आरोपी जवान कंचन की निशानदेही पर जेएंडके में हुई छापेमारी

गिरफ्तारी के तीसरे दिन दिल्ली से चंड़ीगढ़ पहुंचा सेना का जवान

सभी गुप्त कोड को किया गया डीकोड, सुरक्षा के मद्देनजर सेंट्रल कमांड के कंट्रोल में आर्मी ऑपरेशन

पीओके के निवासियों के जरिए पाकिस्तानी एजेंसी के संपर्क में आया था कंचन

Meerut। जासूसी के आरोपी जवान कंचन सिंह की निशानदेही पर आर्मी ने जेएंडके में तीन संदिग्ध नागरिकों को धर दबोचा है। इनवेस्टीगेशन में निकलकर आया कि जेएंडके के संदिग्ध नागरिकों ने आर्मी के जवान का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी पाकिस्तान इंटेलीजेंस ऑपरेटिव (पीआईए) से संपर्क कराया था। जेएंडके से ही जवान को फंडिंग की जा रही है। आर्मी सूत्रों के मुताबिक मेरठ कैंट में छानबीन के बाद आर्मी इंटेलीजेंस को कंचन सिंह का कोई साथी नहीं मिला। फिलहाल कंचन सिंह ंिसग्नल कोर के चंड़ीगढ़ स्थित हेडक्वार्टर की कस्टडी में हैं।

हनीट्रैप का शिकार हुआ कंचन!

आर्मी इंटेलीजेंस को ऐसे इनपुट भी मिले हैं जिसमें कंचन सिंह के हनीट्रैप के शिकार होने की संभावनाएं जताई जा रही है। आरोपी जवान कंचन की फेसबुक आईडी फिलहाल ब्लॉक है हालांकि दावा किया जा रहा है कि फेसबुक आईडी से इंटेलीजेंस ने कई जानकारियां हासिल की हैं।

निशांत अग्रवाल से संबंध तो नहीं!

हालांकि इसकी संभावनाएं ही हैं किंतु आर्मी इंटेलीजेंस कंचन सिंह के निशांत अग्रवाल कनेक्शन को भी सर्च कर रही हैं। बता दें कि रुड़की निवासी निशांत अग्रवाल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के ब्रह्मोस प्रोजेक्ट से जुडा था। ब्रह्मोस से जुड़ी जानकारियों को आईएसआई से साझा करने के आरोप में निशांत को गिरफ्तार किया गया था। आर्मी की सर्वाधिक सेंसटिव डीआरडीओ और सिगनल कोर इंटरलिंक हैं। ऐसे में कंचन के निशांत कनेक्शन पर भी आर्मी इंटेलीजेंस वर्क कर रही है।

आर्मी ऑपरेशन सेंट्रल कमांड के पास

पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में पकड़े गए जवान कंचन सिंह से आर्मी इंटेलीजेंस एक ओर पूछताछ कर ही है तो वहीं दूसरी ओर आर्मी के सभी ऑपरेशन्स सेंट्रल कमांड ने अपने हाथ में ले लिए हैं। देशभर के वर्किंग कोड्स को डीकोड करके नए कोड जेनरेट करने की प्रक्रिया भी आरंभ कर दी गई है। वहीं सूत्रों के मुताबिक देश के कुछ अन्य स्थानों पर कंचन सिंह से मिले इनपुट के साथ सिविल इंटेलीजेंस एजेंसीज सक्रिय हो गई हैं। आर्मी ऑफीशल्स से जुड़ी बड़ी जानकारियां लीक होने के प्रमाण पूछताछ में आर्मी को मिले हैं तो वहीं बड़े ऑपरेशन्स के बारे में भी कंचन सिंह ने पाकिस्तानी एजेंसी के साथ इनफॉर्मेशन साझा की हैं।

दुश्मन के निशाने पर सिग्नल कोर

भारतीय सेना की सिग्नल कोर के जवान को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ इंफॉरमेशन साझा करने के आरोप में मेरठ से मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था। मेरठ में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई आर्मी कॉप जासूसी के आरोप में पकड़ा गया हो।

सेना का बैक सपोर्ट है कोर

सिग्नल कोर भारतीय सेना के बैकसपोर्ट के तौर पर काम करती है, जो सैन्य संचार को संभालती है। कोर का गठन 15 फरवरी, 1911 को लेफ्टिनेंट कर्नल एसएच पॉवेल ने किया था। कोर को द्वितीय विश्व युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान के लिए याद किया जाता है। कारगिल युद्ध में जीत हासिल करने में भी सिग्नल कोर की अहम भूमिका रही थी।

दुश्मन के निशाने पर

सेना का सिग्नल कोर बेहद अहम होता है। सिग्नल के पास सैन्य ठिकानों के साथ ही तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां होती हैं। इसीलिए दुश्मन सेना और खुफिया एजेंसियां सिग्नलमेंस को ही सबसे पहले निशाना बनाती हैं। पकड़ा गया आर्मी कॉप भी सिग्नल मैन है। जानकारी के मुताबिक आर्मी कॉप ने सैन्य यूनिटों और महत्वपूर्ण अफसरों की तैनाती के ठिकानों, तमाम संवादों और तकनीक आदि की जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से साझा की है।