सर्च फॉर ट्रेन

राजा की मंडी रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर दो को छोड़ अन्य प्लेटफार्म पर पैसेंजर्स को ट्रेन में अपना कोच सर्च करना पड़ता है। अपने कोच तक पहुंचने के लिए उन्होंने रेलवे ट्रैक पर आना पड़ता है। इसका कारण है राजा की मंडी रेलवे स्टेशंस के अन्य प्लेटफार्म का छोटा होना। इस कारण पैसेंजर्स को जो मुश्किल झेलनी पड़ती है उससे रेलवे ऑफिसर्स वेखबर हैं। लेट नाइट ट्रेन पकडऩा तो और भी खतरनाक हो जाता है, जब इन प्लेटफार्म पर लखनऊ आगरा इंटरसिटी एक्सप्रेस, कोटा पटना और मथुरा इलाहाबाद एक्सप्रेस आती हैं। पैसेंजर की प्रॉब्लम यहीं खत्म नहीं होती यहां लाइटिंग भी बदहाल है। बता दें कि यहां पैसेंजर और शटल ट्रेन का भी स्टॉपेज है।
दो मिनट का स्टॉप
रेलवे ट्रैक छोटे होने के अलावा यहां पैसेंजर्स को ट्रेन पकडऩे के लिए वक्त भी कम होता है। दो से तीन मिनट के स्टॉपेज में पैसेंजर्स को गिरते-पड़ते ट्रेन पकडऩी पड़ती है। कई तो चोटिल भी हो जाते हैं, लेकिन ट्रेन पकडऩे की जल्दी में वे सब भूल जाते हैं। लेडी पैसेंजर्स, बच्चे और सीनियर सिटीजंस को सबसे ज्यादा परेशानी होती है।  
पानी दूर-दूर तक नहीं
यहां पैसेंजर्स को अन्य फैसिलिटीज भी नहीं मिलतीं। यहां लगी पानी की टोटियां सूखी हुई हैं और यहां कोई खानपान का स्टाल भी नहीं है। इसके अलावा यहां पंखे भी खराब पड़े हैं, टॉयलेट की व्यवस्था भी नहीं है। यहां सेफ्टी सिक्योरिटी भी गायब रहती है। इन प्रॉब्लम्स को नजरअंदाज कर रेलवे ऑफिसर्स स्टेशन की बाहरी चमक में लगे रहते हैं, इसकी वजह है इलाहाबाद हेडक्वार्टर से आने वाले ऑफिसर्स का इंस्पेक्शन। जो एक और दो प्लेटफार्म तक ही सीमित रहता है।

न तो यहां पानी है और न ही कोई कैटरिंग व्यवस्था। ट्रैक भी ट्रेन की लंबाई के हिसाब से नहीं है।
दयाराम, पैसेंजर
यहां किसी प्रकार की कोई भी फैसिलिटी नहीं है। खान पान के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
अक्षय मित्तल, पैसेंजर
 जो फैसिलिटी पैसेंजर को मिलनी चाहिए। उसका यहां ठिकाना नहीं है। न जाने इस ओर रेलवे ऑफिसर्स की नजर कब पड़ेगी।
आदित्य, पैसेंजर


सीसीएम के इंस्पेक्शन में स्टेशन मास्टर की ओर से इन फैसिलिटी का जिक्र किया गया है। इसे जल्द ही दूर कर दिया जाएगा।
भूपिंदर ढिल्लन, पीआरओ
आगरा डिवीजन, कैंट

 

 

 

 

 

 

 

Report by: Jitendra.kumar@inext.co.in