-आधे अफसर चला रहे हैं सूबे में शासन का काम

-एक आईएएस अफसर पर आधे दर्जन विभागों की जिम्मेदारी

-जो डेप्युटेशन पर गए, लौट ही नहीं रहे

आई एक्सक्लूसिव

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-120 आईएएस अफसरों के कैडर का है राज्य

-64 आईएएस अफसर ही काम कर रहे हैं

-15 ऑफिसर्स हैं सेंट्रल डेप्युटेशन पर

-41 आईएएस अफसरों की है राज्य में कमी

-4 पद एबव (एएसटीएस) सुपर टाइम स्केल के हैं खाली

-16 पद सुपर टाइम स्केल (एसटीएस) के पड़े हैं खाली

DEHRADUN: आम आदमी ब्यूरोक्रेसी को कोसता है कि विभागों में काम ही नहीं हो रहा, लेकिन जब राज्य में अफसरों का ही टोटा हो तो काम होगा कैसे? राज्य में एक अफसर पर म्-7 विभागों का बोझ थोपा गया है। आखिर वो किस किस विभाग की जिम्मेदारी संभाले और वहां का काम निपटाए? ऐसा हाल तो शायद ही किसी राज्य का होगा। आलम ये है कि जितने आईएएस अफसर राज्य में होने चाहिए उसके आधे ही हैं।

ऐसे चल रही है ब्यूरोक्रेसी

राज्य में हालत ये है कि शासन में आधे अफसरों के पद खाली पड़े हैं। उत्तराखंड में कैडर के हिसाब से क्ख्0 आईएएस अफसर होने चाहिए, जबकि इस वक्त सिर्फ म्ब् अफसर ही यहां हैं। यानि म्ब् अफसर ही क्ख्0 अफसरों का काम संभाल रहे हैं। क्भ् अफसर सेंट्रल डेप्युटेशन पर थे जो लौटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। इस हिसाब से अगर देखा जाए तो राज्य में ब्क् आईएएस अफसरों की कमी है। राज्य में एबव सुपर टाइम स्केल (एएसटीएस) के इस वक्त सिर्फ ब् अधिकारी ही काम कर रहे हैं जबकि इनकी संख्या 8 स्वीकृत है। इसके बाद की कैटेगरी सुपर टाइम स्केल (एसटीएस) के अफसरों की भी संख्या राज्य में ख्क् तय की गई थी, जिनमें से क्म् पदों पर अब भी कोई अधिकारी नहीं है।

एक अफसर पर कई जिम्मेदारियां

हाल ये है कि एक आईएएस अधिकारी को सरकार ने कई-कई विभागों की जिम्मेदारी सौंपी है। असलियत ये है कि हाल ही में राज्य के चीफ सेक्रेटरी बने एस रामास्वामी के पास ही कई विभागों की जिम्मेदारी है। आई नेक्स्ट से बातचीत में सचिवालय में पदस्थ दो बड़े आईएएस अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इन हालात में कभी भी कोई जिम्मेदारी शत प्रतिशत नहीं निभाई जा सकती। एक अधिकारी अगर आधा दर्जन विभाग देखेगा तो हर विभाग की सैकड़ों फाइल्स कैसे निपटेंगी? नियम के मुताबिक चीफ सेक्रेटरी ग्रेड के राज्य में दो अधिकारी होने चाहिए, लेकिन है एक ही। वर्तमान चीफ सेक्रेटरी रामास्वामी के पास ट्रांसपोर्ट, एक्सटर्नल एडेड प्रोजेक्ट्स, पर्यावरण और वन विभाग की जिम्मेदारी भी है। इसी तरह सचिव आईएएस आर मीनाक्षी सुंदरम को एमडीडीए, बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट, सिविल एविएशन, अर्बन हाउसिंग डेवलपमेंट अथॉरिटी जैसे सभी विभाग देखने पड़ रहे हैं। सचिव डीएस गब्र्याल भी कई विभाग संभाल रहे हैं। उनके पास राजस्व, पीडब्ल्यूडी और शहरी विकास जैसे बड़े विभागों की जिम्मेदारी है। सचिव विनोद शर्मा की भी मिलती जुलती स्थिति है, जो कि गृह, सूचना के साथ ही गढ़वाल मंडलायुक्त की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।

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जितने पद हमारे लिए वर्तमान में स्वीकृत है, उसके अनुसार, सचिवों पर कई-कई विभाग रहेंगे ही। हालांकि समय-समय पर कॉडर रिव्यू किया गया है। पूरी स्थिति की समीक्षा के बाद यदि कॉडर रिव्यू की आवश्यकता महसूस की गई, तो निश्चित समय पर भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

-आनंद वर्धन, सचिव, कार्मिक।