- चार दिन पहले दर्द से तड़पते पिता को कमरे में बंद कर छोड़ गया बेटा

- कराहने की आवाज सुनकर मकान मालिक ने जिला अस्पताल में कराया भर्ती

बरेली : सर्दी, गर्मी और बारिश की परवाह किए बगैर मेहनत मजदूरी कर औलाद की परवरिश की. पढ़ाया लिखाया. सोचा था कि औलाद बुढ़ापे का सहारा बनेगी, लेकिन जब बुढ़ापे के चलते बीमारियों ने घेरा और शरीर ने भी साथ छोड़ दिया तो औलाद ने भी मुंह मोड़ लिया. बेटा दर्द से तड़पते पिता को छोड़कर चला गया, बेटी को फोन किया तो उसने भी कह दिया कि ये मर जाएं तो भी उसे कोई परवाह नहीं. यह कहानी है जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती सुधीर अग्रवाल की. अपनों की बेरुखी से मायूस जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं.

4 दिन दर्द से तड़पते रहे

शहर के संजय नगर में 70 वर्षीय सुधीर अग्रवाल अपने बेटे अमित के साथ करीब एक साल से रहते हैं. 25 मार्च को अचानक उनके पेट में असहनीय दर्द उठा तो उन्होंने अमित को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के लिए कहा तो अमित बाजार से कुछ सामान लाने के लिए कहकर गया और फिर वापस नहीं लौटा.

पड़ोसी ने पिलाया पानी

तबियत बिगड़ने पर जब सुधीर को प्यास लगी तो जोर-जोर से पानी-पानी कहकर आवाज लगाने लगे. उनकी आवाज सुनकर पड़ोस के कमरे में रह रहे राजेंद्र ने उन्हें पानी पिलाया और वापस चले गए. दो रातें गुजरने के बाद सुधीर की हालत इतनी नाजुक हो गई कि चारपाई से उठना तक मुश्किल हो गया. तकलीफ बढ़ी तो जोर-जोर से कराहने लगे. उनके कराहने के आवाज मकान मालिक मेवाराम के कानों में पहुंची तो वह उनके कमरे में पहुंचे, देखा कि सुधीर की हालत काफी नाजुक हो गई थी. उन्होंने फौरन 108 नंबर पर कॉल करके एंबुलेंस बुलाई और सुधीर को जिला अस्पताल में भर्ती कराया. जहां सुधीर की हालत काफी नाजुक बनी हुई है.

ये मर जाएं मुझे परवाह नहीं

मकान मालिक मेवाराम ने सुधीर से बेटे का पता पूछा तो उन्होंने बताया कि जिस दिन से तबीयत खराब हुई है. वह तब से वह गायब है. मेवाराम ने जब सुधीर की बेटी को कॉल किया तो उसने तपाक से कहा कि ये मर रहे हैं तो मर जाएं मुझे कोई परवाह नहीं है.

क्या कहना है मेवाराम का

मेरे मकान में सुधीर करीब एक साल से रह रहे हैं. थर्सडे रात को इनके कराहने की आवाज सुनी तो कमरे के अंदर गया, वह दर्द से तड़प रहे थे. फौरन एंबुलेंस बुलाकर यहां भर्ती कराया. बेटा इन्हें गंभीर हालत में छोड़कर चार दिन से गायब है.