आजकल हर ओर प्रोटेस्ट्स का ही दौर है. इंडिया में जहां अन्ना हजारे और बाबा रामदेव भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़े हुएं हैं वही देश के बाहर महिलाएं खुद के लिये बराबरी के बर्ताव की मांग कर प्रोटेस्ट मार्च कर रही हैं. मगर यह प्रोटेस्ट मार्च कुछ हट के है. लंदन में सैकड़ों लोगों ने ऐसे ही एक अनोखे मार्च में हिस्सा लिया जिसका नाम है ‘स्लटवाक’ या ‘वेश्याओं का मार्च’. दिल्ली में भी 25 जून को एक स्लटमार्च होने वाला है.
इसी साल कनाडा से शुरु हुए इस प्रोटेस्ट की वजह टोरंटो के एक पुलिस अधिकारी का कमेंट बताया जा रहा है जिसमे उन्होने कहा था कि अगर ‘महिलआएँ पीड़ित होने से बचना चाहती हैं तो उन्हें प्रास्टीट्यूट के तरह कपड़े पहनने से बचना चाहिए.’
इसके अगेंस्ट कनाडा, अमेरिका, यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में प्रोटेस्ट हुए हैं. इनका मोटिव है कि रेप या मालेस्टेशन के डर से आखिर कब तक महिलायें बिना अपने मन मुताबिक कपड़े पहन पाएँ.
लगातार पापुलर हो रहे इस मार्च की एक झलक सिडनी में भी देखने को मिली. महिलाएँ रंग बिरंगी ड्रेसेस पहनकर आई थीं जिनमें से कुछ तो काफी ‘बोल्ड’ थीं. इस मार्च में मेल्स भी शामिल थे.
इन लोगों ने हांथ में जो तख्तियां ले रखी थीं उनमे लिखा था - ‘रेप करने वाले को गिल्टी कहो न कि विक्टिम को’, ‘ इट डजन्ट मैटर हाऊ वी ड्रेसअप’, ‘लोगों को ये सिखाओ की रेप न करें न कि लोगों को ये सिखाओ कि रेप से कैसे बचें’
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