बेधडक़ चल रहा है। इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। ये है ‘गरम गोश्त’ का कमेला। कबाड़ी बाजार में चलता है ये कमेला। यहां जिस्म की मंडी सजती है। जानवरों की तरह इंसानी जिस्म का सौदा होता है। जानवरों के कमेले से छुटकारे के बाद लोग इस गरम गोश्त के कमेले से भी निजात चाहते हैं। है कोई जो मेरठ को इस कलंक से आजाद कराए

जिस्म की मंडी
कहते अच्छा नहीं लग रहा लेकिन कबाड़ी बाजार में सजने वाली जिस्म की मंडी मेरठ की पहचान बन चुकी है। बाहरी लोगों के बीच मेरठ की बात होती है तो इस मंडी का जिक्र जरूर आता है। पूरी तरह से अवैध ये बाजार सदियों पुराना है। अंग्रेजों के आने से भी पहले मुगल काल के वक्त जिस्म का ये बाजार यहां बसा था। तब से अब तक बहुत कुछ बदला। देश आजाद हुआ। सल्तनत बदली, सत्ताएं बदलीं लेकिन ये बाजार वहीं का वहीं रहा.

कुछ सिमटा जरूर
बताते हैं कि ये बाजार पहले नील गली वैली बाजार तक फैला हुआ था। लेकिन काफी समय से कबाड़ी बाजार में सिमट गया है। इस बाजार में रोज नए सौदे होते हैं। रोज नए जिस्म आते हैं और नए सौदागर। कहने को इस बाजार में सिर्फ नाच-गाना (मुजरा) होता है। लेकिन सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। कई बार यहां पुलिस-प्रशासन ने छापा मारा। नाबालिग लड़कियां यहां से आजाद कराईं लेकिन ये धंधा रुका नहीं बल्कि और फलता-फूलता रहा.

क्या हैं हालात
सरकारी आंकड़ों के अनुसार कबाड़ी बाजार में कुल 102 सेक्स वर्कर्स हैं। 74 परिवारों के बकायदा राशन कार्ड बने हुए हैं। लेकिन असलियत इससे कहीं जुदा है। एक एनजीओ के सर्वे के अनुसार यहां करीब 60 बिल्डिंग हैं। एक इमारत में तीन-चार कोठे चलते हैं। एक कोठे पर औसतन दस सेक्स वर्कर्स रहती हैं। इस तरह एक हजार से 1100 सेक्स वर्कर्स कबाड़ी बाजार में हैं। लगभग तीन हजार लोग इस नेक्सस से जुड़े हुए हैं। इनमें बच्चे, दलाल, आउटडेटेड सेक्स वर्कर्स भी शामिल हैं. 

कहां से आती हैं
जिस्म की इस मंडी में देश और देश के बाहर से भी लड़कियां लाई जाती हैं। नेपाल, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार से यहां लड़कियां पहुंचती हैं। बाजार में बैठे दलाल इन लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। इन्हें बहला-फुसलाकर काम दिलाने के बहाने लाया जाता है। फिर मारपीट कर इन्हें जिस्म की मंडी में बिकने के लिए धकेल दिया जाता है। लड़कियां एक हद तक ही विरोध कर पाती हैं, इसके बाद टूट जाती हैं.

कितने रेस्क्यू ऑपरेशन
MEERUT : इस मंडी में जबरदस्ती धकेली गईं लड़कियों को बचाने के लिए अभी तक सैकड़ों रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जा चुके हैं। सरकारी स्तर पर उन लड़कियों को रेस्क्यू कराया गया जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम थी। इसके साथ ही जबरन लाई गई लड़कियों को भी यहां से आजाद कराया गया.

आजाद कराईं
इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्था संकल्प का दावा है कि उसने अभी तक के रेस्क्यू ऑपरेशन में 437 लड़कियां छुड़ाई हैं। 17 सालों से ये संस्था इस क्षेत्र में है। वहीं, लोकल एडमिनिस्ट्रेशन पर भी लड़कियों को इस धंधे से आजादी दिलाने की जिम्मेदारी है। जिला उद्धार अधिकारी की जिम्मेदारी इसी काम की है। इस सरकारी महकमे ने अप्रैल 2011 से मार्च 2012 तक मेरठ, गाजियाबाद और बुलंदशहर में 13 रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए। इनमें 75 लोगों गिरफ्तार किया गया। जिसमें 60 महिलाएं और 15 पुरुष थे। अकेले मेरठ में सबसे ज्यादा 40 महिलाएं और 11 पुरुष गिरफ्तार किए गए.

सरकारी आंकड़े
कुल सेक्स वर्कर - 102
कुल कोठे - करीब सौ

प्राइवेट सर्वे का सच
कुल बिल्डिंग - 60
एक बिल्डिंग में कोठे - करीब तीन
एक कोठे पर औसतन वर्कर्स - दस
कुल सेक्स वर्कर - 1100
धंधे से जुड़े लोग - तीन हजार

इस बाजार को कभी खत्म नहीं किया जा सकता। क्योंकि यहां आने वाली लड़कियों की सामाजिक स्वीकार्यता बिल्कुल नहीं है। जब तक इन्हें समाज में स्वीकार नहीं किया जाएगा, ये धंधा बंद नहीं हो सकता। भारी संख्या में ऐसी सेक्स वर्कर्स हैं जो इस धंधे से बाहर ही नहीं आना चाहतीं।
अतुल शर्मा, सचिव, संकल्प संस्था