बीबीसी हिंदी से ख़ास बातचीत में सिंगापुर के प्रधानमंत्री दफ़्तर में मंत्री और साथ ही गृह और वाणिज्य मामलों के भी मंत्री एस ईस्वरन ने इन आरोपों का खंडन किया कि सरकार ने यह फ़ैसला जल्दबाज़ी में लिया.

सिंगापुर के कुछ स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार लाखों की संख्या में सिंगापुर में काम कर रहे अप्रवासी मज़दूर बेहद ख़राब परिस्थितियों में रहते हैं और इस कारण वो सिंगापुर सरकार से नाराज़ थे और प्रतिक्रियास्वरूप यह घटना हुई.

मगर एस ईस्वरन ने कहा कि उनकी सरकार ने ऐसी शिकायतों से निपटने के पुख़्ता इंतज़ाम किए हैं और सरकार किसी भी हिंसक कार्रवाई से सख़्ती से निपटेगी.

दरअसल आठ दिसंबर को एक सड़क दुर्घटना में एक भारतीय की मौत के बाद भड़की हिंसा को सिंगापुर में पिछले 40 सालों की सबसे गंभीर घटना बताया गया था.

एस ईस्वरन ने कहा कि ट्रैफ़िक हादसे के बाद लोगों की भीड़ की हिंसक प्रतिक्रिया गैरक़ानूनी थी और घटना काफ़ी गंभीर थी.

भारतीयों को वापस भेजना जायज़: सिंगापुर

उन्होंने कहा, "इस घटना का कारण चाहे जो भी हो, सरकार की स्थिति स्पष्ट है कि किसी भी गैरक़ानूनी कार्रवाई को न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता, चाहे इसमें स्थानीय लोग शामिल हों या विदेशी."

लोगों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई पर उनका कहना था कि अगर सिंगापुर में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है या जानमाल का ख़तरा होता है तो सरकार को क़ानून के मुताबिक़ क़दम उठाने होंगे.

कार्रवाई

एस ईस्वरन ने बीबीसी हिंदी से कहा, "इस घटना के बाद पुलिस ने दंगे रोकने के लिए कार्रवाई की और इसके बाद जांच की. जो सबूत मिले, उनके आधार पर पुलिस ने तीन समूहों के खिलाफ कार्रवाई की.''

उनका कहना था, "ट्रैफ़िक दुर्घटना के बाद पुलिस ने जो जांच की, उसमें पाया कि इस हिंसा में 28 लोगों का समूह सक्रिय रूप से शामिल था, जिन्होंने हिंसा की. सार्वजनिक संपति को नुकसान पहुंचाया और पुलिस आदेश का विरोध किया और लोगों को इस हिंसा में शामिल होने के लिए उकसाया.

भारतीयों को वापस भेजना जायज़: सिंगापुर

ईस्वरन ने बताया कि जांच के बाद 53 लोगों के गुट की पहचान की गई, जिन्हें पुलिस ने घटनास्थल से हटने को कहा था, लेकिन वे नहीं हटे.

ईस्वरन के अनुसार इन लोगों को कड़ी चेतावनी दी गई थी और प्रवासन कानून के तहत स्वदेश लौटने के आदेश दिए गए. इनमें से 52 लोग भारत के थे और एक बांग्लादेश से था.

जांच

एक तरफ़ जहां स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ता अप्रवासी मज़दूरों की ख़राब मानवीय स्थिति को हिंसा का कारण बता रहे हैं, वहीं एस ईस्वरन के मुताबिक़ "इस मामले में अटकलें लगाना मुश्किल है. हमने इस मामले में पुलिस जांच के अलावा एक कमेटी बिठाई जो इस मामले की पूरी जांच करेगी. साथ ही यह भी देखा जाएगा कि क्या क़दम उठाए जाने चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.''

भारतीयों को वापस भेजना जायज़: सिंगापुर

एक तरफ़ जहां सरकार कमेटी की जांच रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है, क्या मज़ूदूरों को वापस उनके देश वापस भेजने की कार्रवाई जल्दबाज़ी में लिया गया क़दम नहीं है? एस ईस्वरन इस सवाल से बचते हुए प्रतीत हुए.

उनका कहना था कि सिंगापुर में बहुत से अप्रवासी मजदूर काम करते हैं और सरकार उनके योगदान को समझती है.

उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने इस तरह की हिंसक प्रतिक्रिया की है, वो एक छोटा समूह है. हम नहीं चाहेंगे कि यह समूह उन लोगों की छवि भी ख़राब करे, जो सालों से यहां रह रहे हैं."

ईस्वरन के अनुसार सिंगापुर में मौजूद भारतीय दूतावास को इस घटना और उससे संबंधित कार्रवाई के बारे में पूरी जानकारी दे दी गई है और सिंगापुर के विदेश मंत्री भारत में अपने समकक्ष से संपर्क में हैं.

International News inextlive from World News Desk