- मानक से चार गुना ज्यादा है आईएसबीटी इलाके में एसपीएम की मौजूदगी

- सल्फर डाई ऑक्साइड की मौजूदगी भी मानके से 26 परसेंट ज्यादा

- पॉल्यूशन के मामले में दूसरे नंबर पर राजपुर रोड, तीसरे नंबर पर घंटाघर का इलाका

DEHRADUN: शुद्ध आबोहवा के लिए जाने जाने वाले दून का हवा-पानी अब दुरुस्त नहीं रहा। इंडस्ट्रियलाइजेशन, ताबड़तोड़ कंस्ट्रक्शन, धुआं उगलते वाहन दून की हवा में लगातार जहर घोल रहे हैं। दून का आईएसबीटी इलाका एयर पॉल्यूशन के मामले में सबसे आगे है। सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की बात करें तो दून के तीन इलाकों में इसकी मौजूदगी मानक से फ्-ब् गुना ज्यादा है, जो खतरे की घंटी है।

आईएसबीटी नंबर वन पर

दून का आईएसबीटी इलाका एयर पॉल्यूशन के लिहाज से सबसे खतरनाक है। यहां सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर की मौजूदगी मानक से चार गुना ज्यादा है, जबकि सल्फर डाई ऑक्साइड की मौजूदगी मानक से ख्म् परसेंट ज्यादा है। जानकार मानते हैं कि इलाके में इंडस्ट्रियल गतिविधियां इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। इसके अलावा यहां इंटर स्टेट बस टर्मिनल होना भी एयर पॉल्यूशन का ग्राफ बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। रोजाना इस इलाके में हजारों बसें व अन्य वाहन दाखिल होते हैं, जाहिर है ट्रैफिक के ज्यादा दबाव के कारण यहां की हवा ज्यादा जहरीली है। हालांकि इलाके की हवा में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की मात्रा यहां मानक के आस-पास है।

गर्मियों में सबसे ज्यादा पॉल्यूशन

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो दून के शहर में एयर पॉल्यूशन का ग्राफ गर्मियां शुरू होते ही बढ़ने लगता है। एयर में सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर और सल्फर डाई ऑक्साइड की मौजूदगी मई और जून के महीने में बढ़ी हुई पाई गई है। इसके अलावा एयर पॉल्यूशन का सबसे कम स्तर अगस्त के महीने में देखने को मिला है।

पॉल्यूशन में किस नंबर पर कौन सा इलाका

नंबर क्- आईएसबीटी

नंबर ख्- राजपुर रोड

नंबर फ्- घंटाघर