- गाडि़यों का धुआं शहर में बढ़ा रहा सांस से जुड़ी बीमारियां GORAKHPUR: जाम का झाम शहर के समय और ईंधन तो बर्बाद कर ही रहा है, लोगों की सेहत पर भी इसका खतरनाक असर पड़ता जा रहा है। शहर की सड़कों पर बढ़ती जा रही वाहनों की तादाद तो यहां का पॉल्युशन लेवल बढ़ा ही रही है। आए दिन जाम के हालात में गाडि़यों से निकला धुआं भी सांस से जुड़ी बामारियां बढ़ाने में लगा है। इसमें सबसे ज्यादा बच्चों में अस्थमा के केसेज देखने मिल रहे हैं। 25 प्रतिशत बढ़ गई सांस की बीमारी गोरखपुर में सांस के रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं। अस्पतालों से मिले आंकड़ों पर नजर डालें तो इस समय 50 प्रतिशत मरीज सांस से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि एक साल पहले यह आंकड़ा 25 प्रतिशत तक ही था। विशेषज्ञों की मानें तो गाडि़यों के धुएं के चलते सांस से जुड़ी बीमारियां काफी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में लेती हैं। वहीं, इन दिनों स्मॉग के चलते सांस की बीमारियों का खतरा और बढ़ गया है। इसकी वजह से फेफड़े में इंफेक्शन के काफी केसेज देखने मिल रहे हैं। बच्चे भी धुएं की जद में जाम के समय गाडि़यों के धुएं से स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर खासा असर पड़ता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके चलते बच्चे पैसिव स्मोकिंग के शिकार हो रहे हैं। यह उतना ही घातक है जितना एक सिगरेट पीने वाले एक्टिव स्मोकर को होता है। मेडिकल कॉलेज में रोज 80 से 100 बच्चे इलाज के लिए आते हैं। इनमें से अमूमन 20 सिर्फ सांस के मरीज होते हैं। बच्चे सबसे ज्यादा धुएं के शिकार स्कूल जाने और लौटने के समय होते हैं। जो आगे चलकर उन्हें अस्थमा या सांस से जुड़ी अन्य बीमारियों का रोगी बना देती है। वर्जन प्रशासन को गाडि़यों की संख्या पर लगाम लगानी चाहिए। इस सीजन में गाडि़यों को धुआं ऊपर नहीं जाता बल्कि नीचे ही सिमट कर रह जाता है। इससे बचने के लिए सबसे जरूरी है कि मास्क-95 का इस्तेमाल करें। - डॉ। अश्वनी मिश्रा, एचओडी, टीबी व चेस्ट विभाग, मेडिकल कॉलेज सिटी में ज्यादातर पुरानी गाडि़यां ही चल रही हैं। जिससे उठने वाला धुआं लोगों को बीमार कर रहा है। जाम में उठने वाला धुआं देर तक लोगों को फेफड़े में जाता है जिससे सिटी में सांस के रोगी बढ़ रहे हैं। - डॉ। संजीव गुप्ता, फिजिशियन