- टेंडर के जाल में उलझे स्मार्ट सिटी के आधा दर्जन प्रोजेक्ट, अब तक शुरू नहीं हो पाया काम

- सरकार का फोकस होने के बावजूद भी खास प्रगति नहीं, कइयों का महीनों से बन रहा डीपीआर

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बनारस स्मार्ट बनने को तैयार है, लेकिन आधा दर्जन प्रोजेक्ट्स को कार्यदायी संस्थाओं का इंतजार है। इन प्रोजेक्ट्स के लिए या तो टेंडर नहीं पड़े या फिर महीनों से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट डीपीआर ही बन रही है। इसमें रोड एंड जंक्शन इम्प्रूवमेंट प्लान का सेकंड फेज, आठ चौराहों को डेवलप करने के दूसरे चरण का काम, मल्टीलेवल पार्किंग, बेनियाबाग पार्क, गंगा घाटों पर फसाड आदि कार्य शामिल हैं। ये प्रोजेक्ट कब शुरू होंगे, यह बताने वाला कोई नहीं है।

अफसरों की सुस्ती पड़ रही भारी

बनारस को स्मार्ट सिटी बनाने में नगर निगम के अफसरों की सुस्ती भारी पड़ रही है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के तमाम कार्यो की गति काफी धीमी है। वहीं कई योजनाओं के टेंडर तक फाइनल नहीं हो सके हैं। ऐसे में तय समय पर प्रोजेक्ट को पूरा करना मुश्किल दिख रहा है। आए दिन समीक्षा बैठकें हो रही हैं। लेकिन बड़ी योजनाएं गति नहीं पकड़ पा रही हैं। यह स्थिति तब है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते पीएमओ लगातार फीडबैक लेता रहता है।

स्मार्ट सिटी के तहत जो काम चल भी रहा है। उसका काम भी काफी धीमा है। सिगरा स्थित शहीद उद्यान में काशी कमांड एंड कंट्रोल रूम सेंटर, चार पार्को का थीम बेस्ड विकास, मच्छोदरी स्थित नगर निगम हॉयर सेकेंडरी स्कूल का री-डेवलपमेंट, आठ चौराहों को ट्रैफिक मूवमेंट के हिसाब से डेवलप करने का काम कछुआ चाल से चल रहा है। जबकि कई कार्यो को पूरा करने की लास्ट डेट 31 दिसम्बर है।

ठोस पहल की दरकार

- 10.56 करोड़ की लागत से गोदौलिया में बनने वाले मल्टीलेवल पार्किंग का तीन बार टेंडर निकालने के बाद भी कार्यदायी संस्थाओं ने रुचि नहीं ली।

- 11 करोड़ की लागत से चिन्हित गंगा घाटों पर फसाड वर्क होना था। इसके तहत लाइटिंग और सुंदरीकरण कराना था। नगर निगम के साथ सीपीडब्ल्यूडी को भी इसका जिम्मा दिया गया था, लेकिन इसका टेंडर ही नहीं हो पाया।

- 10 करोड़ से बेनियाबाग पार्क का थीम बेस्ड विकास होना था। यह भी योजना फाइलों में अटकी हुई है।

- 13 करोड़ की लागत से आईयूटी सेकंड फेज में शहर के आठ चौराहों पर तमाम काम होने थे, लेकिन यह भी टेंडर के जाल में उलझ गया।

- 1.3 करोड़ की लागत से ओवरहेड टैंक पर ऐतिहासिक म्यूरल्स उकेरे जाने थे, लेकिन यह काम भी नहीं शुरू हो पाया।

- रोड एंड जंक्शन इम्प्रूवमेंट प्लान सेकंड फेज का अब तक डीपीआर ही बन रही है। टेंडर तक मामला पहुंच ही नहीं पाया।

स्मार्ट सिटी के तहत जो भी काम चल रहे हैं उन्हें समय पर पूरा किया जाएगा। इसकी लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। जिन प्रोजेक्ट्स का टेंडर नहीं हो पाया है। उसका प्रॉसेस चल रहा है।

रमेश चन्द्र सिंह, संयुक्त नगर आयुक्त