- तीन सिटिंग में पाई जा सकती है फैट से मुक्ति, एक सिटिंग में खर्चा करीब 45 हजार रुपये

- उम्र के किसी भी पड़ाव में नॉन सर्जीकल फैट रिडक्शन तकनीक का उठाया जा सकता है लाभ

आगरा। अगर आप भी मोटापे से परेशान हैं, सर्जरी के डर से डॉक्टर के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। अब नॉन सर्जीकल फैट रिडक्शन तकनीक से आप बिना किसी ऑपरेशन के अपना फैट दूर कर सकते हैं। औरों की तरह छरहरी काया पा सकते हैं। इसकी जानकारी फतेहाबाद रोड स्थित डबल ट्री हिल्टन में आयोजित इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जरी कांफ्रेंस में तीसरे दिन शनिवार को कॉस्मेटिक सर्जरी पर मंथन के दौरान विशेषज्ञों ने दी।

सर्जरी के डर से बनाते हैं डॉक्टर से दूरी

खानपान में असंतुलन और दिनचर्या में अनदेखी के चलते लोग मोटापे के शिकार हो जाते हैं। भागदौड़ भरी जिंदगी में एक्सरसाइज के लिए समय नहीं मिलने से मोटापा और बढ़ता जाता है। जो आगे चलकर गंभीर रोगों का कारण बन जाता है। फैट के शिकार लोग डॉक्टर के पास भी सर्जरी के डर से जाने में कतराते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। दिल्ली के डॉ। लोकेशन कुमार ने बताया कि अब जरूरी नहीं कि फैट से मुक्ति पाने के लिए लाइपोसक्शन या फिर फैट ग्राफ्टी जैसे ऑपरेशन ही कराए जाएं। बिना किसी सर्जरी के नॉन सर्जीकल फैट रिडक्शन तकनीक से भी स्लिम-ट्रिम बॉडी पाई जा सकती है। उम्र के किसी भी पड़ाव में इस तकनीक का लाभ उठाया जा सकता है।

तीन सिटिंग में फैट साफ

नॉन सर्जीकल फैट रिडक्शन तकनीक में पेशेंट को तीन सिटिंग (क्लीनिक पर पेट करने की प्रक्रिया) लेनी होती है। हर महीने में एक सिटिंग मरीज को लेनी होगी। डॉ। लोकेशन ने बताया कि इस तकनीक में अधिक फैट वाले स्थान पर फैट को अंदर ही अंदर जला दिया जाता है। इसके बाद लगभग तीन हफ्ते में वह फैट खुद ब खुद शरीर से बाहर निकल जाता है। 45 मिनट की एक सिटिंग होती है। एक सिटिंग का खर्चा लगभग 45 हजार रुपये आता है। इस तकनीक से शरीर के किसी भी हिस्से के फैट को कम किया जा सकता है।

नई तकनीकों का आदान-प्रदान

इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जरी ईएसएपीएस कोर्स आगरा-2016 द्वारा आयोजित वैश्विक सम्मेलन में तीसरे दिन शनिवार को जहां राइनोप्लास्टी व फिलर पर मास्टर क्लास का आयोजन किया गया, वहीं फेसियल एस्थेटिक प्रोसीजर व हेयर ट्रांसप्लांट भी सेशन आयोजित किए गए। इसमें देश-विदेश के 400 से अधिक डॉक्टर्स ने नई तकनीकों व विधियों का आदान-प्रदान किया। आयोजक सचिव डॉ। राहुल सहाय के अनुसार लाइपोसक्शन से लेकर, फेस लिफ्टिंग व हेयर ट्रांसप्लांट तक की सभी विधियों का प्रयोग आगरा में भी बेहतर तरीके से किया जा रहा है।

नाक को लेकर भारतीय अधिक सजग

राइनोप्लास्टी कॉस्मेटिक सर्जरी के जरिए नाक को खूबसूरत बनाने केमामले में दुनिया में भारत प्रथम स्थान पर है। भारत में न सिर्फ खान-पान और भाषा में ही विविधता देखने को मिलती है, बल्कि शारीरिक बनावट में भी इसकी झलक दिखती है। यही वजह है कि नाक की खूबसूरती को लेकर भारत में हर प्रांत के लोग चिंतित रहते हैं। नॉर्थ ईस्ट में जहां चीन के लोगों की तरह छोटी और दबी नाक वाले भारतीय अपनी नाक को खूबसूरत बनाना चाहते हैं, वहीं दक्षिण में मोटी नाक को नुकीला और सुंदर बनाने की चाहत लोगों में रहती है। साउथ अफ्र का के डॉ। पीटर स्कॉट मानते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा राइनोप्लास्टी के मामले आते हैं।

भारत है राइनोप्लास्टी का जनक

यहां पर हर तरह की नाक को सही करने का डॉक्टर्स को मौका मिलता है, जबकि यूरोप, अफ्रीका जैसे देशों में ऐसा नहीं है। वहां बड़ी नाक को सिर्फ छोटा कराने के की मामले आते हैं। विश्व में सबसे पहले राइनोप्लास्टी का ऑपरेशन डॉ। सुश्रुत ने किया था। पीटर स्कॉट के साथ कोलकाता के डॉ। मनोज खन्ना ने बताया कि राइनोप्लास्टी की शुरूआत भारत में हुई है। यही कारण है कि भारत में सर्जन के लिए यह विविधता एक वरदान की तरह है। विशेषकर राइनोप्लास्टी के क्षेत्र में काम रहे डॉक्टरों के लिए। चेन्नई अपोलो हॉस्पिटल के डॉ। के रामचंद्र के अनुसार हर व्यक्ति के चेहरे का रंग और आकार अलग-अलग होते हैं। इसलिए जरूरी नहीं कि जो नाक या आंख किसी दूसरे चेहरे को खूबसूरत बना रही हैं, वैसी नाक और आंख पाकर आप भी खूबसूरत दिखने लगें। आप जो हैं, उससे बेहतर दिख सकते हैं, लेकिन नकल करके नहीं।