- एटीएस और एनआईए के गिरफ्त में आये आतंकी नईम ने बनारस में रहते हुए अपने मददगारों की नर्सरी कर ली तैयार - किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए बनारस में रहते हुए कई इलाकों में एक्टिव किए हैं स्लीपर सेल, खुफिया विभाग अब तक बेखबर 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ 1ड्डह्मड्डठ्ठड्डह्यद्ब लश्कर के आतंकी नईम को बनारस को दहलाने से पहले ही गिरफ्तार कर जांच एजेंसिया बड़ी राहत महसूस कर रही हैं लेकिन सच तो ये है कि बनारस समेत यूपी पर बड़ा खतरा अब भी मंडरा रहा है। ये सुनकर चौंकिये मत क्योंकि नईम भले ही पकड़ा गया हो लेकिन उसने 15 दिन बनारस और एक से डेढ़ साल तक यूपी के अलग-अलग शहरों में रहते हुए स्लीपिंग मॉड्यूल की जो टीम तैयार की है वो आने वाले वक्त में शहर के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। खुफिया विभाग भी नईम की इस आतंक की नई नर्सरी को लेकर अब तक कोई जानकारी नहीं जुटा सका है। इसलिए जरूरी है कि हम खुद अलर्ट हो जाये। क्योंकि हो सकता है कि कोई स्लीपिंग माड्यूल आपके और हमारे बीच भी हो। काफी हैं 15 दिन सोर्सेज के मुताबिक नईम ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में 15 दिन बिताये हैं। इतने दिनों तक नईम उन इलाकों में भी गया जहां पहले से ही स्लीपर सेल थे लेकिन काफी दिनों से इनका मूवमेंट नहीं था। नईम ने इन 15 दिनों में इन डिएक्टिव सेल्स को एक्टिव तो किया ही साथ में शहर के अलग-अलग इलाकों में नये स्लीपिंग मॉड्यूल्स को भी तैयार किया। ये स्लीपिंग मॉड्यूल चाय, पान वाले से लेकर होटल, लॉज और आस-पड़ोस के रहने वाले हो सकते हैं। इन्हीं के मदद से नईम ने शहर में अपने कई काम पूरे किए और अपने साथियों की मदद के लिए इनका इस्तेमाल करता रहा। इसलिए अब ये मददगार जाने-अनजाने बनारस के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। आप भी हो सकते हैं स्लीपिंग मॉड्यूल - स्लीपर सेल को खुद नहीं पता कि वो किसके लिए कर रहे काम - आतंकी संगठन दोस्ती गांठकर करा लेते हैं अपना काम - पैसे का लालच देकर भी युवाओं का करते हैं इस्तमाल - रिश्तेदारी और दोस्ती का हवाला देकर भी करते हैं यूज - संबंधों के बल पर अपने हथियार, पैसे व अन्य खतरनाक चीजों को इधर-उधर करने के लिए करते हैं इस्तेमाल कुछ जान-बुझकर भी करते हैं काम - इस तरह के स्लीपर सेल बेहद खतरनाक और शातिर होते हैं। - ये किसी न किसी आतंकी संगठन के टच में रहते हैं - आम आदमी बनकर बस्ती में गुमनामी की जिन्दगी काटते हैं। - कुछ स्लीपिंग मॉड्यूल आतंकी फंडिंग पर इनके लिए ही काम करते हैं हर गतिविधि पर रखें नजर - स्लीपिंग मॉड्यूल्स किसी भी उम्र का हो सकता है - कम उम्र के लड़के इनके जाल में जल्दी फंसते हैं - अचानक स्वभाव में आ जाए परिवर्तन तो अभिभावक को हो जाना चाहिए अलर्ट - पैसे की लालच और ब्रांडेड चीजों समेत महंगे मोबाइल और गाड़ी की चाह में ये इनके मददगार बन जाते हैं - अचानक से कोई बदलाव, रहन सहन, मोबाइल पर भड़काऊ वीडियो देखने या इसे शेयर करने पर इनकी निगरानी बढ़ा दें - अकेले में ज्यादा समय बीता रहे हो तो इन पर विशेष ध्यान दें खुफिया एजेंसियां नहीं जुटा पा रही जानकारी - बनारस में हेडली से लगायत यासीन भटकल रेकी कर चुका है - इसके अलावा आतंकी बलीउल्लाह, शहनवाज भी बनारस में रह चुके हैं - इनकी मदद के लिए स्लीपिंग सेल्स मौजूद थे - बनारस में रहकर रेकी के बाद ही इन आंतकियों ने एक के बाद एक पांच बार बनारस को दहलाया - बावजूद इसके पुलिस, क्राइम ब्रांच, एटीएस या खुफिया विभाग के पास किसी भी इलाके में मौजूद स्लीपिंग मॉड्यूल्स की कोई जानकारी नहीं है आज के दौर में युवाओं की बढ़ रही जरुरत उनको भटका रही हैं और लोग उनका इस्तेमाल गलत कामों के लिए कर रहे हैं। आतंकी हो या क्रिमिनल्स सब इनको सॉफ्ट टारगेट मानते हैं। इसलिए जरुरी है कि बच्चों में हो रहे बदलावों को लेकर पेरेंट्स खुद सजग रहे। प्रो संजय गुप्ता, साइकेट्रिस्ट समाज में तमाम तरह के बदलाव युवा संग हर उम्र के लोगों को भटकाने का काम कर रहे हैं। कम समय में ज्यादा पाने की चाहत लोगों को गलत रास्ते पर ले जा रहा है। इसका फायदा गलत ताकतें उठा रही हैं। जिससे समाज को तो नुकसान हो ही रहा है साथ में खतरा भी पैदा हो रहा है। प्रो रमाशंकर त्रिपाठी, सोशियोलॉजिस्ट बनारस हमेशा से ही संवेदनशील रहा है और यूपी में आतंकी के पकड़े जाने के बाद पहले से ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। संदिग्धों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। होटल और लॉज की भी चेकिंग की जा रही है। पब्लिक भी अलर्ट हो तो पुलिस की बड़ी मदद होगी। दिनेश सिंह, एसपी सिटी