RANCHI : कहावत है- पानी बिन सब सून। कंक्रीट में तब्दील होती सिटी के लिए परीक्षा की घड़ी आ चुकी है। गर्मी चढ़ते ही हर तरफ पानी को लेकर जद्दोजहद है। ये मौसम भी इशारा कर रहा है कि अब नहीं सुधरे तो कल हलक की प्यास बुझाना आसान नहीं होगा। दरअसल, राजधानी के छह इलाकों में भूमिगत जलस्तर अपनी सीमाएं तोड़ते हुए पाताल में जाने को तैयार है। आलम ये है कि सरकार ने भी इन इलाकों को क्रिटिकल जोन घोषित कर रखा है। कई इलाकों में वाटर लेवल 400 फीट नीचे जा चुका है, दस साल पहले 200 फीट था।

आबादी बढ़ी, फैसिलिटी नहीं

राजधानी रांची की आबादी बीते दस साल पहले जहां 8 लाख हुआ करती थी, वहीं अब यह आबादी बढ़कर 13 लाख के आसपास पहुंच चुकी है। आबादी में करीब 25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, वहीं सुविधाओं की बाद करें तो आज भी राजधानी की 60 फीसदी आबादी भूमिगत जल पर ही निर्भर है। राजधानी के बड़े इलाके आज भी पाइपलाइन के पानी से वंचित है। हालांकि कई इलाकों में वाटर सप्लाई लाइन का काम हो रहा है लेकिन काम की गति इतनी धीमी है कि आने वाले पांच सालों में भी पूरी रांची को टैब वाटर मिलने की संभावना दिखाई नहीं देती है।

कई तालाबों का वजूद खत्म, नहीं बने नए डैम

राज्य गठन के 17 साल बीतने के बाद भी आज तक किसी भी नये डैम का निर्माण नहीं किया गया जो विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े करते हैं। एक वक्त ऐसा भी था जब रांची में 100 से ज्यादा तालाब हुआ करते थे लेकिन अंधाधुंध कंक्रीट के निर्माण ने इन तालाबों को भी निगल लिया। आज राजधानी में मात्र 42 तालाब ही बचे हैं जिनमें से ज्यादातर की स्थिति दयनीय बनी हुई है।

80 परसेंट घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं

राजधानी के 80 फीसदी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का इंतजाम नहीं है। हालांकि निगम की ओर से हार्वेस्टिंग के लिये भवन के मालिकों पर दवाब डाला जा रहा है लेकिन सजगता दिखाई नहीं देती है।

विभिन्न इलाकों में भूमिगत जल की स्थिति

एरिया 2008 2018

कांके रोड 150 फीट 300 फीट

रातू रोड 145 फीट 320 फीट

हरमू हाउसिंग 170 फीट 350 फीट

बूटी मोड़ 140 फीट 270 फीट

डोरंडा 190 फीट 370 फीट

धुर्वा 210 फीट 430 फीट

कोकर (पश्चिम) 180 फीट 350 फीट

(इलाकों में बोरिंग कराने वालों से एकत्र आंकड़े)