-बीएचयू में सितंबर तक तैयार हो जाएगा बायो वेस्ट डीजल प्लांट

-प्लास्टिक कचरे के सदुपयोग के साथ पॉल्यूशन से मिलेगी मुक्ति

स्मार्ट सिटी बनारस में कचरे से बिजली पैदा करने की कवायद के क्रम में अब प्लास्टिक कचरे से डीजल उत्पादन करने की भी तैयारी हो रही है। हालांकि की इसमें अभी दो माह का वक्त लगेगा। अमेरिकी संस्था रीन्यू ओशन द्वारा प्लास्टिक कचरे से बायो डीजल बनाने का प्लांट सितम्बर महीने चालू करने की तैयारी है। पायरोलिसिस तकनीक पर आधारित प्लांट लगने से शहर से निकले वाले प्लास्टिक कचरे का जहां सदुपयोग होगा, वहीं इससे होने वाले पॉल्यूशन से भी लोगों को मुक्ति मिलेगी।

बीएचयू कैंपस में होगा प्लांट

आईआईटी बीएचयू और रीन्यू ओशन के बीच हुए एक समझौते के तहत बायो डीजल प्लांट बीएचयू कैंपस में लगाने का फैसला लिया गया है। इसे लगाने का काम शुरू हो गया है। फाउंडेशन का काम पूरा होते ही पुणे से प्लांट लाया जाएगा। शुरुआत में आईआईटी कैंपस के हॉस्टल्स से निकलने वाले कचरे का इस्तेमाल होगा। इसके बाद यहां नगर निगम के अलावा शहर के अन्य स्थानों से आने वाले कचरे को भी लेना शुरू किया जाएगा।

टोकन से मिलेगा डीजल

आईआईटी एक्सपर्ट की मानें तो बीएचयू कैंपस में प्लांट चालू होने पर प्लास्टिक कचरा जमा करने के लिए यहां तीन कलेक्शन सेंटर बनाए जाएंगे। जहां प्लास्टिक कचरा जमा करने पर टोकन दिया जाएगा। टोकन को दिखाकर संबंधित व्यक्ति बायो डीजल ले सकेगा। फिलहाल इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।

मेडिकल वेस्ट से बनेगी बिजली

बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट समेत अन्य कचरे से बिजली बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए इजराइल की कंपनी वेस्ट टू एनर्जी के साथ 25 साल का एग्रीमेंट हुआ है। वेस्ट टू एनर्जी कंपनी यहां जल्द ही पांच हजार वर्ग मीटर एरिया में कचरे से बिजली बनाने का प्लांट लगाएगी।

3.5 मेगावाट बिजली का उत्पादन

प्लांट में गैसीफायर तकनीक से कचरे को गलाकर टरबाइन के द्वारा 3.5 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस बिजली का इस्तेमाल ट्रामा सेंटर व एसएस हॉस्पिटल में लगे एसी प्लांट में उपयोग किया जाएगा। बिजली के एवज में विश्वविद्यालय को कोई शुल्क अदा नहीं करना होगा। इसके अलावा इससे जैविक खाद भी मिलेगी।

प्लांट चालू होने पर प्लास्टिक कचरा जमा करने के लिए तीन कलेक्शन सेंटर खोले जाएंगे। यहां प्लास्टिक कचरा जमा करने पर टोकन दिया जाएगा। जिसके आधार पर संबंधित व्यक्ति बायो डीजल ले सकेगा।

प्रो। पीके मिश्रा, आईआईटी -केमिकल इंजिनियरिंग विभाग