- शिक्षा मित्रों में उबाल, डायट से लेकर गोरखनाथ मंदिर तक किया प्रदर्शन

- प्रदर्शनकारियों को रोकने में पुलिस के छूटे पसीने, मंदिर का बंद किया गेट

GORAKHPUR: शिक्षा मित्रों का समायोजन रद किए जाने की सूचना के बाद बुधवार को सीएम सिटी में उनका जुटान शुरू हो गया। फैसले के विरोध में शिक्षा मित्रों ने डायट परिसर से लेकर गोरखनाथ मंदिर तक प्रदर्शन किया। गोरखपुर के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि किसी संगठन ने गोरखनाथ मंदिर पर प्रदर्शन किया हो। शिक्षा मित्रों को रोकने में पुलिस के पसीने छूट गए। आनन-फानन में गोरखनाथ मंदिर का मेन गेट बंद करना पड़ा। जिसके बाद शिक्षा मित्र गेट पर ही धरने पर बैठ गए। घंटों कोशिश के बाद शाम 5.20 पर शिक्षा मित्र हटे तब जाकर पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली।

पुलिस भी थी तैयार

शिक्षा मित्रों की जिद थी कि वे गोरखनाथ मंदिर जाएंगे। जब तक वहां सीएम नहीं आएंगे तब तक वे वहां से नहीं हटेंगे। चारों तरफ से शिक्षा मित्र मंदिर पहुंचने लगे। पहले शिक्षा मित्र नार्मल परिसर में जुटे। वहां से गोरखनाथ मंदिर की तरफ आगे बढ़े तो पुलिस ने संघ के पदाधिकारियों को डायट परिसर में ही रोक लिया।

आखिर पहुंच ही गए मंदिर

पुलिस की निगरानी के बाद शिक्षा मित्रों ने अपनी रणनीति बदल ली और टुकडि़यों में बंट गए। पुलिस को इसकी सूचना मिली तो उसके हाथ-पांव फूल गए। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण था कि गोरखपुर के इतिहास में प्रदर्शन तो बहुत हुए लेकिन आज तक गोरखनाथ मंदिर पर कभी प्रदर्शन नहीं हुआ था। हालात की गंभीरता को समझते हुए पुलिस ने एसोसिएशन के नेताओं पर दबाव बनाया कि वे शिक्षामित्रों को वापस बुला लें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कुछ नेताओं ने कॉल भी किया लेकिन मंदिर की तरफ निकल चुके शिक्षा मित्र वापस नहीं हुए। इस दौरान पुलिस ने पदाधिकारियों समेत करीब 200 शिक्षामित्रों को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक डायट परिसर में ही रोकेरखा जिनमें उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष अजय सिंह, महामंत्री मनोज यादव, महासचिव राम दयाल यादव, संगठन मंत्री सुशील कुमार सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रागिनी सिंह, उपाध्यक्ष अफजाल समानी एवं अविनाश कुमार, संयुक्त मंत्री रामनिवास निषाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर संघ के अध्यक्ष गजाधर दूबे प्रमुख रूप से शामिल रहे।

पुलिस से भिड़ गई महिलाएं

कई गुटों में निकले शिक्षा मित्र आखिर मंदिर पहुंचने में कामयाब हो गए। जैसे ही शिक्षा मित्रों के मंदिर पहुंचने की सूचना मिली पुलिस के पसीने छूटने लगे। तत्काल मंदिर के गेट को बंद कर दिया गया और पुलिस वहां जम गई। इस क्रम में शिक्षा मित्र महिलाओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की कर आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुई। जिसके बाद वह गेट पर ही धरने पर बैठ गई। पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी वह मंदिर पर प्रदर्शन करने से शिक्षामित्रों को नहीं रोक पाई। इसके बाद शिक्षा मित्र मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग करने लगे। काफी समझाने-बुझाने के बाद शाम 5 बजे के बाद शिक्षा मित्र वहां से हटे तब प्रशासन ने राहत की सांस ली। इस दौरान कई शिक्षामित्रों के तबियत खराब होने से उन्हें गोरखनाथ चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।

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कॉलिंग

फैसले से हम सब हतप्रभ हैं। घर में मातम छा गया है। सरकार रोजगार देने की बात करती है और 17 साल से मिला रोजगार यहां छिन गया।

- रजनी, शिक्षामित्र

फैसला आने के बाद सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आना चिंतनीय है। सपा सरकार में जब हाईकोर्ट से फैसला आया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षामंत्री का सांत्वना भरा वक्तव्य जारी हुआ था। वह भी नहीं किया इस सरकार ने।

- बेचन सिंह, शिक्षामित्र

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बॉक्स

27 जुलाई को करेंगे शुद्धि बुद्धि यज्ञ

शिक्षामित्रों को संबोधित करते हुए अजय सिंह व गदाधर दूबे ने कहा कि राज्य सरकार को सोचने का दो दिन का मौका दिया जा रहा है। इन दो दिनों में शिक्षामित्रों के प्रति कोई सार्थक पहल नहीं होती है तो प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर लखनऊ में बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। 27 जुलाई को रानी लक्ष्मीबाई पार्क में जनपद के शिक्षामित्र एकत्रित होकर शुद्धि बुद्धि यज्ञ करेंगे। 28 जुलाई को बस्ती, गोरखपुर मंडल के शिक्षामित्र यहां आ रहे मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।