हम तो न जाने ऐसे कितने आस्तीन के सांपों को पाल रहे हैं, जिनको पहचानना बेहद मुश्किल है। ये आपके घर में छिपे होते हैं। आपके इर्द-गिर्द घूम रहे होते हैं। रोजमर्रा की जिंदगी से वाकिफ होते हैं। लेकिन असल में इनकी नजर आपके बच्चे पर होती है। बैंक बैलेंस पर होती है। ये मौका तलाशते हैं। दांव लगते ही काम कर देते हैं। किसी के लख्ते जिगर को हमेशा के लिए मौत के घाट उतार देते हैं। आस्तीन के सांप सिर्फ बच्चों को ही शिकार नहीं बनाते। वे कभी भी कुछ भी करने पर आमादा हो जाते हैं। ऐसे आस्तीन के सांपों ने इस शहर को बहुत घाव दिए हैं। बहुत रुलाया है

शिकार-1

दीपेश उर्फ गौरव भी ऐसे ही आस्तीन के सांप कुलदीप का शिकार बना। कुलदीप की भी कस्टम एक्साइज में नौकरी करने वाले अशोक कुमार के घर में ऐसी ही घुसपैठ थी। वो घर की तमाम बाते जानता था। उसे ये भी मालूम था कि गौरव के घर से उसे कितनी दौलत मिल सकती है। यही बात कुलदीप ने दोस्त को बताई तो गौरव के परिवार की खुशियां उजड़ गई।

शिकार-2

बेगमबाग का चौहरा हत्याकांड। लालकुर्ती के बेगमबाग में रहने वाले शराब व्यवसायी जायसवाल परिवार की बेरहमी से हत्या कर दी गई। चारों तरफ खून ही खून नजर आया। कातिलों ने दो बच्चों और पति-पत्नी दोनों को काट डाला। पुलिस ने तफ्तीश की तो चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए। पता चला कि हत्या में कोई और शख्स नहीं बल्कि वह शामिल था जो उनके घर में पूजा पाठ करता था। कई साल से उसका आना जाना था।

शिकार-3

बैंक अधिकारी के बेटे मोइनुद्दीन ने भी जिन दोस्तों पर विश्वास किया। जिन दोस्तों ने उसकी अम्मी के हाथ का खाना खाया। वही दोस्त राहुल अग्रवाल और विशाल आस्तीन के सांप निकले। मोइनुद्दीन की हत्या करते वक्त न उनके हाथ कांपे, न कलेजा। अक्षय के दोस्त राहिल बालियान, प्रशांत, अनुराग और विमल सैनी भी उसके घर जाते थे। बड़ों को नमस्ते करते थे। लेकिन इन्हीं आस्तीन के सांपों ने उसे डस लिया।

शिकार-4

बबीता चौधरी अचानक राजनीतिक सुर्खियों में आई। इसके बाद उसका परिवार में विवाद हुआ। तथाकथित प्रेमी के साथ मिलकर वह अपने ही पति को मरवाने के लिए आमादा हो गई। कई लाशें गिरने के बाद जब परिवार को ये पता चला कि इस कत्लोगारत में कोई और नहीं बल्कि बबीता शामिल है तो उनके पैरों तले मानो जमीन ही खिसक गई। बबीता इस घर में विभीषण की भूमिका निभा रही थी।

शिकार-5

प्रेम प्रयाग कॉलोनी में रहने वाले दंपति ने जिस बेटी प्रियंका को जन्म दिया। पढ़ाया लिखाया। उसी बेटी ने उनकी जान ले ली। कई दिनों बाद जब परिवार और रिश्तेदारों को ये पता चला तो सब हैरान रह गए कि जिसे वो बेटी समझ रहे थे। असल में वो आस्तीन का सांप निकली।


कत्ल की कहानी
कातिल की जुबानी

मेरा नाम अशोक पहलवान है। कुश्तियों में बड़े-बड़ों को चित किया है। दूसरे जिलों में भी खेलने गया हूं। हां, मैंने और कुलदीप ने ही दीपेश उर्फ गौरव का अपहरण किया। फिर हत्या कर दी। क्या करता दोस्ती निभानी थी। पैसा मुझे भी बुरा नहीं लगता। लेकिन फिर कुलदीप ने मुझसे बगावत करने की कोशिश की तो उसको भी मारना पड़ गया। कुलदीप और मैं तो ईंट भट्टे पर काम करते थे। कुलदीप पर लोगों का कर्जा बढ़ता जा रहा था। एक दिन उसने बहुत पी ली। फिर मुझसे पूछा कि तू दोस्त है या दुश्मन। मैंने दोस्ती यारी की कसमें खाई तो वो अपने दिमाग में चल रही साजिश को मेरे सामने खोलता चला गया। उसने मुझे बताया कि उसके रिश्तेदार का बेटा है। रोहटा रोड पर सरस्वती कॉलोनी में रहता है। उसे उठा लेते हैं। चालीस-पचास लाख तो मिल ही जाएंगे। हम लोगों ने फिर प्लानिंग बना ली। उसके स्कूल की कई दिन छुट्टी थी। वो कुलदीप को मिला तो उसने स्कूल खुलने के बारे में पूछ लिया। 26 दिसंबर को उसके स्कूल जाने की बात सुनकर हम लोग सुबह ही बड़ौत से एक रिश्तेदार की इंडिका लेकर मेरठ आ गए। मैं बाईपास पर उतर गया। कुलदीप गौरव को लेने चला गया। छुट्टी के बाद कुलदीप गौरव को गाड़ी में बिठाकर बाईपास पहुंचा तो मैं भी बैठ गया।

