- कुपोषित बच्चों का अपडेट स्मार्ट फोन से देना होगा

- 7 हजार स्मार्ट फोन्स बांटने की तैयारियां

देहरादून।

आंगनबाड़ी वर्कर्स को अब कुपोषित बच्चों का अपडेट स्मार्ट फोन के माध्यम से अधिकारियों को देना होगा। इसके लिए आंगनबाड़ी वर्कर्स को 7 हजार स्मार्ट फोन्स बांटने की तैयारियां की जा रही हैं। अब तक अधिकारी खुद फील्ड में मॉनीटरिंग करके ऐसे बच्चों का अपडेट लेते रहे हैं। इंटरनेशनल वूमैनडे के मौके पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों 20 मोबाइल बंटवाकर इस योजना का औपचारिक शुभारंभ किया जाएगा।

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कैश से होगा काम

महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से कैश यानी कॉमन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के माध्यम से ये काम कराया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत वर्कर्स को जो स्मार्ट फोन दिए जाएंगे। कैश सॉफ्टवेयर को कनेक्ट होगा, जिसमें अलग-अलग कॉलम होंगे। कुपोषित बच्चों का समय-समय का स्टेटस फीड करना होगा। साथ ही अन्य जानकारियां भरनी होंगी, जिससे सब कुछ ऑनलाइन नजर आएगा।

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ऑफिस से हो जाएगी मॉनीटरिंग

यह योजना शुरू हो जाने के बाद अधिकारी कैश के माध्यम से ऑफिस में बैठे-बैठे अपडेट्स ले सकेंगे। बिना फील्ड में गये, सॉफ्टवेयर के माध्यम से सब कुछ जान सकेंगे। इसमें आंगनबाड़ी वर्कर के किसी के घर में जाने, प्रेगनेंट लेडी और उसके परिवार वालों की डिटेल लेने से लेकर बच्चे के कुपोषित होने, जच्चा-बच्चा को हेल्दी डाइट देने जैसी सभी जानकारियां अपलोड की जाएगी।

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तैयार किए जाएंगे मास्टर ट्रेनर

स्मार्ट फोन में कैश चलाने के लिए आंगनबाड़ी वर्कर्स को बाकायदा ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए विभाग की ओर से मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे। सुपरवाइजर्स को मास्टर ट्रेनर के तौर पर तैयार किया जाएगा।

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सीएम करेंगे शुभारंभ

वूमेन डे पर सीएम द्वारा योजना शुरू करवाई जाएगी। इसके बाद चार जिलों में सात हजार स्मार्ट फोन दिए जाएंगे। इमनें चमोली, उत्तरकाशी, ऊधमसिंह नगर और देहरादून शामिल हैं। इसके बाद अन्य जिलों में भी योजना शुरू की जाएगी।

वीडियो से सीख सकेंगे

मोबाइल फोन में इस एप्लीकेशन के माध्यम से कई तरह के वीडियो भी आंगनबाड़ी वर्कर्स देख सकेंगी। साथ ही वह प्रेगनेंट लेडीज को भी यह वीडियो दिखाएंगी, जिनमें उनकी डाइट से लेकर इंजेक्शन, दवाइयों जैसी जानकारियां भी शामिल होंगी।

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महिला सशक्तरीकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से आंगनबाड़ी वर्कर्स को कैश सॉफ्टवेयर से संबंधित ट्रेनिंग भी दी जाएगी, ताकि वह इसे पूरी तरह से सीख कर काम कर सकें। अधिकारी समय-समय पर जब इसका स्टेटस चेक करेंगे, तो बच्चों की हेल्थ में सुधार से लेकर सभी चीजें एक क्लिक में सामने रहेंगीं।

झरना कामठान, डायरेक्टर, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग