सेहत के लिए बेहद हानिकारक है पॉलीथिन

पॉलीथिन और प्लास्टिक से हो सकती हैं कई जानलेवा बीमारियां

Meerut। पॉलिथिन न सिर्फ पर्यावरण के लिए जहर है बल्कि कई जानलेवा और खतरनाक बीमारियों की भी जड़ है। कभी न सड़ने और गलने वाली पॉलिथिन ने जहां शहर के नाले -सड़कें जाम कर दी हैं। वहीं यह लोगों के साथ-साथ बेजुबान जानवरों की जिंदगी के लिए भी खतरा बन गई है। डॉक्टर्स की मानें तो पॉलिथिन से लोगों में स्किन इंफेक्शन से लेकर कैंसर जैसी बीमारियां तक पनप रही हैं।

सेहत के लिए खतरनाक

पॉलीथिन या प्लास्टिक का प्रयोग सेहत के लिए सबसे ज्यादा घातक है। इनमें मौजूद केमिकल और कार्बन से बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा होता है। फिजिशयन सुनील कौशिक के मुताबिक खाने की अधिकतर चीजें पॉलिथिन और प्लास्टिक में पैक होकर आती हैं। जिससे इसमें मौजूद केमिकल और कार्बन खाने में पहुंच जाते हैं। कार्बन शरीर में मेटाबॉलिज्म को बेहद कम कर देता है, जिससे खाने मे मिले प्लास्टिक के केमिकल्स शरीर में ही घूमते रहते हैं। इससे स्किन, लीवर, पेनक्रियाज से लेकर शरीर के सभी पा‌र्ट्स इफेक्ट होने के साथ ही हार्मोनल इमबैंलेंस होता है। कैंसर की आशंका बढ़ भी जाने के साथ ही शुगर और हार्ट डिजीज का खतरा भी बढ़ जाता है।

कलर्ड प्लास्टिक है ज्यादा खतरनाक

सर्जन डॉ। वीपी ंिसंह के मुताबिक पॉलिथिन और प्लास्टिक को कलर करने के लिए इसमें कैडमियम, जिंक व कुछ अन्य एसिड्स मिलाए जाते हैं। जब इस कलर्ड प्लास्टिक का इस्तेमाल खाद्य पदार्थो के लिए किया जाता है तो प्लास्टिक में मौजूद खतरनाक तत्व खाने में मिल जाते हैं। कैडमियम की हल्की सी मात्रा से ही उल्टियां होने लगती हैं। जबकि दिल का आकार बढ़ने जैसी समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा जिंक से दिमाग के ट्शि्यूज डेमेज होने लगते हैं। मानसिक विकास रुक जाता है और सोचने व समझने की शक्ति भी कम हो जाती है। दिमाग में ऑक्सीजन का लेवल और खून का प्रवाह बेहद कम हो जाता है। गर्मी व धूप से प्लास्टिक में जहरीले रिएक्शन होते हैं और इससे कैंसर आदि का खतरा भी बना रहता है।

निकलती है खतरनाक गैस

छाती रोग स्पेशलिस्ट डॉ। वीरोत्तम के मुताबिक पॉलिथिन कचरा जलाने से कार्बन-डाई-ऑक्साइड, कार्बन-मोनो- ऑक्साइड, एसीटोन, मिथलाइल क्लोराइट, टूलीन आदि गैसे निकलती हैं। इन गैसों की वजह से सांस, स्किन की बीमारियों की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इसमें से कई गैसे कैंसर का कारक बनती हैं। इन गैसों से गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बूढे लोगों को सबसे ज्यादा खतरा होता हैं। गर्भवती महिलाओं के शिशु का विकास रुक जाता है और प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचता है। लिवर एंजाइम भी इंबैलेंस हो जाते हैं।

बेजुबानों को भी खतरा

पॉलिथिन से इंसान ही नहीं बेजुबानों को भी खतरा रहता है। जानवर अगर पॉलिथिन को निगल लेता है तो उसकी जान भी जा सकती हैं। पशु रोग एक्सपर्ट डॉ। सांई के मुताबिक पॉलिथिन का पाचन नहीं होता है, जिससे यह जानवरो की आंतों और गले में चिपक जाती हैं। जिससे अधिकतर जानवरों की मौत हो जाती है।

पॉलिथिन का प्रयोग बेहद खतरनाक है। इससे कई प्रकार के कैंसर होने की संभावना होती है। पॉलिथिन और प्लास्टिक का मामूली प्रयोग भी जानलेवा हो सकता है।

डॉ। उमंग मित्थल, कैंसर स्पेशिलस्ट, मेरठ कैंसर हॉस्पिटल

'बैन तो ठीक पर उत्पादन भी बंद हो'

शहर में पहले दिन पॉलीथिन बैन का मिलाजुला असर देखने को मिला। शहर के कई प्रतिष्ठानों ने ग्राहकों को कपड़े के बैग्स बांटे। आम लोगों का कहना है कि पॉलीथिन बैन तो ठीक है लेकिन इसके उत्पादन पर ही रोक लगनी चाहिए।

प्लास्टिक की थैली पूरी तरह से बैन होनी चाहिए इससे कई तरह का नुकसान होता है।

शुभम

पॉलीथिन पूरी तरह से बैन नही हो सकती है। सबसे पहले तो इनके उत्पादन पर ही रोक लगनी चाहिए।

सचिन

नगर निगम द्वारा कई बार इस पर अभियान चलाया जा चुका है। लेकिन पॉलीथिन बंद नहीं हुई, जरूरी है कि फैक्ट्रियों पर ही नकेल कसी जाए।

सुशील