कानपुर में नए एप्लीकेंट्स को एलपीजी कनेक्शन नहीं मिल रहा है, सिटी की 48 गैस एजेंसियों में एक लाख से ज्यादा एप्लीकेशन्स धूल फांक रहे हैं ।

 

हैदराबाद से कानपुर ट्रांसफर के बाद एक इंश्योरेंस कम्पनी में टीम लीडर अभिजीत ने लास्ट ईयर नवंबर में किदवई नगर स्थित एजेंसी में नए एलपीजी कनेक्शन के लिए एप्लाई किया था। तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन उन्हें आज तक कनेक्शन नहीं मिल सका है। अभिजीत अकेले नहीं हैं, जो गैस कनेक्शन के लिए भटक रहे हैं। एक लाख से ज्यादा लोगों की एप्लीकेशन्स कानपुर की 48 गैस एजेंसियों में धूल फांक रही हैं। ये हम नहीं कह रहे, खुद डिस्ट्रिक्ट सप्लाई ऑफिस का डेटा कह रहा है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इतनी बड़ी संख्या में लोगों को नए कनेक्शंस क्यों नहीं इश्यू किए जा रहे हैं? इसे जानने के लिए आई नेक्स्ट ने पड़ताल की। आइए आपको भी बताते हैं।

पांच महीनों में एक लाख

सब्सिडी वाले डोमेस्टिक गैस सिलेंडर्स की संख्या फिक्स किये जाने के बाद गैस एजेंसियों में नये कनेक्शन लेने की होड़ मची है। सप्लाई विभाग से मिले डेटा के अनुसार हर एजेंसी में नये कनेक्शन के लिए रोजाना करीब 18-20 लोग एप्लाई करते हैं। डिस्ट्रिक्ट सप्लाई ऑफिस (डीएसओ) के मुताबिक पिछले पांच महीनों में यह संख्या 1,24,800 का फिगर क्रॉस कर चुकी है। हैरानी इस बात की है कि अक्टूबर से लेकर फरवरी तक 48 गैस एजेंसियों से इश्यू किये गये नये कनेक्शन की संख्या केवल 22,400 है। मतलब, एक लाख से ज्यादा एप्लीकेशन्स आज भी गैस एजेंसियों के ऑफिसेज में धूल फांक रही हैं।

नहीं बढ़ रहा कोटा!   

सप्लाई ऑफिसर्स के मुताबिक किसी भी शहर में एलपीजी कनेक्शंस का कोटा बढ़ाने का अधिकार ऑयल मार्केटिंग कंपनीज के पास होता है। सूत्रों के मुताबिक इन कंपनीज को टाइम टू टाइम कोटा रिव्यू करना जरूरी है ताकि जरूरतमंद लोगों को नए कनेक्शंस इश्यू किए जा सकें। सूत्रों का मानना है कि शहर के कंज्यूमर्स को नए कनेक्शंस न मिल पाने की एक वजह ये भी है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनीज जानबूझकर कोटा नहीं बढ़ा रही हैं।

'फॉर्म नहीं होते हैं पूरे"

डीएसओ बृजेन्द्र यादव के मुताबिक लोगों को नए कनेक्शन न मिल पाने की सबसे बड़ी वजह उनके एप्लीकेशन फॉम्र्स का कंपलीट न होना है। उनके मुताबिक ऐसे लोगों को तय टाइम लिमिट में ही कनेक्शंस दिए जा रहे हैं जो सभी रिक्वॉयर्ड डॉक्यूमेंट्स के साथ फॉर्म भरते हैं। हालांकि, यहां पर ये सवाल जरूर उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में गलत भरे फॉम्र्स क्यों आते हैं? क्या गैस एजेंसीज में फॉम्र्स का प्राइमरी इंस्पेक्शन नहीं किया जाता है? कंज्यूमर्स ऐसे आरोप क्यों लगाते हैं कि पूरे भरे फॉम्र्स होने के बावजूद उन्हें कनेक्शन नहीं दिया गया।

पीएनजी भी सॉल्यूशन नहीं

क्या पीएनजी कनेक्शन बढऩे से एलपीजी क्राइसिस सॉल्व हो सकती है? इसका जवाब है, नहीं। एडीएम सप्लाई आरएन बाजपेई का कहना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि पीएनजी कनेक्शन होल्डर्स के एलपीजी कनेक्शन कैंसिल कर दिये जाएं। वो अपनी मर्जी से कनेक्शन सरेंडर करें तो अलग बात है। फिलहाल सिटी में 2100 घरों और 500 कॉमर्शियल-इंडस्ट्रियल पीएनजी कनेक्शन इश्यू किये जा चुके हैं।

फॉर पब्लिक हेल्प : पांच तरह के फॉम्र्स

कई बार गलत फॉर्म फिल-अप करने की वजह से भी लोगों के फॉम्र्स रिजेक्ट कर दिये जाते हैं। अगर आप भी नया गैस कनेक्शन चाहते हैं तो एजेंसी ओनर से अपनी रिक्वायरमेंट के हिसाब से ही फॉर्म मांगे-

टाइप-ए : किसी रिलेटिव से कनेक्शन अपने नाम ट्रांसफर कराने के नाम पर।

टाइप-बी : अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति का गैस कनेक्शन यूज कर रहे हैं, जो आउट ऑफ सिटी रह रहा है तो उनका कनेक्शन अपने नाम ट्रांसफर कराने के लिए इस फॉर्म को फिल-अप करें।

