पूरी दुनिया में जितनी पुलिस नहीं है उतने प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स हैं और प्राइवेट सिक्योरिटी के इस बढ़ते ट्रेंड ने दुनिया में छोटे हथियार की होड़ को भी तेज कर दिया है. यह कहना है जेनेवा यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड डेवलपमेंट स्टडीज का जिसने हाल ही में दुनिया के 70 देशों पर एक स्मॉल आर्म्स सर्वे कंडक्ट किया. इस सर्वे के मुताबिक पूरी दुनिया में प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसीज बहुत तेजी से बढ़ी हैं. यहां तक कि सरकार के पास जितनी सिक्योरिटी नहीं है उससे ज्यादा सिक्योरिटी लोगों के पास है.

20 million security guards 

पिछले तीन दशकों में दुनिया भर में सिक्योरिटी गाड्र्स की संख्या में 200 से 300 परसेंट बढ़ोतरी हुई है और यह 20 मिलियन तक पहुंच गई है. वहीं अगर पुलिस की बात करें तो शायद यह 10 मिलियन से भी कम है. इस सर्वे में यूनिवर्सिटी की तरफ से उन एक्सपर्टस् को शामिल किया गया था जो पिछले कई सालों से इंटरनेशनल डिफेंस इंडस्ट्री पर अपनी नजर बनाए हुए थे. इन एक्सपर्टस् ने देशों की तरफ से बाहर भेजे गए हथियारों पर भी एक रिपोर्ट तैयार की.

सर्वे के मुताबिक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसीज में होड़ इस कदर बढ़ी है कि लोगों ने सभी नियम ताक पर रख दिए और सिर्फ मैकेनिज्म पर अपना ध्यान लगाया. दुनिया के कुछ देशों में एजेंसीज इस समय हैंडगन और कुछ और हल्के हथियार जैसे मोर्टार्स, ग्रेनेड लांचर्स, राइफल्स, पोर्टेबल मिसाइल्स और रॉकेट को यूज कर रही हैं. एक साल में स्मॉल आम्र्स का यह बिजनेस करीब 7.1 बिलियन डॉलर का है. इस बिजनेस का सिर्फ पांचवा हिस्सा ही ऑफिशियल है.

Biggest players

इस सर्वे के मुताबिक लैटिन अमेरिका में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्डस् के लिए बाकी देशों से 10 गुना ज्यादा हथियार हैं. इटली, जर्मनी, ब्राजील, स्विटजरलैंड, इजरायल, ऑस्ट्रिया, साउथ कोरिया वगैरह दुनिया के सबसे बड़े एक्सपोटर्स में से शामिल हैं. इन देशों से एक साल में करीब 100 मिलियन डॉलर के हथियार बाहर भेजे जाते हैं. वहीं कनाडा, ब्रिटेन, पाकिस्तान, जर्मनी, आदि दुनिया के सबसे बड़े इंपोर्टर्स में शामिल हैं. यहां से हर साल 100 मिलियन डॉलर के हथियार दूसरे देशों को भेजे जा रहे हैं.

एक नया competition 

सर्वे में एक्सपर्ट्स ने इस तरह से प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसीज के बढऩे पर चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि यह ट्रेंड दुनिया में एक नई रेस और कांपटीशन को जन्म दे रहा है जहां हर कोई खुद को प्राइवेट सिक्योरिटी के साए तले महफूज रखना चाहता है. इस खतरे का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि इराक और अफगानिस्तान में जो प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसीज हैं वो ऑटोमैटिक एसॉल्ट राइफल्स, मशीन गन्स, स्निपर राइफल्स और रॉकेट प्रॉपेल्ड ग्रेनेड लांचर्स से पूरी तरह से लैस हैं. यह हथियार आतंकवादियों को भी भेजे जाने की भी आशंका है.

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