उन्होंने 65 किलोग्राम वर्ग में ये उपलब्धि हासिल की.

जीत के बाद जब बीबीसी ने शिव से मुलाक़ात की तो पाया की उनके चेहरे पर स्वर्ण पदक की चमक तो थी लेकिन साथ ही उनकी आँखों में एक दुःख भी था.

शिव कहते हैं, ''जब मैंने स्वर्ण पदक जीता तो सबसे पहले मेरे मन में आया कि 'जन गण मन' बजता तो कितना अच्छा होता. लेकिन राष्ट्रगान नहीं बजा और मुझे इस बात का बहुत दुःख हुआ. उम्मीद करता हूं कि जल्द ही सब ठीक हो जाए.''

निलंबन

दरअसल विश्व मुक्केबाज़ी संघ ने भारतीय मुक्केबाज़ी संघ को निलंबित कर रखा है. आरोप है अपने पदाधिकारियों के चुनाव में धांधली का.

इसी वजह से भारतीय मुक्केबाज़ो को अंतराष्ट्रीय मुक्केबाज़ी संघ के झंडे तले एशियाई मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में उतरना पडा.

शिव ने स्वर्ण पदक की राह में पहले तो चीनी ताईपे और उसके बाद क्वार्टर फाइनल में कज़ाकिस्तान, सेमीफाइनल में किर्गिस्तान और फिर फाइनल में जोर्डन के ओबादा अल्काबेह को हराया.

लक्ष्य

अब शिव थापा का अगला लक्ष्य कज़ाखिस्तान के अलमाटी शहर में 11 से 27 अक्तूबर तक होने वाली विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतना है.

शिव को उम्मीद है कि कम से कम इस प्रतियोगिता से पहले तो भारत अंतराष्ट्रीय ओलिंपिक संघ द्वारा लगाए गए तमाम तरह के प्रतिबंधो से आज़ाद हो जाएगा.

और उन्हें के भारत के झंडे तले एक बार फिर अंतराष्ट्रीय मुक़ाबलो में उतरने की खुशी हासिल होगी.

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