टाइप-सी : कंज्यूमर की डेथ होने की कंडीशन में लीगली कनेक्शन अपने नाम ट्रांसफर करवाने के लिए।

टाइप-डी : एक ही घर में 2 या 3 कनेक्शन हैं और किसी घरवाले के नाम ही कनेक्शन ट्रांसफर के लिए।

टाइप-ई : फ्रेश कनेक्शन के एप्लीकेंट्स इस फॉर्म को फिल-अप करें।

चार्जेज एक नजर में -

दो सिलेंडर गैस कनेक्शन चार्ज

सिक्योरिटी अमाउंट : 3050 रूपए

दो सिलेंडर का चार्ज : 1847 रूपए

रबर ट्यूब : 150  रूपए

ब्लू बुकलेट व एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज : 90 रूपए

चूल्हा कॉस्ट : 2 से 3 हजार रुपए

सिंगल सिलेंडर गैस कनेक्शन चार्ज

सिक्योरिटी अमाउंट : 1450 रूपए

एक सिलेंडर का चार्ज : 900 रूपए

गैस चूल्हे का चार्ज : 1847 रूपए

रबर ट्यूब : 150 रूपए

ब्लू बुकलेट व एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज : 90 रूपए

चूल्हा कॉस्ट : 2 से 3 हजार रुपए

नोट : अगर गैस चूल्हा पहले से है तो आप एजेंसी को बतौर इंस्पेक्शन चार्ज 250 रूपए जमा कर दीजिए। कम्पनी का इम्प्लॉई आपके घर विजिट करके इंस्पेक्शन  करेगा। ऐसे में चूल्हा लेने का कम्पल्शन नहीं रहेगा।

जो हैं उन्हें भी सप्लाई नहीं

सिटी में करीब 6 लाख डोमेस्टिक और लगभग 5500 कॉमर्शियल गैस कनेक्शन हैं। डीएसओ ऑफिस से मिले डेटा के मुताबिक इनमें से केवल 60 परसेंट को ही गैस मिल पाती है। मतलब, एक महीने में सिर्फ 3,60,000 लोगों को ही गैस आपूर्ति हो पाती है। बाकी के40 परसेंट यानि 2,40,000 लोगों को एडवांस बुकिंग के बावजूद बिना गैस के गुजारा करना पड़ रहा है। जाहिर है, इन आंकड़ों को पढ़कर आप भी सोच रहे होंगे कि जिन ढाई लाख कंज्यूमर्स को गैस नहीं मिल पाती, उनके घर का खाना कैसे पकता होगा? सीधी सी बात है कि इन लोगों को ब्लैक में एलपीजी सिलेंडर खरीदना पड़ता है। आई नेक्स्ट की पड़ताल में ऐसे कई कंज्यूमर्स मिले जिनकी कम्प्लेन थी कि टाइम से बुक कराने के बाद भी उन्हें सिलेंडर नहीं दिया जाता है। इसके चलते उन्हें ब्लैक में करीब 1500 रुपए देकर सिलेंडर लेना पड़ता है।

कंपनीज में डिमांड और की गई सप्लाई  

नवंबर :

कम्पनी     डिमांड     सप्लाई

आईओसी   5,03,518    3,12,939

बीपीसी     1,22,755     73,822

एचपी       74,703      36,182

अक्टूबर :कम्पनी     डिमांड      सप्लाई

आईओसी   5,00,880    3,03,045

बीपीसी     1,22,572      65,553

एचपी       75,019       37,846

सितंबर :कम्पनी     डिमांड     सप्लाई

आईओसी   5,00,015   3,18,285

बीपीसी     1,21,099     73,982

एचपी       73,865       35,959

"नंबर ऑफ कनेक्शन तो हर महीने बढ़ रहे हैं। सितंबर के बाद नए कनेक्शन्स की संख्या में इजाफा भी हुआ है। पीएनजी ले लेने पर एलपीजी कनेक्शन सरेंडर करने का कोई प्रावधान नहीं है."

- आरएन बाजपेई, एडीएम सप्लाई

"जिन लोगों की एप्लीकेशन में सारी फॉर्मेल्टीज पूरी हैं। उन्हें फिक्स टाइम पीरियड में ही गैस कनेक्शन दिया जा रहा है। परेशानी सिर्फ उन्हीं लोगों को हो रही है जिन्होंने पेपर फॉर्मेल्टीज पूरी नहीं की हैं."

- बृजेन्द्र यादव, डीएसओ

"मैंने दो महीने से कनेक्शन के लिए एप्लाई किया था। लेकिन हर बार कोई न कोई कमी बताकर वापस कर दिया जाता है। अगर कनेक्शन नहीं देना है तो बता दें। रोज-रोज के बवाल से छुटकारा तो मिलेगा."

- सौरभ, बिजनेसमैन

"पहले एड्रेस प्रूफ और अब केवाईसी की मुश्किल बताकर कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है। सप्लाई ऑफिस में भी शिकायत कर चुका हूं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है."

- आनंद, बिजनेसमैन

"मेरे घर में डैडी के नाम पर कनेक्शन था। नये कनेक्शन के लिए दिसंबर में एप्लाई किया, लेकिन अब तक कनेक्शन नहीं मिला। जब-जब एजेंसी जाओ तो वहां आज, कल, परसों का बहाना बनाकर टालमटोल किया जाता है."

- गौरव, बिजनेसमैन