सवा करोड़ साफ

-ट्राईमैक्स कंपनी के कर्मचारी ने लगाई निगम को चपत

sanjeev.pandey@inext.co.in

LUCKNOW: पैसेंजर्स को स्मार्ट कार्ड देने के नाम पर परिवहन निगम में बड़े गोलमाल से परदा उठा है। स्मार्ट कार्ड बनाने वाली निजी कंपनी के एक कर्मचारी ने करीब सवा करोड़ रुपये पर हाथ साफ कर दिया और परिवहन निगम के जिम्मेदारों को हवा नहीं लगी। अब मामला खुला तो जिम्मेदारों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई, आनन-फानन में कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।

डेढ़ साल पहले की योजना

करीब डेढ़ साल पहले परिवहन निगम ने यात्रियों की सुविधा के लिए स्मार्ट कार्ड योजना शुरू की थी। कार्ड को मोबाइल की तरह ही यात्री टॉप अप कराकर सफर करते थे। सफर के दौरान परिचालक कार्ड को मशीन से स्वैप कर किराए की रकम लेकर टिकट देता था। ये युविधा सिर्फ एमएसटी कार्ड धारकों के लिए शुरू की गई थी।

मेरठ से खुली पोल

कुछ दिन पहले जानकारी मिली कि मेरठ इलाके में सबसे अधिक एमएसटी कार्ड धारक हैं। सफर करने में भी उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। लेकिन सफर के सापेक्ष परिवहन निगम के खजाने में आने वाली धनराशि नहीं बढ़ी। आशंका होने पर मेरठ से जारी होने वाले सभी स्मार्ट कार्ड की पड़ताल की गई। जांचा गया कि किन कार्डो से रकम कट रही है और किन कार्डो से नहीं। ऐसे में एमएसटी धारकों के जितने भी स्मार्ट कार्ड मिले, उनमें रकम उतनी नहीं चढ़ाई गई थी जितने की रसीद जारी की गई थी।

400 लेकर 100 का टॉपअप

परिवहन निगम के जिम्मेदारों ने जब और गहनता से पड़ताल की तो पता चला कि एमएसटी धारक अगर 400 रुपए का टॉपअप कराता था तो काउंटर पर मौजूद कर्मचारी महज 100 रुपये ही उसके स्मार्ट कार्ड में टॉपअप कर रहा था। 300 रुपए अपनी जेब में रख रहा था। हालांकि संबंधित यात्री को रसीद 400 रुपये की ही थमा रहा था। असल में आरोपी कर्मचारी ने निगम के ही एक आदेश का भरपूर फायदा उठाया। पैसेंजर्स की सुविधा के लिए निगम ने अपने परिचालकों को एक निर्देश जारी कर रखा है कि यदि स्मार्ट कार्ड में कोई तकनीकी गड़बड़ी हो तो यात्रियों को कोई परेशानी न उठानी पड़ा, इसका खास ख्याल रखा जाए। इसी वजह से यात्री के पास मौजूद रसीद देखकर भी कंडक्टर कार्ड में कम पैसे के बावजूद सफर करा देता था।

कंपनी से करेंगे भरपाई

डेढ़ साल से यह गोरखधंधा चल रहा था। ऐसे में अनुमान है कि करीब सवा करोड़ रुपये की रकम गोलमाल की गई। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि एमएसटी धारकों के स्मार्ट कार्ड में टॉपअप करने की जिम्मेदारी ट्राइमैक्स कंपनी की है। जिसने स्मार्ट कार्ड में धनराशि टॉपअप करने को लेकर गोलमाल किया है, वह ट्राइमैक्स कंपनी का ही कर्मचारी है। परिवहन निगम की जो धनराशि गोलमाल की गई है, उसे कंपनी को भरना होगा।

एमएसटी के अब तक जितने भी कार्ड थे, उनकी जांच की जा चुकी है। अब सभी अधिकारियों को आईडी भी नई दे दी गई है। रही बात धनराशि की तो इसकी भरपाई संबंधित कंपनी को करनी होगी। इसके साथ ही एमएसटी बनाने वाले सभी अधिकारियों की आईडी भी नई बना दी गई है। अब जिसकी आईडी से इस तरह का खेल होगा, उसे ही दोषी माना जाएगा।

-विनीत सेठ, आरएम, आईटीएमएस

एक कर्मचारी की करतूत है, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। मामले की जांच की की जा रही है, आरोपी से ही रकम की वसूली की जाएगी।

-आरपी सिंह,कंसलटेंट, ट्राइमैक्स कंपनी