बाइक का लालच दिया

कुलदीप ने गौरव को बहकाया कि एक दोस्त पर उसकी लेनदारी है। वो अपनी बाइक दे रहा है। बाइक गौरव को गिफ्ट देने के बहाने गाड़ी उन्होंने बड़ौत की तरफ घुमा दी। अपहरण की बात से बेखबर गौरव बस यही पूछता रहा कि बाइक तो मुझे मिल ही जाएगी ना। कुलदीप हां में हां कहते हुए चलता रहा। फिर हम जोनमाना के जंगल पहुंच गए। ट्यूबवेल के किनारे एक ईंख के खेत में उसे बिठा लिया। गौरव ने इसकी वजह पूछी तो हमने उसको बता दिया कि तेरा अपहरण हो गया है। कुछ बोला तो मरेगा। फिर हमने उसकी बात उसके घर कराई। वो रोने लगा तो हमने फोन छीन लिया। उसने कहा मम्मी-पापा ये जो कह रहे हैं कर दो वरना मुझे मार देंगे। ये कहकर वो सिसकने लगा। इसके बाद हमारा दोस्त प्रवीन पहले से ही कहे अनुसार हमारा खाना ले आया। हमने खाना खाया। गौरव को भी दिया। अनमने मन से उसने थोड़ा बहुत ही खाया।

कुलदीप ने दबाया गला

दूसरे दिन रात को हमने फिरौती की रकम की बात की तो सौदा पचास लाख की बजाय तीस लाख में तय हो गया। हम लोगों ने शराब पी ली। कुलदीप ने कहा कि इसे अब मार दो। नहीं तो ये घर जाकर हमारी पोल खोल देगा। गौरव ने कहा नहीं अंकल मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा। इसी बीच कुलदीप को गुस्सा आ गया। उसने कहा कि अगर तुझे जिंदा छोड़ दिया तो तू मेरी जड़ काट देगा। इसके बाद मैंने गौरव के पैर पकड़े। कुलदीप ने गला दबा दिया। कुछ देर तक गौरव तड़पा और फिर उसके शरीर में हरकत खत्म हो गई। कुलदीप फिर कहीं से फावड़ा लाया। हमने उसके कपड़े उतारे ताकि शिनाख्त न हो। लाश को यमुना किनारे दबा दिया। गौरव के स्कूल बैग को हम लोगों ने पहले ही रास्ते में नहर में फेंक दिया था। एक जनवरी की सुबह हम लोग दिल्ली निकल गए। वहां हमने शराब पी। मौजमस्ती की। दो दिसंबर की रात को हम मेरठ आ गए। हम सभी ने पी रखी थी।

हां, मैने मारा कुलदीप को

इसी बीच कुलदीप बोला कि मेरी मां और बहन को पुलिस ने उठा लिया है। मैं कल पेश होने जा रहा हूं। ये सुनकर मुझे लगा कि ये हमें फंसवा देगा। मैंने उसको मारने की प्लानिंग कर ली। पुनीत को अपने फेवर में ले लिया। पहले मैंने तमंचा निकालकर उसको पीटा। फिर डराकर सुसाइड नोट लिखवाया। इसके बाद मैंने तमंचे से गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। सुसाइड नोट और तमंचा वहीं फेंक दिया, ताकि हम लोगों पर किसी का शक न जाए। इसके बाद मैं फिर दिल्ली भाग गया। इसी बीच पुलिस को मेरे बारे में भनक लग गई। मुझे गिरफ्तार कर लिया।

