-रोग को बढ़ाकर जड़ से मिटाने की कवायद में पिस रहे शहरवासी

-जाम, धूल, गड्ढों से लोग हो रहे बीमारियों के शिकार

15-20 फीसदी बढ़ गए हैं कमर दर्द के मरीज

10-15 फीसदी बढ़ गए हैं शहर में सांस के मरीज

35 का एवरेज देने लगी है 50 का एवरेज देने वाली बाइक

होम्योपैथिक इलाज में रोग को जड़ से मिटाने के लिए पहले उसे बढ़ाते हैं। अपने शहर के विकास का हाल भी कुछ ऐसा ही हो गया है। कुंभ के लिए शहर को चमकाने की कवायद चल रही है। लेकिन इस चक्कर में जो हाल हो गया है, वह हर शहरवासी के लिए दर्दभरा अनुभव हो गया है। हालांकि शहर के चमक जाने की उम्मीद लिए हर शहरवासी हंसते-हंसते हर सितम सहता जा रहा है। आइए जानते हैं शहर में विकास की क्या रफ्तार है और इससे शहरवासियों की सेहत और जेब पर क्या असर पड़ रहा है।

कमर दर्द ने उड़ा दिए होश

गड्ढों में दो पहिया चलाने का दर्द शहर के लोगों से बेहतर कोई नहीं जानता। शहर की तमाम सड़कों पर सीवर लाइन डालने के बाद उनकी हालत काफी खस्ता हो चुकी है। जर्क से उनका कमर दर्द बढ़ गया है। आर्थोपेडिक सर्जन डॉ। जितेंद्र जैन कहते हैं कि ऐसे मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी तक बढ़ी है। लोगों को प्रिकॉशन लेकर वाहन चलाने की सलाह दी जा रही है। जो पहले से बीमार हैं उनको वाहन नहीं चलाने की सलाह दी गई है।

आंख और फेफड़े पॉल्यूशन का शिकार

दूसरी ओर सड़कों पर उड़ने वाली धूल से सांस के मरीजों की संख्या में 10 से 12 फीसदी की वृद्धि हुई है। श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ। आशुतोष गुप्ता कहते हैं कि धूल से एलर्जी और दमा के लक्षण देखने को मिले हैं। यह संख्या भी बढ़ सकती है। इसी तरह बेली हॉस्पिटल के आई स्पेशलिस्ट डॉ। एसएम अब्बास कहते हैं धूल से आंख में इंफेक्शन के मामले भी तेजी से बढ़े हैं।

हर महीने करानी पड़ रही सर्विसिंग

लगातार लगने वाले जाम और गड्ढों की वजह से दो पहिया वाहनों की सर्विसिंग अब तीन की जगह एक माह के भीतर करानी पड़ रही है। सबसे ज्यादा नुकसान सॉकर का हो रहा है। बाइक केयर सेंटर के मैकेनिक आलम बताते हैं कि टायर, ट्यूब, सॉकर से लेकर इंजन तक में असर में पड़ रहा है। बाइक मेंटनेंस का खर्चा भी उनका बढ़ गया है।

50 की जगह 35 का हो गया एवरेज

जाम में फंसने की वजह दो और चार पहिया वाहनों का एवरेज काफी हद तक कम हो गया है। जो बाइक शहर में 50 का एवरेज दे रही रही थी वह अब 35 किमी प्रति लीटर माइलेज दे रही हैं। इसी तरह चार पहिया वाहन अब 15 की जगह 10 का एवरेज दे रही हैं।

वकीलों के शहर में नही है शिकायतें

इलाहाबाद ऐसा शहर है जहां बात-बात पर प्रशासन को शिकायतों का सामना करना पड़ता है। इस मामले में वकील सर्वाधिक जागरुक हैं। लेकिन शहर की सड़कों के घटिया हालात होने के बाद शिकायतें न के बराबर हो रही हैं। हर कोई पॉजिटिव नोट पर चलते हुए बेहतरी की उम्मीद कर रहा है। शायद वो सही समय का इंतजार कर रहे हैं।

वर्जन

इलाहाबादी आशावादी हैं। उन्हें लगता है कि इतना कष्ट झेलने के बाद आने वाला दिन बेहतर होगा। सड़कें बेहतर हालत में होंगी। इसीलिए वह इतना कष्ट सहकर भी शांत हैं।

-अभिलाष पटेल

सड़कों के हाल अच्छे नहीं हैं। पैदल चलना तक मुमकिन नहीं है। जहां देखो गड्ढा है। वाहन चलाते समय चोटिल होने का खतरा बना रहता है। यह प्रशासन को नहीं दिख रहा।

-अंजनी शुक्ल

प्रशासन ने अक्टूबर तक की मोहलत पब्लिक से मांगी है। इसलिए लोग शांत हैं। लोगों ने भी वादा किया है कि वह तय समय तक नहीं बोलेंगे। इससे अधिक लेट हुआ तो आवाज उठनी स्वाभाविक है।

-रामबाबू तिवारी

बहुत से लोगों को खराब सड़कों की वजह से कमर में दर्द की शिकायत हो रही है। डॉक्टर ने सावधान रहने को कहा है। लेकिन क्या करें। घर से निकलना है तो इन सड़कों पर चलना ही होगा।

-प्रदीप पाल

जिस तरह से विकास चल रहा है लगता नहीं कि अक्टूबर तक सड़कें चकाचक हो जाएंगी। फिर भी लोगों के पेशेंस की दाद देनी होगी। लोग नाराज हैं लेकिन उसे जाहिर नहीं कर रहे हैं।

-अनिरुद्ध सिंह