केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के निर्देश पर पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने सोमवार सुबह सेंट्रल रेंज के संयुक्त आयुक्त एसके गौतम के नेतृत्व में पांच अधिकारियों की विशेष जांच टीम गठित की है. टीम ने सागर रत्ना रेस्तरां पहुंचकर करीब दो घंटे तक जांच की। इस दौरान रेस्तरां के मैनेजर व घटना वाली रात मौजूद वेटरों आदि के बयान दर्ज किए गए. मनोज के परिजन सोमवार को भी गृह मंत्री से मिलने उनके आवास पहुंचे. परिजनों ने बताया कि अगर वे लोग एसआइटी की जांच से संतुष्ट नहीं होंगे तो बाद में सीबीआइ को जांच सौंप दी जाएगी. स्पेशल सेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुठभेड़ को सही बताते हुए कहा कि जिस समय मुठभेड़ हुई मनोज वशिष्ठ के साथ चार महिलाओं समेत छह लोग बैठे थे. रेस्तरां में करीब 40-50 लोगों की भीड़ थी.

सीसीटीवी फुटेज में रिवाल्वर निकालते नहीं दिखे मनोज

इसबीच शनिवार रात को मनोज वशिष्ठ और दिल्ली पुलिस के दस्ते के बीच हुई मुठभेड़ के बारे में सामने आए सीसीटीवी फुटेज में यह खुलासा हुआ है कि दो पुलिसकर्मियों की मनोज के साथ खींचतान हुई और उसके बाद गोली लगने से वह गिर पड़ा. लेकिन फुटेज की खराब क्वालिटी के चलते दिल्ली पुलिस का यह दावा पक्का नहीं हो पाया है कि वशिष्ठ ने पहले गोली दागी और तब  पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की थी.  

मौत से पहले कहां गए मनोज

सागर रत्ना रेस्तरां पहुंचने से पहले शनिवार को मनोज राष्ट्रीय लोकदल के नेता चौधरी अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी से मिले थे. उनके चालक अनु यादव ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे वह घर से निकले थे. शेवरलेट की कैप्टिवा कार से वह सीधे वसंत कुंज पहुंचे, जहां जयंत सिंह से मुलाकात की. इसके बाद चार बजे वह उत्तर प्रदेश भवन गए. शाम करीब सात बजे उत्तर प्रदेश भवन से बाहर आने के बाद वह सीधे सागर रत्ना रेस्तरां पहुंचे.

 

शव नहीं लेंगे परिजन

पुलिस एनकाउंटर में मारे गए मनोज वशिष्ठ के शव का सोमवार को लेडी हार्डिंग अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया. मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे मृतक के परिजनों ने शव लेने से इन्कार कर दिया. परिजन शाम को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आवास तक कैंडल मार्च निकालना चाह रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया. इससे नाराज परिजन अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए हैं.

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