RANCHI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट पुलिसिंग की जो पहल की है, उस पर रांची में संशय की स्थिति है। हम जब सिटी के पुलिसकर्मियों का फिजिकल स्मार्टनेस देखने निकले तो पता चला कि ज्यादातर पुलिसकर्मियों के पेट निकले हैं और स्मार्टनेस से इनका दूर-दूर तक कुछ लेना-देना नहीं है। एक आंकड़े के मुताबिक राजधानी रांची में पदस्थापित आधे से ज्यादा पुलिसकर्मियों के पेट बाहर निकल आए हैं। उन्हें जिस कोटे से वर्दी का कपड़ा दिया जाता है, उससे अधिक कपड़ा वर्दी के लिए अलग से देना पड़ता है।

फुल वर्दी में रहना नहीं लगता अच्छा

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने रांची के विभिन्न थानों का जब दौरा किया, तो अधिकतर पुलिसकर्मी विदाउट वर्दी पाए गए। वर्दी पहनना, सलीके से जूते पहनना, नेम प्लेट लगाना, लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने के मामले में अधिकतर फिसड्डी रहे। कुछ ने तो यहां तक कह दिया कि फुल वर्दी पहनना उन्हें अच्छा नहीं लगता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आम लोग उनकी पहचान कैसे कर पाएंगे कि वे उसी थाने में पदस्थापित हैं। जबकि एसएसपी स्तर तक के सभी पुलिसकर्मियों को फ‌र्स्ट हाफ में फुल वर्दी पहनने की हिदायत दी गई है।

क्यों नहीं बन पाते स्मार्ट

ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस अधिकारी से जब पूछा गया कि आखिर आप अपने फिटनेस के प्रति क्यों सजग नहीं रहते, तो उनका जवाब था-हार्ड ड्यूटी करनी पड़ती है। दिन भर थक-हार कर जब घर जाते हैं, तो नींद आ जाती है। फिर अर्ली मॉर्निंग ड्यूटी पर भी जाना होता है। वर्जिश और कसरत करने के लिए समय ही नहीं बचता है।

वर्जन

पुलिस डिपार्टमेंट प्रधानमंत्री के आदेशानुसार रांची पुलिस को स्मार्ट बनाने का प्रयास कर रही है। इलेक्शन के बाद इस मामले में गंभीरता पूर्वक कार्य किए जाएंगे। इसमें जवानों का वजन घटाने से लेकर उन्हें रहने और आम लोगों के साथ सलीके से पेश आने की भी जानकारी दी जाएगी।

प्रभात कुमार

एसएसपी, रांची।