छात्रसंघ को रचनात्मकता का मंच बनाने की चुनौती

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व के छह छात्रसंघ अपने उद्देश्य व लक्ष्य में रहे फेल

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद में निर्वाचित छात्रसंघ अस्तित्व में आ चुका है। छात्रों की नई सरकार ने कुर्सी भी संभाल ली है। छात्रों के नुमाइंदों पर अब जिम्मेदारी है कि उन्होंने जो चुनावी वादे किये हैं, उन्हें एक-एक कर पूरा करें। छात्रसंघ को रचनात्मकता का मंच प्रदान करें। बता दें कि चुनाव पूर्व अपनी कैम्पेनिंग के दौरान छात्रसंघ के पदाधिकारियों ने अपने-अपने एजेंडे पर चुनाव प्रचार किया था। सबके अपने दावे और वादे थे।

जेल में बीता महामंत्री का कार्यकाल

बात चुनावी वादों को पूरा करने की हो तो पूर्व के छात्रसंघों की कार्यशैली की चर्चा भी जरूरी है। 2012 से 2016 तक के चुनावों में बने पांच छात्रसंघ में कोई भी ऐसा नहीं रहा जो अपने दावे और वादों पर खरा उतरा हो। वर्ष 2012 के पहले चुनाव में अध्यक्ष की कुर्सी संभालने वाले दिनेश सिंह यादव पूरे समय अपनी कुर्सी ही बचाने में लगे रहे। अन्तत: गलत तरीके से चुनाव लड़ने के कारण उनका निर्वाचन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज किया। इसके अलावा वीसी ऑफिस में घुसकर मारपीट के आरोप में पूर्व कुलपति प्रो। एके सिंह ने अध्यक्ष दिनेश को निष्कासित और उपाध्यक्ष शालू यादव को निलंबित कर दिया। इस वर्ष महामंत्री चुने गये अभिषेक सिंह माइकल का पूरा कार्यकाल जेल में ही बीता था।

चुनाव जीतकर गायब होने की परंपरा

वर्ष 2013 में चुनकर आये अध्यक्ष स्व। कुलदीप सिंह केडी भी कुछ खास नहीं कर सके। उनके साथ चुनकर आये उपाध्यक्ष विपिन सिंह, महामंत्री गौरव सिंह बादल समेत अन्य पदाधिकारी भी पूरे समय कैम्पस से गायब रहे। वर्ष 2014 में अध्यक्ष बने भूपेन्द्र सिंह यादव, उपाध्यक्ष नीलू जायसवाल, महामंत्री संदीप यादव झब्बू के अलावा बाकी पदाधिकारियों का पूरा कार्यकाल सन्नाटे में बीत गया। वर्ष 2015 में आजादी के बाद चुनी गई पहली महिला अध्यक्ष ऋचा सिंह का कार्यकाल सबसे ज्यादा हंगामेदार रहा। गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के छात्रसंघ उद्घाटन समारोह में आने का विरोध करके सुर्खियां बटोरने वाली ऋचा भारतीय अमेरिकी पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन के कार्यक्रम को लेकर भी विवादों में रहीं। इनका पूरा कार्यकाल एबीवीपी के बाकी चार छात्रसंघ पदाधिकारियों के साथ तनातनी को लेकर चर्चाओं में रहा। इस दौरान वीसी प्रो। आरएल हांगलू से उनकी खटास भी जगजाहिर रही।

निलंबन और कैम्पस प्रवेश तक बैन

वर्ष 2015 का सिलसिला 2016 में भी जारी रहा। छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्रा और उपाध्यक्ष आदिल हमजा साहिल पूरे समय आन्दोलन ही करते रह गये। इनके कार्यकाल का अंतिम दौर आते आते रोहित मिश्रा को वीसी ने निलंबित कर दिया और अध्यक्ष रोहित व उपाध्यक्ष आदिल हमजा के कैम्पस प्रवेश पर बैन लगा दिया गया। महामंत्री शिव बालक यादव एवं संयुक्त सचिव अभिषेक पांडेय तो कैम्पस में सक्रिय ही नहीं रहे। सांस्कृतिक सचिव स्व। मनीष सैनी की मौत चुनाव जीतने के बाद एक मार्ग दुर्घटना में हो गई थी।

ये थे चुनावी वादे

क्लासेस चलवायेंगे।

छात्र-छात्राओं के लिये छात्रावासों में वृद्धि

छात्रावासों एवं विभिन्न पाठ्यक्रमों की बढ़ी हुई फीस के खिलाफ संघर्ष

कैंटीन की संख्या में बढ़ोत्तरी

सेंट्रल लाइब्रेरी से सभी को किताबें इश्यू करवाना

सभी विभागों में लाइब्रेरी व लैब की सुविधा बढ़ाना और बुक्स की संख्या में बढ़ोत्तरी

शिक्षकों की कमी को पूरा करवाना

कैम्पस और हास्टल में स्वच्छ पानी व 24 घंटे बिजली आपूर्ति करवाना

छात्रावासों में सब्सिीडी युक्त मेस चलवाना

परिसर में अराजकता के माहौल पर लगाम व छात्राओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करवाना।

विवि में हेल्थ सेंटर की स्थापना, छात्रों का बीमा

साफ सुथरे शौचालय, वाशरूम, कॉमन रूम की व्यवस्था

छात्रसंघ को आम छात्र-छात्राओं के प्रति जवाबदेह बनाना आदि

छात्रसंघ के उद्देश्य एवं लक्ष्य

छात्रसंघ छात्रों को जनतंत्र की संस्कृति, उनके अनुभव एवं सामाजिक सरोकारों के साथ रचनात्मक संवाद स्थापित करने का मंच होगा

भारतीय संविधान के खंड 4 (क) में उल्लिखित मौलिक कर्तव्यों के परिप्रेक्ष्य में छात्रों में देशभक्ति, सामाजिक चेतना, मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता, विस्तृत मानसिकता, ह्दय की विशालता, सहयोग की भावना, अनुशासनप्रियता व आदर्श नागरिक आचरण का विकास करेगा

संस्था के सामाजिक लक्ष्यों की पूर्ति हेतु अकादमिक एवं सामाजिक विषयों पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, विचार गोष्ठी एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का उन्नयन

विद्यार्थियों के शैक्षिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का उन्नयन