1. उदासीनता
इस बार नगर निगम चुनाव के प्रति कुछ लोगों में काफी उदासीनता का भाव देखा गया। विधानसभा चुनावों ये वो ही लोग हैं जो जिन्होंने खुलकर वोट दिए थे। और मतदान प्रतिशत को रिकॉर्ड लेवल तक ले गई थी। पिछले नगर निगम चुनाव में भी वोटर्स ने दिल खोलकर वोटिंग की थी। लेकिन इस बार शहर में वोटिंग के प्रति उदासीनता रही।
2. गर्मी भी विलेन
मतदान प्रतिशत कम होने के मुख्य कारण गर्मी का प्रकोप भी है। आज जो तापमान रिकॉर्ड किया गया वो अधिकतम 41 डिग्री था। गर्मी के कारण पॉश इलाके में अधिकतर इलाकों से वोटर बाहर नहीं निकले। जबकि पिछले नगर निगम चुनाव में सूरज की तपिश इतनी नहीं थी। वहीं विधानसभा चुनाव में गर्म मौसम इतना कहर नहीं बरपा रही था.
3. मुद्दाविहीन चुनाव
पिछले नगर निकाय चुनाव में कमेला बड़ा मुद्दा था। इस बार चुनाव मुद्दाविहीन था। इस पूरे चुनावी सरगर्मियों में किसी प्रत्याशी के पास कोई ऐसा ठोस मुद्दा नहीं था, जो वोटर्स को पोलिंग बूथ तक खींचकर लेकर आ सके। जिससे काफी वोटर्स ने चुनाव में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
4. निगम से उम्मीद नहीं
नगर निगम के कामकाज से पब्लिक  असंतुष्ट रही है। जनता टैक्स भरती है लेकिन पब्लिक को निगम से अच्छा रिस्पांस नहीं मिलता रहा है। निगम क्षेत्र में कोई खास विकास कार्य भी नहीं हुए जिससे लोगों ने दिल खोलकर वोटिंग नहीं की.
5. मनपसंद प्रत्याशी न होना
मनपसंद प्रत्याशी ना होने को भी कम पोलिंग की वजह बतायी जा रही है। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर युवक ने बताया कि जितने भी लोग मेयर या पार्षद पद के लिए आ रहे हैं वो अपने मोहल्लों से, घरों से निकालकर लोगों को ला रहे हैं। जिसके कारण उन्हें वोट पड़ गए वर्ना कोई भी कोई भी प्रत्याशी को देखकर वोटिंग करने नहीं आ रहे हैं.
6. नेट का एग्जाम
वोटिंग परसेंटेज कम होने का मुख्य कारण मतदान के ही दिन नेट का एग्जाम होना भी था। सुबह से लेकर शाम तक मेरठ का काफी यूथ एग्जाम देने में ही लगा थे। तो वो कैसे वोट डालने के लिए जाता। कई एग्जाम सेंटर्स और पोलिंग सेंटर्स एक ही जगह था।
7. नाम गायब
मतदाता सूची में हजारों लोगों का नाम गायब रहा। जिन्होंने इस साल विधानसभा चुनाव में वोटिंग की उनमें से काफी लोगों के नाम निकाय चुनाव की मतदाता सूची में नहीं थे। जिससे वो वोट नहीं डाल सके.