VARANASI

नई दिल्ली जैसी सिचुएशन अपने शहर बनारस में भी क्रिएट हो रही है। यदि अभी से जिम्मेदार नहीं चेते तो आने वाले कुछ ही दिनों में पूरा शहर दिल्ली जैसे स्मॉग (धुआं) की चपेट में होगा। पॉल्यूशन और स्मॉग मिलकर ऐसी बीमारियों का बम गिराएंगे कि अच्छे-अच्छों का उसकी जद में आना तय है। हर दिन बनारस की आबोहवा में प्रदूषणनुमा जहर घुलता जा रहा है। पार्टिकुलेट मैटर-क्0 और पार्टिकुलेट मैटर-ख्.भ् का लेवल हर दिन बढ़ता ही जा रहा है, मौजूदा दौर में तीन से चार गुना इनका लेवल रिकॉर्ड किया जा रहा है। डॉक्टर्स मानते हैं कि यदि ऐसे पॉल्यूशन का लेवल बढ़ता गया तो फिर यह अस्थमा व सीओपीडी पेशेंट्स के लिए और भी घातक हो सकता है। ऐसे मरीजों की संख्या भी हॉस्पिटल्स में बढ़नी शुरू हो गई है।

 

तीन से चार गुना है शहर में पाल्यूशन

पॉल्यूशन पर वर्क कर रही एयर फॉर केयर संस्था ने मंगलवार को शहर में पॉल्यूशन का लेवल कैच किया। इसमें पार्टिकुलेट मैटर-क्0 का लेवल मैक्सिमम ब्ख्ख् माइक्रो क्यूब तो पार्टिकुलेट मैटर-ख्.भ् का लेवल मैक्सिमम ब्ख्फ् माइक्रो क्यूब नोट किया गया। धुएं में सस्पेंडेड पार्टिकल मैटर (एसपीएम), रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकल मैटर (आरएसपीएम), सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, बेंजीन, कार्बन डाई ऑक्साइड व कार्बन मोनो ऑक्साइड भी शामिल होते हैं। सस्पेंडेड पार्टिकल मैटर हवा में मौजूद वो तत्व हैं जो त्वचा से लेकर फेफड़े तक के लिए घातक हैं।

 

क्या है स्मॉग

ठंड की तरफ बढ़ते मौसम का मिजाज काफी दिनों से नमी भरा है। वातावरण में नमी होने के कारण वाहनों से निकले धुएं की परत सी बन जाती है। नमी के कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ इस नमी की वजह से ऊंचा नहीं उठ पाता और उस कंडीशन में धुंध की शक्ल ले लेता है। इस मौसम में पॉल्यूशन और कोहरा मिलकर स्मॉग बनाते हैं।

 

नई दिल्ली की हालत खराब तो होनी ही थी, चूंकि पंजाब, हरियाणा में धान की कटाई के बाद पुआल जलाने की परम्परा ने वहां की हवा में जहर घोल दिया है। सेम कंडीशन अपने यहां भी आने वाले दिनों में फेस करनी पड़ेगी। हालांकि पछुआ हवा चलना शुरू हो गया है, लिहाजा अब चार से पांच दिन के अंदर ठंड दस्तक देगा। अचानक ठंड बढ़ने के साथ ही कई दिनों तक बीच-बीच में कोहरा भी घना रहेगा, उस वक्त परेशानियां बढ़ जाएंगी।

प्रो। एसएन पांडेय, मौसम वैज्ञानिक

 

 

ठंड का मौसम हार्ट, अस्थमा मरीज, ब्लड प्रेशर, डायबटीज आदि के मरीजों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। वैसे भी शहर में पॉल्यूशन की स्थिति ऐसी है कि घर से निकलते वक्त मास्क लगाकर ही निकलें।

डॉ। मनीषा सिंह, सेक्रेटरी आईएमए

 

 

क्या सावधानी बरतें

-सांस की तकलीफ होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें और इलाज कराने से न कतराएं।

- सबसे पहले डॉक्टर कुछ इनहेलर्स देते हैं उनका इस्तेमाल करें क्योंकि इनसे कई बार अस्थमा के आने वाले अटैक से बचा जा सकता है।

- मौसम बदलने के साथ अपना पूरा ध्यान रखें।

- सांस अंदर की तरफ लें और बाहर को छोड़ते समय बीच में सांस न रोकें।

- धूल, धुएं, धुंध, फॉग के मौसम में नाक पर रूमाल बांधे और जहां तक हो सके इनसे बचें।

- घरेलू उपचार में टमाटर, गाजर, पत्तेदार सब्जियां अस्थमा के अटैक को कम करती हैं। रोज एक सेब खाने की आदत मरीज को अस्थमा से लड़ने की क्षमता देती है।

- हार्ट, अस्थमा, बीपी आदि के मरीज सुबह के समय हवा में न निकलें, धुंध में सांस लेने में तकलीफ होती है, जो कई बाद अस्थमा के अटैक का कारण बन जाती है। वहीं सुबह के समय होने वाली ठंड खून को जमा देती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।