- शोभित यूनिवर्सिटी में गवर्नर ने किया लॉ डिपार्टमेंट का उद्घाटन

- दौराला स्थित शोभित यूनिवर्सिटी में नए कोर्स को मिली मान्यता

- बंगाल के गवर्नर ने कोर्स शुरू होने पर यूनिवर्सिटी को दी बधाई

Meerut: शोभित यूनिवर्सिटी में शनिवार को एलएलबी ऑनर्स और कांस्टीट्यूशनल स्टडीज कोर्स के साथ कई नए कोर्स की शुरुआत की गई। इन सभी कोर्स के उद्घाटन के लिए शनिवार को शोभित यूनिवर्सिटी मोदीपुरम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पहुंचे। जहां इन्होंने लॉ और कांस्टीट्यूशनल स्टडीज डिपार्टमेंट सहित कई अन्य कोर्स का उद्घाटन किया।

यह रहा समारोह

शोभित यूनिवर्सिटी में नए डिपार्टमेंट के उद्घाटन समारोह में शनिवार को पश्चिम बंगाल के गवर्नर केशरी नाथ त्रिपाठी मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान के साथ शुरू हुआ। इसके बाद महामंडलेश्वर स्वामी मार्तंड पुरी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस उद्घाटन समारोह में विशिष्ठ अतिथि के रूप में नाईस सोसाइटी के अध्यक्ष शोभित कुमार रहे और अध्यक्षता कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने की। कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ। डीवी राय ने यूनिवर्सिटी का विजन और आगामी योजनाओं से सबको अवगत कराया। इसके बाद गवर्नर ने यूनिवर्सिटी में लॉ डिपार्टमेंट और कांस्टीट्यूशनल स्टडीज डिपार्टमेंट का विधिवत उद्घाटन किया।

यह होंगे सब्जेक्ट

कार्यक्रम का संचालन डॉ। निधि त्यागी ने किया। निधि त्यागी ने कार्यक्रम के दौरान लॉ और कांस्टीट्यूशनल स्टडीज डिपार्टमेंट के बारे में बताते हुए कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग व एलएलबी (ऑनर्स म् वर्षीय), बीएससी व एलएलबी (ऑनर्स भ् वर्षीय) संयुक्त पाठ्यक्रम, बीए एवं एलएलबी (ऑनर्स भ् वर्षीय) संयुक्त पाठ्यक्त्रम, एलएलबी (ऑनर्स फ् वर्षीय), एलएलएम ख् वर्षीय और स्टूडेंट्स को लॉ और कांस्टीट्यूशनल स्टडीज में रिसर्च (पीएचडी) सब्जेक्ट को मान्यता प्रदान की गई है। कहा की यह गर्व का विषय है कि यूनिवर्सिटी ने यूपी की सबसे बड़ी विधि संकाय होने का गौरव प्राप्त किया है।

किए जाएंगे प्रयास

अपने अध्यक्षीय भाषण मे कुलाधिपति ने कहा की यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर लॉं एंड गुड गवर्नेस की स्थापना के लिए प्रयास कर रहे है। यहां लॉ एंड कांस्टीट्यूशनल डिपार्टमेंट का का मूल उद्देश्य कानूनी अध्ययन के साथ संवैधानिक नियमों द्वारा देश-दुनिया के राजनीतिक व आर्थिक प्रक्रियाओं पर पड़ने वाले प्रभाव की समझ विकसित करना है।

जानेंगे कानून की जटिलता

राज्यपाल ने कहा की भारत की न्याय प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी प्रणालियों में से एक हैं। 'न्याय में देरी करना, न्याय को नकारना है और न्याय में जल्दबाजी करना न्याय को दफनाना है, किसी समाज की कानून व्यवस्था का सीधा संबंध वहां की समृद्धि से है'।