टोबैको दो फॉर्म में ली जाती हैं एक स्मोक और दूसरा स्मोकलेस. सिगरेट टोबैको यूज का सबसे कॉमन फॉर्म है, वहीं च्युइंग टोबैको यूथ को तेजी से अपनी जद में ले रहा है. यही नहीं  टोबैको ‘गेटवे ड्रग्स’ के रूप में जाना जाता है. इसकी चपेट में आने वाला एल्कोहल और दूसरे इलीगल ड्रग्स की ओर अट्रैक्ट होने लगता है.

Smoking

 

स्मोकिंग कैंसर, कॉर्डियोवैस्कुलर और रेस्पिरेटरी डिसीज, कोरोनरी हार्ट डिसीज और लंग कैंसर, इयर डिसीज, ब्रेन ट्यूमर समेत डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रूप से दूसरी कई बीमारियों के लिए रिस्पांसिबल होता है.

Smokeless tobacco

स्मोकलेस टोबैको यानी च्युइंग टोबैको. च्युइंग टोबैको में 28 ऐसे एलिमेंट्स होते हैं जो कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसे लेने से पैंक्रियाज, इसोफेगस (esophagus), चीक्स, टंग और मुंह में होने वाले दूसरे कई तरह के कैंसर होते हैं. इसके अलावा टूथ लॉस, बैड ब्रेथ और स्टेंड टीथ की भी कॉमन प्रॉब्लम्स हैं.

Tobacco users in the world

टोबैको के यूज से दुनिया में हर साल करीब 5 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है. अगर ये ट्रेंड ऐसे ही चलता रहा तो 2030 तक टोबैको से मरने वालों की संख्या  हर साल आठ मिलियन के पास पहुंच जाएगी. अगर जल्द ही कोई एक्शन नहीं लिया गया तो इस सेंचुरी के एंड तक करीब एक बिलियन लोगों की मौत हो जाएगी.

Tobacco users in India

वल्र्ड के करीब 250 मिलियन टोबैको यूजर्स इंडिया में हैं. इनमें से 112 मिलियन स्मोकिंग करते हैं जबकि 96 मिलियन लोग चिव टोबैको यूज करते हैं. रोजाना करीब 55 हजार बच्चे टोबैका यूज करना स्टार्ट करते हैं. कैंसर के टोटल पेशेंट्स में करीब वन थर्ड ओरल कैंसर के पेशेंट होते हैं इसमें 90 परसेंट टोबैको च्यूवर्स होते हैं.

Secondhand smoke

आठ स्मोकर जिनकी मौत टोबैको रिलेटेड इलनेस से होती है वे अपने साथ एक नॉन स्मोकर को भी ले जाते हैं. ऐसे नॉन स्मोकर्स की मौत सेकेंडहैंड स्मोक से होती है. सिगरेट पीते वक्त स्मोकर जब स्मोक बाहर निकालता है उसे सेकेंडहैंड स्मोक कहते हैं.

•डब्ल्यूएचओ के अकॉर्डिंग सेकेंडहैंड स्मोक वल्र्ड में हर साल 6 लाख प्रीमेच्योर डेथ के लिए रिस्पांसिबल होता है.

•एडल्ट्स में सेकेंडहैंड स्मोक के चलते कॉर्डियोवैस्कुलर और रेस्पिरेटरी डिसीज, कोरोनरी हार्ट डिसीज और लंग कैंसर भी हो सकता है. इनफैंट्स में इससे सडेन डेथ हो सकती है. प्रेग्नैंट वुमन में यह लो बर्थ वेट की वजह बनती है.

•करीब 40 परसेंट बच्चे अपने घर में रेग्युरर्ली सेकेंडहैंड स्मोक के चपेट में आते हैं. सेकेंडहैंड स्मोक की वजह से होने वाली डेथ में 31 परसेंट बच्चे होते हैं.

•पूरी दुनिया में करीब एक तिहाई एडल्ट्स सेकेंडहैंड स्मोकिंग का शिकार होते हैं.

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