काश! उसे बाइक
का लालच न आता

बच्चा जब स्कूल में एडमिशन लेता है। स्कूल को निकलता है तो मम्मी अक्सर उसे बताती हैं। पापा अखबारों में छपी खून से लथपथ लाश की फोटो छिपाकर उसे प्यार से पास बिठाते हैं। समझाते हैं कि बाहर निकलो तो किसी से टॉफी मत लेना। कोई आइस्क्रीम खिलाए तो ना कर देना। इसी बीच मम्मी खिलौने दिलाने का वादा करते हुए दूसरे खिलौने से दूर रहने की सलाह देती है। बच्चा मासूमियत से क्यूं? कहकर सवाल करता है तो उसे ये भी समझाया जाता है कि बाहर कुछ भेडि़ए घूम रहे हैं। पहले वो बच्चे को झोली में डालते हैं। फिर खून निकालते हैं और फिर बच्चे को मारकर फेंक देते हैं। मम्मी की बात पूरी होने से पहले ही पापा की आवाज निकलती है कि कुछ दूसरे भी हैं जो पकड़ते हैं। जीभ काटकर गूंगा करने के बाद भीख मंगवाते हैं। फिर उन दोनों की आवाज मिली जुली होकर मासूम को सिखाती है कि ऐसा होने पर फिर न मम्मी मिलती है, न ही पापा। बच्चा कुछ सोचता है। फिर जवाब देता है कि मैं तो किसी से कुछ नहीं लेता। मैं तो घर से बाहर कुछ नहीं खाता। बालपन और प्यार से समझाई ये बात उसके दिमाग पर हावी रहती है। लेकिन एक बात वो भूल जाता है कि टॉफी अंजान से नहीं लेनी। आइस्क्रीम पड़ोस के अंकल से नहीं लेनी। और फिर धीरे-धीरे यही भूल उसकी जिंदगी को दूसरे मोड़ पर ले जाती है। पढऩे खेलने की उम्र में वो उन लोगों का शिकार बन जाता है जो उसके घर में बैठकर गप्पे लड़ाते थे। स्कूल के माक्र्स पूछने के बाद वेरी गुड कहकर शाबासी देते थे। चाकलेट खिलाकर मम्मी-पापा का थैंक्स भी कुबूल करते थे। इसके बाद फिर वही होता है जो सदियों से होता आया है। होता रहेगा। खून बहता रहा है। बहता रहेगा।

गौरव का शव
देखकर बेहोश

गॉडविन पब्लिक स्कूल के छात्र गौरव उर्फ दीपेश का शव गुरुवार की शाम सरस्वती विहार स्थित उसके घर पहुंच गया। शव देखते ही परिजनों में कोहराम मच गया। गौरव के शव का गुरुवार को बागपत में पोस्टमार्टम हुआ। पोस्टमार्टम के बाद शव को डीसीएम में रखकर सरस्वती विहार उसके घर लाया गया। मां मंजू, दादी रामरती गौरव के शव को देखते ही बेहोश हो गईं। पिता राजकुमार की हालत भी ठीक नहीं थी। करीब 15 मिनट शव को घर पर रखा गया, फिर परिजन शव को पैतृक गांव अमरपुर ले गए। देर रात गांव में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

बड़े होते बच्चों
पर रखे खास ध्यान

- उसके दोस्तों के बारे में पूरी जानकारी रखें। आपको ये भी पता होना चाहिए कि उसके स्कूल के अलावा फ्रेंड गु्रप में कौन-कौन शामिल है। उनकी कैसी बैकग्राउंड है। वो कैसे लोगों से मिलते हैं।

-इस बात पर ध्यान दें कि बच्चा अचानक से बहुत ज्यादा डिमांडी तो नहीं हो गया है या फिर बहुत ज्यादा रिजर्व। अगर ऐसा है तो उसे पूरा समय दें और वजह जानने की कोशिश करें। हो सकता है कि कोई उसकी आदत बिगाड़ रहा हो।

-कॉलेज लाइफ शुरू होते ही उसकी हर छोटी बड़ी आदत और बदलाव पर नजर रखें। मगर उसे अहसास न हो कि आप उसके साथ बहुत रोकटोक कर रहे हैं।

-कॉलेज लाइफ शुरू होते ही उसकी हर छोटी बड़ी आदत और बदलाव पर नजर रखे। मगर उसे अहसास न हो कि आप उसके साथ बहुत रोकटोक कर रहे हैं। कई बार ऐसे में बच्चा बगावती हो जाता है।

-टीनएज में बच्चे को ज्यादा केयर की जरूरत होती है क्योंकि वो खुद को बड़ा और ज्यादा समझदार मानने लगता है और कई बातें पेरेंट्स से छुपाने भी लगता है। बच्चे को ऑर्गनाइज्ड लाइफ के फायदे जरूर बताएं। कभी-कभी वो खुद को बड़ा समझने की वजह से ऐसे फैसले ले लेता है, जिसका परिणाम ऐसे रुप में सामने आ जाता है।

वर्जन
अपहरण और हत्या के मुल्जिम कुलदीप को अशोक मार चुका है। सिम उपलब्ध कराने वाले पंकज को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। पुलिस ने अशोक पहलवान और प्रवीन को भी गिरफ्तार कर लिया है। फिरौती के अलावा कोई और वजह तो नहीं इसकी तफ्तीश जारी है।
- बीपी अशोक, एसपी सिटी