अधिनियम बनाकर स्कूलों की मनमानी रोकने की थी तैयारी

फीस वृद्धि समेत अन्य कई मदों को लेकर सरकार ने की थी तैयारी

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PRAYAGRAJ: नए सत्र के साथ ही प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से पैरेंट्स से अलग-अलग फीस के नाम पर वसूली शुरू कर देते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को राहत देने और स्कूल की मनमानी रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से लास्ट इयर फीस वृद्धि नियामक अधिनियम 2018 का गठन किया गया. ताकि जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में टीम बनाकर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को रोका जा सके. अधिनियम का गठन किए करीब एक साल हो गया, लेकिन अब भी ये सिर्फ कागजों तक ही सिमटा है. प्राइवेट स्कूलों की मनमानी जारी है.

नहीं हो सकी समिति की मीटिंग

अधिनियम बनने के करीब एक साल बीतने के बाद भी अभी तक जिले में जिला समिति की मीटिंग नहीं हो सकी. जबकि सत्र शुरू हुए दो दिन का समय बीत गया और स्कूलों की मनमानी जारी है. कोई फीस वृद्धि करके वसूली में लगा है तो कोई फीस से ज्यादा किताबों से कमाने की कोशिश में है. ऐसे में जिला समिति एक्टिव नहीं होने से कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

अधिनियम में शामिल प्रमुख बातें

- प्रत्येक मान्यता प्राप्त स्कूल प्रमुख, प्रत्येक शैक्षिक सत्र प्रारम्भ होने के पूर्व समुचित प्राधिकारी को, आगामी वर्ष में लिए जाने वाले शुल्क का विवरण प्रस्तुत करेगा

- शैक्षणिक वर्ष में प्रवेश शुरू होने के साठ दिन पूर्व वेबसाइट पर शुल्क का विवरण अपलोड करेगा एवं सूचना पट्ट पर प्रकाशित भी करेगा

- फीस विवरण प्रकाशित किए जाने के समय स्कूल की तरफ से भुगतान मासिक या त्रैमासिक या अ‌र्द्धवार्षिक किस्तों में किए जाने के बारे में जानकारी देगा

- कोई स्कूल समुचित प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति के उप धारा 4 के अधीन समुचित प्राधिकारी के लिए पूर्व निर्धारित शुल्क से अधिक कोई शुल्क लागू नहीं करेगा

- प्रत्येक मान्यता प्राप्त स्कूल यह सुनिश्चित करेगा कि कोई कैपिटेशन शुल्क लागू न किया जाए

- स्कूल की ओर से पांच निरंतर शैक्षणिक वर्षो में स्कूल यूनिफार्म में परिवर्तन नहीं किया जाएगा. यदि परिवर्तन करता है तो वह जनपदीय शुल्क नियामक समिति के पूर्व अनुमोदन से समुचित औचित्य के साथ किया जाएगा

- स्कूल में नवीन प्रवेश के समय प्रथम बार ही एडमिशन शुल्क लिया जाए