घटना का असर नहीं पड़ने दिया जाएगा। आरोपी जल्द पकड़े जाएंगे।

आलोक शर्मा

आईजी, मेरठ जोन