तो मौन समर्थन है!

जी हां, अब सवाल यही है कि पिछले दिनों मवाना और परतापुर में दो युवतियों के साथ हुए तेजाब की घटना के बाद से डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस डिपार्टमेंट चुप क्यों बैठे हैं? आखिर क्या वजह है कि दोनों ही डिपार्टमेंट अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहे हैं?  क्या दोनों ही डिपार्टमेंट के अधिकारियों को लोगों खासकर महिलाओं की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है? आखिर वजह क्या है कि दोनों डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने तेजाब की खुलेआम बिक्री पर रोक लगाने में देर कर रही है। या यूं कहें कि तेजाब की अवैध रूप से बिक्री और गलत तरीके से तेजाब बेचने को लेकर दोनों डिपार्टमेंट के अधिकारियों का मौन समर्थन है। ये पब्लिक कह रही है।

छह दिन, रिजल्ट जीरो

28 दिसंबर को संकल्प संस्था ने डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन में धरना प्रर्दशन करने के बाद एडीएम सिटी को ज्ञापन सौंपा था। जिसके बाद उन्होंने विश्वास दिलाया था कि इललीगल तेजाब बेचने वालों पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उन्होंने एसएसपी को लेटर भी लिखा था। इस बात को छह दिन बीत चुके हैं। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। न तो दुकानदारों से पूछा गया कि उनके पास तेजाब बेचने का लाइसेंस है या नहीं। अगर नहीं है तो क्यों नहीं? तमाम ऐसे सवाल बन सकते थे, लेकिन पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया।

आखिर किस दिन का है इंतजार?

डिस्ट्रिक्ट डिपार्टमेंट हो या पुलिस डिपार्टमेंट आखिर दोनों ही किस दिन का इंतजार कर रहे हैं? क्या वो कुछ दिन पहले मवाना हुई घटना का इंतजार कर रहे हैं? क्या 29 जून 2005 को प्रतिमा और भावना के साथ हुई घटना दोनों ही डिपार्टमेंट भूल चुकी है। जी हां, लगता तो कुछ ऐसा ही है। पब्लिक का साफ कहना है कि प्रशासन और पुलिस उनके लिए है ही नहीं। दोनों ही डिपार्टमेंट के अधिकारी उस दर्द को नहीं जानते जब शरीर पर तेजाब पड़ता है। उन बातों और तानों को नहीं सुनते जो किसी लड़के और लड़की के खराब चेहरे को देखकर समाज देता है। रिश्तेदार दूर भागने लगते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का भी डर नहीं

ताज्जुब की बात तो ये है कि छह महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेशों की खुले रूप में अवहेलना की जा रही है। जी हां, कई प्रशासनिक अधिकारियों को इस रूलिंग्स के बारे में जानकारी तक नहीं है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने एसिड हमले की शिकार दिल्ली निवासी लक्ष्मी की जनहित याचिका पर सरकार को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए थे। लक्ष्मी ने एक लड़के से विवाह के लिए इंकार कर दिया था। इस पर लड़के ने उसे तेजाब से जला डाला। 2006 में लक्ष्मी ने जनहित याचिका दायर कर तेजाब की बिक्री पर पाबंदी लगाने की मांग की थी। 18 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि एक सप्ताह में तेजाब की बिक्री संबंधी मॉडल रूल्स राज्यों को भेजें। राज्य सरकारें उसी आधार पर तीन महीने में नियम कानून बनाए।

'सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग्स का पालन होना काफी जरूरी है। मैं इससे अपने लेवल पर देखूंगा। अपने अधीनस्थ अधिकारियों से बात करूंगा.'

- के सत्यनारायण, डीआईजी, मेरठ रेंज

'अभी तक मुझे न तो एसएसपी और न ही संबंधित डीआईजी की ओर से न तो कोई रिप्लाई आया। लेटर भेजने के एक हफ्ते बाद रिमाइंडर सेंड करूंगा.'

- एसके दुबे, एडीएम सिटी

'तेजाब एक ऐसा हथियार जो लड़के के ऊपर गिराया जाए या फिर किसी लड़की के ऊपर पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाती है। अगर मीडिया के माध्यम से तेजाब बनने के जानकारी मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी.'

- मनीषा सिंह, पुलिस उपाधीक्षक, सदर रेंज

'पहले तो दुकानदारों को इस बारे में सोचना चाहिए कि इतनी खतरनाक चीज खुले रूप में न सेल करें। अगर करते हैं तो उनके पास लाइसेंस होना चाहिए। वरना उन पर सुप्रीम कोर्ट का कंटैंप्ट झेलना झेलना पड़ेगा। पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन को भी एक्टिव होना पड़ेगा। कोर्ट उनसे भी जवाब तलब कर सकती है.'

-  गीता गर्ग, एडवोकेट

'सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग आने के बाद खुलेआम तेजाब की बिक्री सुप्रीम कोर्ट का कंटैंप्ट है। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। मैं कैंपेन में आई नेक्स्ट के साथ हूं। मैं खुद इसे पर्सनली देखूंगा.'

- संदीप पहल, एडवोकेट

'जो हम दोनों बहनों खासकर मेरी छोटी बहन के साथ हुआ मैं नहीं चाहूंगी कि वो किसी और बहन के साथ हो। मैं एडमिनिस्ट्रेशन और से दरखास्त करूंगी गली-गली में बिकने वाले तेजाब पर रोक लगाए। ये सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी कोई घटनाएं न हो। एटलीस्ट खुलेआम तेजाब तो बिकना बंद हो ही जाए.'

- प्रतिमा, तेजाब पीडि़ता