-दवाई शॉर्ट की वजह से मरीजों को खरीदनी पड़ रही महंगी दवाई

-प्रदेश लेवल से दवाओं की सप्लाई बंद होने के चलते अभाव

Meerut: मेरठ के जिला अस्पताल में जरूरी दवाईयों का भारी टोटा पड़ा हुआ है। जिसके चलते उपचार के लिए अस्पतालों में आ रहे मरीजों को अधूरा इलाज कराकर ही घर लौटना पड़ रहा है। विभागीय अफसर प्रदेश लेवल से दवाओं की सप्लाई न होने की बात बताकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं। लेकिन दवा न होने से डॉक्टरों की चांदी हो रही है।

सिर्फ सस्ती दवाएं उपलब्ध

हेल्थ विभाग की और से सभी सरकारी अस्पतालों को 260 प्रकार की दवाई रखने का आदेश दिया गया है। लेकिन मेरठ के जिला अस्पताल में इस समय 60 फीसदी दवाई भी उपलब्ध नहीं है। हां अस्पताल में सस्ती दवाईयां जरूर मरीजों को दी जा रही हैं। जैसे पैरासीटामॉल, सिट्राजिन, कैल्शियम, रेनिटिडीन, बी-कॉम्प्लेक्स, ओमेप्रोजॉल, एंटी फंगल ऑॅन्टमेंट, एंटासिट, मेट्रोजिल, सिप्लोफ्रॉक्सिन, फ्लूकोनाजॉल और बिफिलेक।

ये दवाईयां हैं शॉर्ट

मैट्रोप्रोरॉल, ईकोस्प्रिन, इंजेक्शन रैनटेक, पेंटोप्रोजॉल, एल्बुमिन और इंसुलिन। मेटफॉर्मिन, ग्लिक्टिन्स, ग्लैक्समेट, ओल्मीसॉटन, एंटीबायोटिक इंजेक्शन सिफोटेक्सिन, बच्चों के सिरप लीवोफ्लोक्सॉसिन, बच्चों के पेट दर्द की दवा एंटीस्पॉमर्ेंटिक सिरप इत्यादि

ये दवाई काफी दिनों से शॉर्ट

सिफेटेक्सिन वन एमजी, मैट्रोजिल आईबी, और सिप्रॉफ्लैक्सिन फ्लूड इत्यादि। इन सभी दवाईयों का ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल होता है। इन दवाईयों का मेडिकल अस्पताल में पिछले दो माह से टोटा चल रहा है। जिसके चलते मरीजों प्राइवेट अस्पतालों में जाकर उपचार कराने को मजबूर होना पड़ रहा है।

दर्जनों मरीज जा रहे वापस

जिला अस्पताल से रोजाना दर्जनों मरीज दवाई संबंधित दवाई न होने की वजह से वापस जाने को मजबूर हो रहे हैं। उनका कहना है कि जब दवाईयां बाहर से खरीदनी है तो सरकारी अस्पताल में उपचार कराने में क्या फायदा।

ज्यादातर दवाई तो अस्पताल में उपलब्ध हैं। कुछ दवाईयों की सप्लाई पर प्रदेश स्तर से रोक लगी है। स्टॉक उपलब्ध होने पर दवाओं का वितरण शुरू हो जाएगा।

-डॉ। सुनील गुप्ता, सीएमएस जिला अस्पताल